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शिवराज नहीं कर पा रहे मंत्रियों के विभाग तय, पार्टी के अंदर सब ठीक नहीं !

मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के करीब आठ दिन बाद भी अब तक मंत्रियों के विभाग तय नहीं हुए हैं. जिसको लेकर जहां लगातार विपक्ष निशाना साध रहा है, वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का भी कहना है कि, पार्टी के अंदर सब ठीक-ठाक नहीं होने का संदेश जा रहा है.

cabinet expansion
मंत्रिमंडल विस्तार
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Published : Jul 11, 2020, 8:33 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्रिमंडल का दूसरा विस्तार हुए आठ दिन गुजर गए हैं, लेकिन अब तक मंत्रियों को विभाग नहीं बांटे गए, वहीं मंत्रियों के विभाग तय करने की बात पर सरकार की ओर से अब भी यही कहा जा रहा है कि, जल्द ही विभागों का बंटवारा कर दिया जाएगा.

प्रदेश में मुख्यमंत्री के अलावा 33 मंत्री हैं, जिनमें 25 कैबिनेट हैं और आठ राज्य मंत्री हैं. दो जुलाई को 28 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी. उम्मीद जताई जा रही थी कि, जल्दी ही विभागों का वितरण कर दिया जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. बता दें, मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार में जिन 28 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी, उनमें से 12 मंत्री वे भी थे जो पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं. वहीं सिंधिया खेमे की ओर से मंत्रियों को महत्वपूर्ण पद दिए जाने और राज्य मंत्रियों को स्वतंत्र प्रभार की मांग भी की गई है.

सिंधिया खेमे की ओर से मांगे गए महत्वपूर्ण विभाग और राज्य मंत्रियों को स्वतंत्र प्रभार दिए जाने का मसला बीजेपी में राज्य संगठन से लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इस मसले को लेकर दो दिन तक दिल्ली में रहे और उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व के तमाम नेताओं के साथ मंथन किया और विभागों से संबंधित सूची उन्हें सौंप दी.

ये भी पढ़ें- उपचुनाव में कमल खिलाने के लिए वर्चुअल के बाद अब एक्चुअल रैली करेगी बीजेपी

मुख्यमंत्री ने दिल्ली से लौटने पर जल्द ही विभाग वितरण की बात कही थी, लेकिन तीन से चार दिन गुजर गए हैं अब तक विभाग तय नहीं हो पाए हैं. बता दें, पिछले दिनों सीएम शिवराज ने कहा था कि, मुख्यमंत्री में ही सारे विभाग निहित होते हैं.

गांव, गरीब और किसान के लिए कर रहे काम
मंत्रियों के विभाग बंटवारे की बात पर कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि, एक-दो दिन में विभागों का वितरण कर दिया जाएगा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और हम पांच मंत्री गांव, गरीब और किसान के लिए काम कर रहे हैं.

अफसरशाही का हो गया है राज
मंत्रियों के शपथ लेने के आठ दिन बाद भी विभागों का वितरण नहीं होने पर पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि, शिवराज सरकार में विभाग बंटवारे को लेकर खींचतान मची हुई है. मलाईदार विभागों को लेकर दो बिल्लियां आपस में लड़ रही हैं और दोनों ही अपने आप को टाइगर कहते हैं. सीएम शिवराज को तो इस्तीफा दे देना चाहिए, क्योंकि वर्तमान में प्रदेश में लोकतंत्र जनतंत्र का नहीं बल्कि अफसरशाही का राज हो गया है.

पार्टी में नहीं सब ठीक-ठाक
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि, पहले मंत्रिमंडल विस्तार में देरी हुई और उसके बाद अब विभाग वितरण में वक्त लग रहा है. इससे यह संदेश तो जा ही रहा है कि, पार्टी के अंदर सब ठीक-ठाक नहीं है. इससे राज्य में पार्टी के निर्णय लेने की क्षमता पर भी सवाल उठ रहे हैं. वहीं विरोधी दल कांग्रेस के हाथ में विभाग वितरण का एक और मुद्दा हाथ में आ गया है. मंत्री पद की शपथ लेने के बाद कई मंत्री विभाग वितरण की आस में भोपाल रुके रहे, लेकिन विभाग वितरण में देरी देखी तो वे अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में पहुंच गए हैं. कुल 14 मंत्री ऐसे हैं, जो विधायक नहीं हैं और उन्हें आने वाले समय में चुनाव भी लड़ना है.

भोपाल। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्रिमंडल का दूसरा विस्तार हुए आठ दिन गुजर गए हैं, लेकिन अब तक मंत्रियों को विभाग नहीं बांटे गए, वहीं मंत्रियों के विभाग तय करने की बात पर सरकार की ओर से अब भी यही कहा जा रहा है कि, जल्द ही विभागों का बंटवारा कर दिया जाएगा.

प्रदेश में मुख्यमंत्री के अलावा 33 मंत्री हैं, जिनमें 25 कैबिनेट हैं और आठ राज्य मंत्री हैं. दो जुलाई को 28 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी. उम्मीद जताई जा रही थी कि, जल्दी ही विभागों का वितरण कर दिया जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. बता दें, मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार में जिन 28 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी, उनमें से 12 मंत्री वे भी थे जो पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं. वहीं सिंधिया खेमे की ओर से मंत्रियों को महत्वपूर्ण पद दिए जाने और राज्य मंत्रियों को स्वतंत्र प्रभार की मांग भी की गई है.

सिंधिया खेमे की ओर से मांगे गए महत्वपूर्ण विभाग और राज्य मंत्रियों को स्वतंत्र प्रभार दिए जाने का मसला बीजेपी में राज्य संगठन से लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इस मसले को लेकर दो दिन तक दिल्ली में रहे और उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व के तमाम नेताओं के साथ मंथन किया और विभागों से संबंधित सूची उन्हें सौंप दी.

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मुख्यमंत्री ने दिल्ली से लौटने पर जल्द ही विभाग वितरण की बात कही थी, लेकिन तीन से चार दिन गुजर गए हैं अब तक विभाग तय नहीं हो पाए हैं. बता दें, पिछले दिनों सीएम शिवराज ने कहा था कि, मुख्यमंत्री में ही सारे विभाग निहित होते हैं.

गांव, गरीब और किसान के लिए कर रहे काम
मंत्रियों के विभाग बंटवारे की बात पर कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि, एक-दो दिन में विभागों का वितरण कर दिया जाएगा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और हम पांच मंत्री गांव, गरीब और किसान के लिए काम कर रहे हैं.

अफसरशाही का हो गया है राज
मंत्रियों के शपथ लेने के आठ दिन बाद भी विभागों का वितरण नहीं होने पर पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि, शिवराज सरकार में विभाग बंटवारे को लेकर खींचतान मची हुई है. मलाईदार विभागों को लेकर दो बिल्लियां आपस में लड़ रही हैं और दोनों ही अपने आप को टाइगर कहते हैं. सीएम शिवराज को तो इस्तीफा दे देना चाहिए, क्योंकि वर्तमान में प्रदेश में लोकतंत्र जनतंत्र का नहीं बल्कि अफसरशाही का राज हो गया है.

पार्टी में नहीं सब ठीक-ठाक
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि, पहले मंत्रिमंडल विस्तार में देरी हुई और उसके बाद अब विभाग वितरण में वक्त लग रहा है. इससे यह संदेश तो जा ही रहा है कि, पार्टी के अंदर सब ठीक-ठाक नहीं है. इससे राज्य में पार्टी के निर्णय लेने की क्षमता पर भी सवाल उठ रहे हैं. वहीं विरोधी दल कांग्रेस के हाथ में विभाग वितरण का एक और मुद्दा हाथ में आ गया है. मंत्री पद की शपथ लेने के बाद कई मंत्री विभाग वितरण की आस में भोपाल रुके रहे, लेकिन विभाग वितरण में देरी देखी तो वे अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में पहुंच गए हैं. कुल 14 मंत्री ऐसे हैं, जो विधायक नहीं हैं और उन्हें आने वाले समय में चुनाव भी लड़ना है.

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