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सरकार में आते ही अथिति विद्वानों को भूले शिवराज

भोपाल में अतिथि विद्वानों ने सीएम शिवराज सिंह चौहान पर किए हुए वादों को भूलने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि सत्ता में आने से पहले चौहान ने जो वादा किया था, उन्होंने वह वादा पूरा नहीं किया है.

shivraj singh chauhan in protest
शिवराज सिंह चौहान
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Published : May 29, 2021, 7:48 PM IST

भोपाल। शिवराज सिंह चौहान पर सत्ता में आते ही अतिथि विद्वानों को भूलने का आरोप लगा है. दरअसल, साल 2019 में जब प्रदेश में कमलनाथ सरकार थी, और कांग्रेस ने विपक्ष में रहते हुए 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ा था. उस समय कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में अतिथि विद्वानों की मांगों को पूरा करने का वचन दिया था. सत्ता में आते ही कांग्रेस अतिथि विद्वानों को दिए हुए वचनों का पालन नहीं करने के कारण अतिथि विद्वानों ने छिंदवाड़ा से एक मोर्चा निकालकर भोपाल के शाहजहानी पार्क में लगभग 140 दिन लगातार धरना दिया. इस धरने में 16 दिसम्बर 2019 को प्रदेश के मुख्यमंत्री जो उस समय विपक्ष के बड़े नेता के रूप में उस धरना आंदोलन में शामिल हुए.

16 दिसम्बर 2019 को शिवराज सिंह चौहान ने किया था समर्थन.

बेरोजगार हुए अतिथि विद्वान
उन्होंने अतिथि विद्वानों की मांगों को पूरा करने की बात मंच से कही. उसके बाद विधानसभा सत्र में भी शिवराज ने अतिथि विद्वानों की बात को उठाया. नैतिकता की बात करने वाली भाजपा इस पूरे प्रदर्शन के दौरान अतिथि विद्वानों के साथ खड़ी दिखी. परंतु 2020 में जब खुद मध्य प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई, उसके बाद अतिथि विद्वानों के मुद्दे को और उनकी समस्याओं को दरकिनार कर दिया. इस कोरोना काल के समय में एक आदेश निकालकर प्रदेश के बहुत से अतिथि विद्वानों को बेरोजगार कर दिया है.

कोरोना काल में 17 अतिथि विद्वान ने छोड़ी दुनिया
महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण मुद्दे पर उस समय विपक्ष में रहते शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने खुल कर आंदोलन के मंच का प्रयोग किया पर आज तक उन्हीं अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है. आलम यह है कि कोरोना की महामारी के कारण लगभग 17 अतिथि विद्वान इस दुनिया को छोड़ चुके हैं. उनके लिये अभी तक सरकार अनुकंपा नियुक्ति और किसी प्रकार की सहायता की बात सरकार द्वारा नहीं की गई है. सैकड़ों अतिथि विद्वान फालेन आउट होकर डेढ़ वर्ष से लगातार आत्महत्या करने पर मजबूर हैं, लेकिन सरकार का कोई ध्यान इस ओर नहीं है.

मंजूरी के बाद 450 पद पड़े खाली
पूर्व कमलनाथ सरकार में ही 450 पदों की मंजूरी मिल चुकी थी, लेकिन आज तक उसमें भी भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई जो सरकार को कटघरे में खड़ा करती है. संघ के अध्यक्ष और मोर्चा संयोजक डॉ. देवराज सिंह ने बताया कि 26 वर्षों से उच्च शिक्षा को अतिथि विद्वान ही संभाल रहे हैं. आज तक सरकार अतिथि विद्वानों का भविष्य सुरक्षित नहीं कर पाई है. 2019 के आंदोलन लगभग 140 दिन शाहजहांनी पार्क भोपाल में चला. इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित डॉ. नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव आदि वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने हमसे भविष्य सुरक्षित का वादा किया था लेकिन इस तरफ एक भी कदम नहीं उठाए हैं.

अतिथि शिक्षकों के हड़ताल का आज तीसरा दिन,मानदेय बढ़ाने की कर रहे मांग

डॉ. देवराज सिंह ने बताया कि दोनों सरकारों के बीच अतिथि विद्वान पिस गए हैं. आज तक अतिथि विद्वानों की दशा दुर्दशा पर उनकी निगाह नहीं गई. आज लगभग 600 से 700 विद्वान बेरोजगारी के कारण लगातार आत्महत्या कर रहे हैं. आलम यह है की लगभग 28 से 30 अतिथि विद्वान शहीद भी हो चुके हैं. सरकार के पास 450 पदों की कैबिनेट से मंजूरी के बाद भी भर्ती प्रक्रिया शुरू न होना समझ से परे है.

भोपाल। शिवराज सिंह चौहान पर सत्ता में आते ही अतिथि विद्वानों को भूलने का आरोप लगा है. दरअसल, साल 2019 में जब प्रदेश में कमलनाथ सरकार थी, और कांग्रेस ने विपक्ष में रहते हुए 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ा था. उस समय कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में अतिथि विद्वानों की मांगों को पूरा करने का वचन दिया था. सत्ता में आते ही कांग्रेस अतिथि विद्वानों को दिए हुए वचनों का पालन नहीं करने के कारण अतिथि विद्वानों ने छिंदवाड़ा से एक मोर्चा निकालकर भोपाल के शाहजहानी पार्क में लगभग 140 दिन लगातार धरना दिया. इस धरने में 16 दिसम्बर 2019 को प्रदेश के मुख्यमंत्री जो उस समय विपक्ष के बड़े नेता के रूप में उस धरना आंदोलन में शामिल हुए.

16 दिसम्बर 2019 को शिवराज सिंह चौहान ने किया था समर्थन.

बेरोजगार हुए अतिथि विद्वान
उन्होंने अतिथि विद्वानों की मांगों को पूरा करने की बात मंच से कही. उसके बाद विधानसभा सत्र में भी शिवराज ने अतिथि विद्वानों की बात को उठाया. नैतिकता की बात करने वाली भाजपा इस पूरे प्रदर्शन के दौरान अतिथि विद्वानों के साथ खड़ी दिखी. परंतु 2020 में जब खुद मध्य प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई, उसके बाद अतिथि विद्वानों के मुद्दे को और उनकी समस्याओं को दरकिनार कर दिया. इस कोरोना काल के समय में एक आदेश निकालकर प्रदेश के बहुत से अतिथि विद्वानों को बेरोजगार कर दिया है.

कोरोना काल में 17 अतिथि विद्वान ने छोड़ी दुनिया
महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण मुद्दे पर उस समय विपक्ष में रहते शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने खुल कर आंदोलन के मंच का प्रयोग किया पर आज तक उन्हीं अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है. आलम यह है कि कोरोना की महामारी के कारण लगभग 17 अतिथि विद्वान इस दुनिया को छोड़ चुके हैं. उनके लिये अभी तक सरकार अनुकंपा नियुक्ति और किसी प्रकार की सहायता की बात सरकार द्वारा नहीं की गई है. सैकड़ों अतिथि विद्वान फालेन आउट होकर डेढ़ वर्ष से लगातार आत्महत्या करने पर मजबूर हैं, लेकिन सरकार का कोई ध्यान इस ओर नहीं है.

मंजूरी के बाद 450 पद पड़े खाली
पूर्व कमलनाथ सरकार में ही 450 पदों की मंजूरी मिल चुकी थी, लेकिन आज तक उसमें भी भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई जो सरकार को कटघरे में खड़ा करती है. संघ के अध्यक्ष और मोर्चा संयोजक डॉ. देवराज सिंह ने बताया कि 26 वर्षों से उच्च शिक्षा को अतिथि विद्वान ही संभाल रहे हैं. आज तक सरकार अतिथि विद्वानों का भविष्य सुरक्षित नहीं कर पाई है. 2019 के आंदोलन लगभग 140 दिन शाहजहांनी पार्क भोपाल में चला. इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित डॉ. नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव आदि वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने हमसे भविष्य सुरक्षित का वादा किया था लेकिन इस तरफ एक भी कदम नहीं उठाए हैं.

अतिथि शिक्षकों के हड़ताल का आज तीसरा दिन,मानदेय बढ़ाने की कर रहे मांग

डॉ. देवराज सिंह ने बताया कि दोनों सरकारों के बीच अतिथि विद्वान पिस गए हैं. आज तक अतिथि विद्वानों की दशा दुर्दशा पर उनकी निगाह नहीं गई. आज लगभग 600 से 700 विद्वान बेरोजगारी के कारण लगातार आत्महत्या कर रहे हैं. आलम यह है की लगभग 28 से 30 अतिथि विद्वान शहीद भी हो चुके हैं. सरकार के पास 450 पदों की कैबिनेट से मंजूरी के बाद भी भर्ती प्रक्रिया शुरू न होना समझ से परे है.

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