भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार की माली हालत खराब है. हाल ये है कि सरकार को विकास योजनाओं के लिए भी कर्ज जुटाना पड़ रहा है. एक बार फिर मध्यप्रदेश सरकार 2 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले रही है. सरकार 1 नवंबर को 2000 करोड़ का कर्ज लेगी. इस कर्ज को 7.88 फीस दी ब्याज दर पर 1 साल के लिए लिया जा रहा है, इसे सरकार अगले साल नवंबर तक चुकाएगी. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है अब तो लगता है कर्ज लेकर घी पीना सरकार की आदत सी बन गई है.
सरकार लगातार बाजार से ले रही कर्ज: वित्तीय जरूरतें पूरी करने के लिए राज्य सरकार को लगातार बाजार से कर्ज लेना पड़ रहा है. मध्य प्रदेश सरकार पिछले 15 दिनों में दो बार बाजार से कर्ज ले चुकी है और यह तीसरा मौका है जब 1 नवंबर को सरकार 2000 करोड़ का कर्ज बाजार से उठाएगी. सरकार ने इस महीने के 18 अक्टूबर को 1000 करोड़ का कर्ज लिया था, इसके बाद 25 अक्टूबर को सरकार ने एक बार फिर 1000 करोड़ का कर्ज बाजार से लिया. 1 नवंबर को लिया जाने वाला कर्ज 7.88 फीस दी ब्याज दर पर 1 साल के लिए लिया जा रहा है. इसे सरकार अगले साल नवंबर तक चुकाएगी.
सरकार पर 12000 करोड का कर्ज: इस तरह देखा जाए तो विकास कार्यों के लिए लिए जाने वाले कर्ज की राशि 3 लाख करोड़ से ज्यादा पहुंच गई है. 31 मार्च 2022 की स्थिति में देखा जाए तो मध्य प्रदेश सरकार पर 2 लाख 95 हजार 532 करोड़ का कर्ज है, जबकि सरकार अप्रैल से लेकर अभी तक 10 हजार करोड का कर्ज बाजार से ले चुकी है. सितंबर में भी चार हजार करोड़ का कर सरकार ने लिया था. 1 नवंबर को लिए जाने वाले कर्ज को मिलाकर सरकार 12000 करोड का कर्ज इस साल ले चुकी है.
एमपी सरकार फिर लेगी 3 हजार करोड़ का कर्ज
कांग्रेस उठा रही सवाल: उधर सरकार द्वारा लगातार कर्ज लिए जाने पर कांग्रेस सरकार की वित्तीय व्यवस्था को लेकर सवाल उठा रही है. कांग्रेस प्रवक्ता अजय यादव ने आरोप लगाया है कि सरकार कर्ज लेकर घी पीने का काम कर रही है. सरकार के पास दीर्घकालीन ऐसी कोई योजना नहीं है जिससे प्रदेश का रिवेन्यू बड़े और प्रदेश पर लगातार बढ़ रहा कर्ज कम हो. कर्ज का असर आम लोगों पर महंगाई के रूप में डाला जा रहा है.
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