भोपाल। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार एक बार फिर कर्ज ले रही है. कोरोना संक्रमण की वजह से बिगड़ी आर्थिक सेहत के चलते प्रदेश के विकास और आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिए प्रदेश सरकार एक बार फिर एक हजार करोड़ का लोन ले रही है. नवंबर महीने में ये तीसरा मौका है, जब सरकार कर्ज ले रही है. पिछले 8 माह के कार्यकाल में शिवराज सरकार 14 बार कर्ज ले चुकी है.
20 साल के लिए लिया एक हजार करोड़ का कर्ज
कोरोना संक्रमण के चलते वेपटरी हुई प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए प्रदेश सरकार मुश्किलों से जूझ रही है. प्रदेश की आर्थिक सेहत पहले से ही खराब है, कोरोना महामारी के चलते खजाने पर दोगुनी मार पड़ी है. प्रदेश में विकास कार्य, आर्थिक गतिविधियों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा है. हालांकि सरकार अपने खर्चों में कटौती कर वित्तीय प्रबंधन करने की कोशिश में जुटी है. प्रदेश को संकट से उबारने और विकास कार्यों को गति देने के लिए सरकार को बाजार के भरोसे रहना पड़ रहा है, जिसके चलते सरकार एक बार फिर एक हजार करोड़ का लोन 20 साल के लिए लेने जा रही है. इसके बाद सरकार पर जनवरी से लेकर अब तक करीब 25 हजार करोड़ का कर्ज बढ़ गया है.
7 माह में 14 बार लिया कर्ज
प्रदेश सरकार का खजाना खाली होने के कारण लगातार कर्ज लेना पड़ रहा है. प्रदेश सरकार को इस माह तीसरी बार कर्ज लेना पड़ रहा है. इसके पहले 4 नवंबर को एक हजार करोड़ और 11 नवंबर को 2 हजार करोड़ का कर्ज लिया था. इस तरह देखा जाए तो, पिछले 7 माह के दौरान सरकार 14 बार कर्ज ले चुकी है. 31 मार्च की स्थिति में मध्य प्रदेश पर 2 लाख 9 हजार करोड़ का कर्ज है.
कहां से कितना कर्ज लिया ?
- अब तक बांड्स से 7,360 करोड़, केंद्र से 20,938 करोड़ का लिया गया कर्ज.
- वित्तीय संस्थानों से 10,766 करोड़, अन्य संस्थानों से 20,909 करोड़ का लिया कर्ज.
- नेशनल सेविंग से 26,481 करोड़ का कर्ज अब तक ले चुकी सरकार.
- अब तक कुल 2 लाख 1 हजार 989 करोड़ हुआ एमपी सरकार पर कर्ज.
शिवराज ने सात माह में लिया 10 हजार 500 करोड़ का कर्ज
- 21 अक्टूबर को 1000 करोड़
- 14 अक्टूबर को 1000 करोड़
- 7 अक्टूबर को 1000 करोड़
- 16 सितंबर को 1000 करोड़
- 09 सितंबर को 1000 करोड़
- 12 अगस्त को 1000 करोड़
- 04 अगस्त को 1000 करोड़
- 14 जुलाई को 1000 करोड़
- 07 जुलाई को 1000 करोड़
- 09 जून को 500 करोड़
- 02 जून को 500 करोड़
- 07 अप्रैल को 500 करोड़