भोपाल। मध्यप्रदेश में शिल्पकला, हस्तकला और कई हुनर को निखारने और बढ़ावा देने के लिए मध्य प्रदेश में सात जगहों पर शिल्पग्राम बनाए जाएंगे. हथकरघा और हस्तशिल्प संचालनालय ने इसके लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है. यह शिल्पग्राम ऐसे जगहों पर बनाए जाएंगे, जहां बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं.
किया जाएगा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार
कान्हा और बांधवगढ़ नेशनल टाइगर रिजर्व होने की वजह से वहां बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं. इसी तरह मुरैना में भी शिल्पग्राम बनाया जाएगा, क्योंकि वहां से बड़ी संख्या में आगरा से सड़क मार्ग से लोग ग्वालियर जाते हैं. शिल्पग्राम में काश्तकारों का हुनर देखने को मिलेगा.
शिल्पग्राम में मध्य प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों के शिल्पकारों के हुनर को प्रदर्शित किया जाएगा. यहां काश्तकारों को शिल्प तैयार करते न सिर्फ पर्यटक देख सकेंगे, बल्कि सामानों को सीधा खरीदा भी जा सकेगा. इसके लिए इन शिल्प ग्रामों में पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा.
दी जा रही ट्रेनिंग
अब हथकरघा और हस्तशिल्प संचालनालय प्रदेश के कलाकारों की हुनर की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कौशल नंदन का भी काम कर रही है. इसके लिए देश के बड़े शहरों से मास्टरक्राफ्ट मैन को बुलाकर उनकी ट्रेनिंग कराई जा रही है, ताकि समय के साथ क्राफ्ट को और आकर्षक बनाया जा सके.
प्रदेश में करीब 60 हजार शिल्पी सक्रिय
मध्य प्रदेश में हाथकरघा से करीब 61000 लोग जुड़े हुए हैं. मध्य प्रदेश हाथकरघा और हस्तशिल्प संचालनालय के मुताबिक मध्य प्रदेश में अलग-अलग कलस्टर में 30106 करघे स्थापित हैं. इनमें से 16 हजार करघे संचालित हैं. जिनमें चंदेरी में 10700, महेश्वर में 5000, सारंगपुर में 1575 और ग्वालियर में 4000 बुनकर कार्यरत हैं.