भोपाल। सत्ता में बैठे लोग भी अंधविश्वास और मिथक में भरोसा करते हैं. इसकी बानगी मध्यप्रदेश में दिखी है, जहां सरकार ने पिछले 6 महीने से चल रही विमान खरीद प्रक्रिया को रद्द कर दिया है. सरकार यह विमान अमेरिकी कंपनी टेक्सट्रॉन से खरीदने जा रही थी. अब इसके स्थान पर नया विमान खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इसे पूरा होने में कम से कम एक साल लगेगा यानी नई सरकार के सत्ता में आने के बाद ही उड़नखटोला आएगा. इस सारी कवायद के पीछे वह मिथक जिम्मेदार है, जिसमें माना जाता है कि जिस सरकार ने भी नया विमान या हेलिकॉप्टर खरीदा, उसे सत्ता से बाहर जाना पड़ा.
विमान में इतनी खूबियां: नया विमान न्यू मिड और सुपर मिड साइज डबल इंजन जेट होगा. शिवराज सरकार की कोशिश ऐसा विमान खरीदने की है, जिसका फ्लोर फ्लैट हो और केबिन की ऊंचाई कम से कम 6 फीट हो. इसमें कम से कम 8 से 10 लोग बैठ सकें. खासतौर से यह छोटी हवाई पट्टियों से भी उडान भरने में सक्षम हो. विशेषकर 5 हजार फीट के रनवे से भी यह टेक ऑफ और लैंड ऑन कर सके. एक बार में इसकी कम से कम 2 हजार किलोमीटर की फ्लाइंग क्षमता हो. डीजीसीए की गाइडलाइन के मुताबिक विमान दूसरी आधुनिक तकनीकों से भी लैस होना चाहिए. सरकार की कोशिश 150 करोड़ रुपए तक में ही सौदा तय करने की है. विमान खरीदने के लिए टेंडर जारी कर दिया गया है. सरकार की इच्छा है कि एक साल में विमान खरीदी की प्रकिया पूरी हो जानी चाहिए.
पुराना फैसला बदला: इससे पहले राज्य सरकार ने विमान खरीदने के लिए 6 महीने पूर्व टेंडर प्रक्रिया शुरू की थी. बताया जाता है कि इसको लेकर बहुत ज्यादा कंपनियों ने रूचि नहीं दिखाई थी. सिर्फ अमेरिका की टेक्सट्रॉन कंपनी ही विमान सप्लाई के लिए आगे आई थी. सौदा खत्म होने तक इसकी कीमत 200 करोड़ पहुंचने की संभावना थी. टेंडर प्रक्रिया में सिर्फ एक कंपनी के शामिल होने और अन्य कारणों से इस टेंडर प्रक्रिया को निरस्त कर दिया गया.
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कमलनाथ सरकार ने खरीदा था विमान: इससे पहले कमलनाथ सरकार ने 100 करोड़ रुपए की लागत से एक विमान खरीदा था. लेकिन यह साल 2021 में ग्वालियर में रनवे पर लैडिंग के वक्त दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. प्रदेश के विमानन विभाग के पास अभी सिर्फ एक हेलिकॉप्टर है. इस हेलिकॉप्टर में भी रात में हवाई यात्रा नहीं की जा सकती. इसके चलते राज्य सरकार हवाई सफर के लिए लगातार किराए पर विमान लेती रही है.
जुड़े हैं ये मिथक: सरकार की कोशिश है कि विमान की खरीदी प्रक्रिया अभी शुरू हो, लेकिन इसकी डिलेवरी अगले साल ही हो. तब तक प्रदेश में नई सरकार का गठन हो जाएगा. इसके पीछे की वजह नए विमान खरीदी को लेकर मिथक है. माना जाता है कि प्रदेश में जिस मुख्यमंत्री ने नया विमान खरीदा, उसकी सरकार सत्ता में नहीं लौटी. 2003-04 में दिग्विजय सिंह सरकार ने हेलिकॉप्टर खरीदा था, लेकिन इसके बाद मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार आ गई. ऐसा ही कमलनाथ सरकार के समय हुआ. कमलनाथ ने सत्ता में आने के बाद 100 करोड़ में नया विमान खरीदा, लेकिन वह इस विमान में सफर नहीं कर सके. विमान आने के बाद उनकी सरकार चली गई. इसी वजह से शिवराज सरकार चाहती है कि नए विमान की डिलीवरी विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद ही हो.