भोपाल। मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के दौरान नई शराब की दुकानें खोलने को लेकर बवाल काटने वाली बीजेपी अब उसी राह पर चलने लगी है.15 महीने बाद ही सत्ता में वापसी करने वाली बीजेपी अब प्रदेश में शराब दुकानों की संख्या बढ़ाने की बात कह रही है.गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के मुताबिक उन्होंने शराब की नई दुकानें खोलने का प्रस्ताव दिया था, जिस पर विचार किया जा रहा है. अब जबकि कांग्रेस ने बवाल काटना शुरू किया तो बीजेपी ने तुरंत यू टर्न ले लिया. सीएम शिवराज को कहना पड़ा कि उन्होंने अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है.
शराब की नई दुकानों पर सियासत शुरू
मुरैना में जहरीली शराब के कारण 25 से ज्यादा लोगों की मौत के बाद, एक जांच कमेटी गठित की गई है. जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद सूबे के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने प्रदेश में शराब की नई दुकानें खोलने का प्रस्ताव दिया है. उनका तर्क है कि आबादी के लिहाज से पड़ोसी राज्यों के मुकाबले प्रदेश में शराब की दुकानें काफी कम हैं.
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उनके मुताबिक प्रदेश में आबादी के मान से एक लाख आबादी पर सिर्फ 4 शराब दुकानें हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में 12, महाराष्ट्र में 21 और राजस्थान में एक लाख की आबादी पर 17 दुकानें हैं. यह विसंगति शराब के अवैध कारोबार के लिए प्रोत्साहित करती है.
कांग्रेस ने किया विरोध
जब से गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बयान दिया है, तब से ही कांग्रेस राज्य सरकार पर हमला बोल रही है. पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा के बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर सरकार अवैध शराब कारोबारियों पर कार्रवाई करना चाहती और इस मामले को लेकर गंभीर होती, तो रतलाम की घटना के बाद आबकारी अधिनियम में संशोधन किया जा सकता था. शायद उज्जैन और मुरैना की घटनाएं नहीं घटती, लेकिन सरकार माफियाओं को संरक्षण देने में लगी हुई है. जब भी घटना घटित होती है, तब कानूनी पेंच लेकर माफियाओं को बचाने में लग जाती है. अभी भी जांच के नाम पर सिर्फ लीपापोती की जा रही है.
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मुख्यमंत्री ने कहा नहीं हुआ निर्णय
प्रदेश में नई शराब की दुकानें खोलने के प्रस्ताव पर जैसे ही सवाल खड़ा हुआ तो सीएम शिवराज ने कहा कि फिलहाल इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है. जो तथ्य आते हैं, उस पर बात होती है. उन्होंने कहा कि पहले किए गए निर्णय के तहत 10 साल तक कोई नहीं दुकान नहीं खुली, फिलहाल इस पर कुछ बोलना नहीं चाहते हैं.
कमलनाथ के फैसले के खिलाफ शिवराज ने लिखा था पत्र
अपने 15 महीने के काल में कमलनाथ सरकार ने मामूली लाइसेंस फीस के साथ शराब की उप दुकानें खोलने के लिए अधिसूचना जारी कर दी थी. कमलनाथ सरकार का तर्क भी वही था, जो अब बीजेपी दे रही है. सरकार ने कहा था कि दूसरे राज्यों के मुकाबले प्रति लाख आबादी पर प्रदेश में शराब की दुकानें बहुत कम हैं. उस वक्त तत्कालीन विपक्ष के नेता शिवराज सिंह चैहान ने कमलनाथ को पत्र लिखा था कि सरकार ने आम नागरिकों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और कुशलता को दरकिनार कर शराब माफिया को तोहफा दिया है, इससे प्रदेश मदिरा प्रदेश बन जाएगा.
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कमलनाथ ने किया नई शराब दुकान खोलने से इंकार
तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पत्र के जरिए शिवराज सिंह को जवाब दिया था. उन्होंने जवाब देते हुए कहा था कि शराब की दुकानें प्रदेश में फिलहाल तो नहीं खुलेंगीं. लेकिन जो नई नीति लाई गई है, उससे शराब माफिया पर नियंत्रण जरूर हो जाएगा. उन्होंने पत्र के जरिए शिवराज सरकार के कार्यकाल पर भी निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि शिवराज सरकार के समय सबसे ज्यादा शराब की दुकान खोली गई हैं.
शिवराज सिंह ने किया था एक भी नई शराब दुकान न खोलने का वादा
अपने पिछले मुख्यमंत्री कार्यकाल में शिवराज सिंह लगातार यह वादा और दावा करते रहे है कि प्रदेश में नई शराब दुकान नहीं खोली जाएगी. मध्यप्रदेश में तत्कालीन कमलनाथ सरकार में प्रदेश की माली हालत देखते हुए जब शराब के जरिए राजस्व बढ़ाने की पहल करते हुए शराब दुकानों की संख्या बढ़ाने की कोशिश की गई,तो बीजेपी ने और खुद शिवराज सिंह ने जमकर विरोध किया था.
एक साल में MP में जहरीली शराब से 50 मौतें
मध्य प्रदेश में पिछले एक साल के अंदर जहरीली और अवैध शराब के चलते मौतों का सिलसिला लगातार जारी है. उज्जैन में जहरीली शराब से करीब 20 मौतों के बाद रतलाम में भी ऐसी घटना सामने आई थी. वहीं हाल ही में मुरैना में 25 से ज्यादा लोग जहरीली शराब के कारण काल के गाल में समा गए हैं. उज्जैन घटना के समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने सख्त कार्रवाई की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि प्रदेश में किसी कीमत पर अवैध शराब नहीं बिक पाएगी, लेकिन सरकार इस पर अंकुश लगाने में नाकाम नजर आ रही है.
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शराब दुकानों के मामले में गृह मंत्री की सोच मुख्यमंत्री के विपरीत क्यों
प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि गृहमंत्री की मांग हास्यास्पद है. प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह इसके पहले यह घोषणा कर चुके हैं कि प्रदेश में शराब की दुकान नहीं खोली जाएगी. अपराधों पर अंकुश रखने के लिए नशे के कामों को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा. उन्होंने मुख्यमंत्री से सवाल किया है कि आप की घोषणा के विपरीत गृह मंत्री ज्यादा से ज्यादा दुकानें खोलने की बात कर रहे हैं. भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि प्रदेश का वास्तविक मुख्यमंत्री कौन हैं? सरकार जनता को बताए. जिससे प्रदेश की जनता गुमराह ना हो.
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भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि वहीं तीसरी तरफ आबकारी मंत्री घर-घर शराब भेजने की नीति की वकालत कर रहे हैं. लेकिन वो शराब के जखीरे पकड़े जा रहे हैं,उनके पीछे छुपे हुए माफिया को बेनकाब करने की प्रक्रिया पर कोई भी राय नहीं दे रहा है. जांच कमेटी की प्रोटोटाइप जांच रिपोर्ट भी माफिया को बचाते हुए सही सुझाव देकर लीपापोती करने में लगी है. जबकि उसी मुरैना में एक और शराब कांड में दो नई मौतें हो गई है.
नरोत्तम मिश्रा चाहते हैं कि शराब दुकानों की संख्या में हो बढ़ोत्तरी
वर्तमान में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का मानना है कि प्रदेश में शराब दुकानों की संख्या कम होने के कारण अवैध और जहरीली शराब की बिक्री बढ़ रही है. इस पर अंकुश लगाने के लिए जरूरी है कि शराब दुकानों की संख्या बढ़ाई जाए, जिससे लोग अवैध और जहरीली शराब पीने मजबूर ना हो.
नरोत्तम मिश्रा ने क्या कहा
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस की दो मुंही नीति है. यह 6 जनवरी का गजट नोटिफिकेशन कमलनाथ सरकार के समय का है. उन्होंने शराब की दुकानें गांव में 5 किमी के दायरे में खोलने की बात कही थी, यह उन्हीं का निर्णय है. किस तरह कांग्रेस ने शराब की कीमत बढ़ाई थी, इसका मेरे पास प्रमाण है. गृह मंत्री ने कहा कि अपने मुनाफे के लिए अवैध बिक्री बढ़ाने का काम किया. फरवरी में ऑनलाइन शराब बेचने की बात कांग्रेस ने कही थी. तत्कालीन सीएम उस समय महिलाओं को शराब आसानी से कैसे मिले यह बता रहे थे. अब हमसे पूछ रहे हैं, तो हम बता दें अमानक बिना डिग्री नापे शराब अगर जहरीली हो जाएगी, तो लोगों की जान चली जाएगी. पिछले 10 साल से कोई दुकान नहीं खुली है
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इस दौरान नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि एमपी से सटे हुए राज्य में प्रति लाख आबादी पर कितनी शराब दुकानें हैं.
- महाराष्ट्र में प्रति एक लाख की आबादी पर 21 दुकानें हैं.
- वहीं राजस्थान में प्रति एक लाख की आबादी पर 17 दुकानें हैं.
- यूपी में प्रति एक लाख की आबादी पर 12 दुकाने हैं.
- जबकि मध्यप्रदेश में प्रति एक लाख की आबादी पर सिर्फ चार दुकानें हैं.
अब यह समानता और विसंगति कभी-कभी पड़ोस के राज्यों को राज्य के अंदर शराब लाने के लिए प्रोत्साहित करती है. उन्होंने कहा कि हम नहीं चाहते हैं कि इस तरह घातक शराब आए,इसलिए बैठक में सुझाव दिया था कि शराब की दुकानों की संख्या बढ़ना चाहिए, ज्यादा दूरी पर नहीं रखना चाहिए.