भोपाल। सूर्य पुत्र शनिदेव से नजरें मिलाकर पूजा नहीं की जाती, इनकी आंखों में झांकने की मनाही है- अकसर लोग ऐसा कहते और सुनते रहते हैं. लेकिन क्या आपने जाना ऐसा क्यों? इससे जुड़ी कहानी बड़ी रोचक है. जो पत्नी की नाराजगी और पति के मान मनौवल के मानवीय पहलू को छूती है.
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शनिदेव बुरे कर्म करने वाले को कभी बख्शते नहीं है. इसी गुण के कारण मनुष्य क्या देवता भी उनसे डरते हैं. लेकिन क्या आपको मालूम है कि शनिदेव को भी अपनी गलती के लिए श्राप का भागी होना पड़ा था. आइए जानते हैं इस पौराणिक कथा को.
ब्रह्मपुराण की कथा
ब्रह्मपुराण में इसका वर्णन है. शनिदेव बचपन से ही भगवान कृष्ण के परम भक्त थे. वो अपना अधिकांश समय कृष्ण भक्ति में ही बिताते थे. युवावस्था में उनका विवाह चित्ररथ की कन्या से कर दिया गया. शनिदेव की पत्नी परम् पति व्रता और तेजस्वी थी. परंतु शनिदेव विवाह के बाद भी सारा दिन भगवान कृष्ण की आराधना में ही लगे रहते थे. एक रात शनिदेव की पत्नी ऋतु स्नान करके शनिदेव के पास पुत्र प्राप्ति की इच्छा से गईं. लेकिन ध्यान में मग्न शनि देव ने उनकी ओर देखा तक नहीं. इसे अपना अपमान समझकर उनकी पत्नी ने शनिदेव को श्राप दे दिया.
श्राप, पश्चाताप सब बेकार
पत्नी ने श्राप दिया कि वो जिसे भी नज़र उठा कर देखेंगे वो नष्ट हो जाएगा. ध्यान टूटने पर शनिदेव ने अपनी पत्नी का मान मनौवल किया और अपनी गलती के लिए क्षमा भी मांगी. शनिदेव की पत्नी को भी अपनी गलती पर पश्चाताप होने लगा, लेकिन अपने श्राप को निष्फल करने की शक्ति उनके पास नहीं थी. तभी से शनिदेव सिर नीचा करके चलते हैं ताकि अकारण ही किसी का कोई अनिष्ट न हो.