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द्वारका-शारदा पीठ शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने राम मंदिर से जुड़ी किस बात पर कहा कि अब ये अवसर खत्म

Sadanand Saraswati Interview: द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने ईटीवी भारत की ब्यूरो चीफ शेफाली पांडे से बात की. इस दौरान उन्होंने बताया कि शंकराचार्यों के बीच कोई विवाद नहीं है. जानिए और क्या बोले सदानंद सरस्वती...

Sadanand Saraswati Interview
शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने की ईटीवी भारत से बात
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 16, 2024, 6:26 PM IST

Updated : Jan 16, 2024, 10:32 PM IST

शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने की ईटीवी भारत से बात

भोपाल। द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने मंदिर का निर्माण पूर्ण हो जाने से पहले राम लला की प्राठ प्रतिष्ठा किए जाने पर कहा है कि ये पहले विचार किया जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि अब तो मंगलाचरण शुरु हो चुका है. उन्होंने कहा कि धर्म शास्त्र का आलंबन करके जो आचार्य आपके बीच हैं. आप उनको इसीलिए मानते हैं कि वे आपको दिशा निर्देश दें, लेकिन मनमाना ना दें. ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर में होने जा रही प्राण प्रतिष्ठा के विषय में शंकराचार्यों के बीच विवाद की स्थिति नहीं है. ना कोई पक्ष में है ना विरोध में. राम जन्मभूमि में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के संबंध में सभी शंकराचार्य एक मत हैं.

किस बात पर सभी शंकराचार्य एक मत ?

देश की चारों पीठ के शंकराचार्य अयोध्या में हो रही भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे. द्वारका पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती से ईटीवी भारत का प्रश्न था कि दो शंकराचार्य विरोध और दो पक्ष में हैं. क्या शंकराचार्यं के बीच भी विवाद की स्थिति. उन्होंने कहा कि कोई विवाद नहीं है ना कोई पक्ष में है. ना कोई विरोध में है. श्री राम के मंदिर का संकल्प सभी का था. शास्त्र की बात आचार्य ही करते हैं. शंकराचार्य हैं उनको धर्म शास्त्र के अनुसार चलना पड़ता है.

शंकराचार्य ने कहा कि आप लोग इसीलिए मानते हैं कि आपको दिशा निर्देश दें. दिशा निर्देश भी कैसा दें मनमाना ना दें. वेदोक्त शास्त्रोक्त हमारा सनातन धर्म है. ये तो विधि निषेध है. ये करो ये मत करो. ये खाओ ये मत खाओ. यहां जाओ यहां मत जाओ. ये बोलो ये मत बोलो. ये सब विधान है. काम चार काम वाद काम भक्ष तीनों का निषेध है, राम के संबंध में वो बताना हम लोगों का कर्तव्य होता है. जन्मभूमि के संबंध में सब एक हैं. चारों शंकराचार्यों में कोई मतभेद नहीं है. चारों मठ एक हैं. उनकी स्थापना करने वाले एक हैं. उनके जो सिद्धांत हैं, वो चारों में विभाजित हुए हैं. एक ही परमात्मा चार रुप में अवतरित हुआ है. एक ही चेतन विभाजित हुआ है, चार में राम, भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न जैसे इनमें कोई अलग नहीं है, तो इसी तरह से चारों मठों का जो सिद्धांत है. वो एक है.

अयोध्या मंदिर से जुड़ी किस बात पर कहा...ये अवसर नहीं

द्वारका पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती से सवाल था क्या अधूरे मंदिर में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा में पूछा गया कि क्या ये शास्त्र सम्मत है. शंकराचार्य का कहना है कि अब ये अवसर नहीं है, संकल्प हो चुका है काशी से ब्राह्मण पहुंच गए हैं. दक्षिण भारत से ब्राह्मण पहुंच गए हैं, मंगलाचरण हो गया है. इन बातों पर पहले विचार किया जा सकता था. लेकिन जो ब्राह्मण काशी और दक्षिण भारत से आए विद्वान हैं. वो ज्ञानवान हैं. फिर विकल्प बहुत होते हैं.

क्यों कहा सोमनाथ मंदिर में वल्लभभाई पटेल भी गए

शंकराचार्य ने कहा कि ठीक है दर्शन करने के लिए प्रधानमंत्री जा रहे हैं. सोमनाथ का जीर्णोध्दार हुआ, तो डॉ राजेन्द्र प्रसाद सरदार वल्लभभाई पटेल गए.पीएम मोदी के विषय में उन्होंने कहा कि वे देश के प्रधानमंत्री हैं. देश के प्रतिनिधि हैं. प्रजा के प्रतिनिधि हैं. जब राजा धर्मात्मा होता है, तो प्रजा धर्मात्मा होती है. राजा धरमात्मा होता है तो प्रजा में धर्म का आगमन होता है.

राम की कृपा प्राप्त करें

शंकराचार्य ने ईटीवी भारत के माध्यम से देश वासियों को दिए अपने संदेश में कहा सभी राम भक्तों को यही संदेश होगा, सारे भेद भाव मिटाकर आगे बढ़ें. परामात्मा का ये जो अवसर प्राप्त हुआ है. उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि से स्वाभाविक आकर्षण है. हम जुड़े हुए हैं. परमात्मा भगवान राम के हजारों लाखों मंदिर है. राम जन्म भूमि से हमारे तार जुड़े हैं. हमारा अंतकरण जुड़ा है. उस भूमि पर जीर्णोद्धार होकर मंदिर का निर्माण हो रहा है. परमात्मा श्री राम वहां अभिव्यक्त हो रहे हैं. कौशल्या के गोद में आ रहे हैं. निरंजन निर्गुण जो निर्गुण निराकार है वो हमारे आपके कल्याण के लिए सगुण साकार होकर के आ रहा है. इसमें कहां राजनीति के पचड़े में पड़ते हैं लोग. उनकी कृपा प्राप्त करनी चाहिए.

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शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने की ईटीवी भारत से बात

भोपाल। द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने मंदिर का निर्माण पूर्ण हो जाने से पहले राम लला की प्राठ प्रतिष्ठा किए जाने पर कहा है कि ये पहले विचार किया जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि अब तो मंगलाचरण शुरु हो चुका है. उन्होंने कहा कि धर्म शास्त्र का आलंबन करके जो आचार्य आपके बीच हैं. आप उनको इसीलिए मानते हैं कि वे आपको दिशा निर्देश दें, लेकिन मनमाना ना दें. ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर में होने जा रही प्राण प्रतिष्ठा के विषय में शंकराचार्यों के बीच विवाद की स्थिति नहीं है. ना कोई पक्ष में है ना विरोध में. राम जन्मभूमि में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के संबंध में सभी शंकराचार्य एक मत हैं.

किस बात पर सभी शंकराचार्य एक मत ?

देश की चारों पीठ के शंकराचार्य अयोध्या में हो रही भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे. द्वारका पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती से ईटीवी भारत का प्रश्न था कि दो शंकराचार्य विरोध और दो पक्ष में हैं. क्या शंकराचार्यं के बीच भी विवाद की स्थिति. उन्होंने कहा कि कोई विवाद नहीं है ना कोई पक्ष में है. ना कोई विरोध में है. श्री राम के मंदिर का संकल्प सभी का था. शास्त्र की बात आचार्य ही करते हैं. शंकराचार्य हैं उनको धर्म शास्त्र के अनुसार चलना पड़ता है.

शंकराचार्य ने कहा कि आप लोग इसीलिए मानते हैं कि आपको दिशा निर्देश दें. दिशा निर्देश भी कैसा दें मनमाना ना दें. वेदोक्त शास्त्रोक्त हमारा सनातन धर्म है. ये तो विधि निषेध है. ये करो ये मत करो. ये खाओ ये मत खाओ. यहां जाओ यहां मत जाओ. ये बोलो ये मत बोलो. ये सब विधान है. काम चार काम वाद काम भक्ष तीनों का निषेध है, राम के संबंध में वो बताना हम लोगों का कर्तव्य होता है. जन्मभूमि के संबंध में सब एक हैं. चारों शंकराचार्यों में कोई मतभेद नहीं है. चारों मठ एक हैं. उनकी स्थापना करने वाले एक हैं. उनके जो सिद्धांत हैं, वो चारों में विभाजित हुए हैं. एक ही परमात्मा चार रुप में अवतरित हुआ है. एक ही चेतन विभाजित हुआ है, चार में राम, भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न जैसे इनमें कोई अलग नहीं है, तो इसी तरह से चारों मठों का जो सिद्धांत है. वो एक है.

अयोध्या मंदिर से जुड़ी किस बात पर कहा...ये अवसर नहीं

द्वारका पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती से सवाल था क्या अधूरे मंदिर में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा में पूछा गया कि क्या ये शास्त्र सम्मत है. शंकराचार्य का कहना है कि अब ये अवसर नहीं है, संकल्प हो चुका है काशी से ब्राह्मण पहुंच गए हैं. दक्षिण भारत से ब्राह्मण पहुंच गए हैं, मंगलाचरण हो गया है. इन बातों पर पहले विचार किया जा सकता था. लेकिन जो ब्राह्मण काशी और दक्षिण भारत से आए विद्वान हैं. वो ज्ञानवान हैं. फिर विकल्प बहुत होते हैं.

क्यों कहा सोमनाथ मंदिर में वल्लभभाई पटेल भी गए

शंकराचार्य ने कहा कि ठीक है दर्शन करने के लिए प्रधानमंत्री जा रहे हैं. सोमनाथ का जीर्णोध्दार हुआ, तो डॉ राजेन्द्र प्रसाद सरदार वल्लभभाई पटेल गए.पीएम मोदी के विषय में उन्होंने कहा कि वे देश के प्रधानमंत्री हैं. देश के प्रतिनिधि हैं. प्रजा के प्रतिनिधि हैं. जब राजा धर्मात्मा होता है, तो प्रजा धर्मात्मा होती है. राजा धरमात्मा होता है तो प्रजा में धर्म का आगमन होता है.

राम की कृपा प्राप्त करें

शंकराचार्य ने ईटीवी भारत के माध्यम से देश वासियों को दिए अपने संदेश में कहा सभी राम भक्तों को यही संदेश होगा, सारे भेद भाव मिटाकर आगे बढ़ें. परामात्मा का ये जो अवसर प्राप्त हुआ है. उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि से स्वाभाविक आकर्षण है. हम जुड़े हुए हैं. परमात्मा भगवान राम के हजारों लाखों मंदिर है. राम जन्म भूमि से हमारे तार जुड़े हैं. हमारा अंतकरण जुड़ा है. उस भूमि पर जीर्णोद्धार होकर मंदिर का निर्माण हो रहा है. परमात्मा श्री राम वहां अभिव्यक्त हो रहे हैं. कौशल्या के गोद में आ रहे हैं. निरंजन निर्गुण जो निर्गुण निराकार है वो हमारे आपके कल्याण के लिए सगुण साकार होकर के आ रहा है. इसमें कहां राजनीति के पचड़े में पड़ते हैं लोग. उनकी कृपा प्राप्त करनी चाहिए.

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Last Updated : Jan 16, 2024, 10:32 PM IST
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