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Shab E Barat: गुनाहों से तौबा की रात...बंदों पर बरसती है अल्लाह की रहमत

देश में शब-ए-बारात 7 मार्च को मनाई जाएगी. शब ए बारात मुस्लिमों का एक बड़ा त्यौहार है. इस्लाम के मुताबिक शब ए बारात को फैसलों की रात मानी जाती है, इस दिन तमाम लोगों के आमाल तय होते हैं. इस रात में अल्लाह पाक हर बंदे की दुआओं को कुबूल करता है और उसके गुनाहों को माफ करता है.

Shab e Barat celebrate on March 7
7 मार्च को मनाई जाएगी शब ए बारात
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Published : Mar 1, 2023, 10:37 PM IST

7 मार्च को मनाई जाएगी शब ए बारात

भोपाल। शब-ए-बारात इस्लाम मजहब की 4 सबसे मुकद्दस रातों में से एक है. इस साल 7 मार्च को शब ए बारात मनाई जाएगी (Shab E Barat 2023). शब ए बारात के मौके पर लोग घरों में मीठा हलवा, खीर, मिठाई इत्यादि पकवान बनाकर गरीबों में तकसीम करते हैं. देश भर की सभी मस्जिदों, खानकाहों में दुआए होती है. लोग कब्रिस्तान में जाकर रिश्तेदारो और अजीजों की कब्रों पर फातेहा पढ़ते हैं. यह भी माना जाता है कि इस रात में फरिश्ते दुनिया के सभी बंदों द्वारा साल भर में किए गए कामों का लेखा-जोखा अल्लाह के सामने पेश करते हैं. जिस पर अल्लाह पाक अपनी कुदरत से फैसले फरमाता है और बंदों को अपनी नेमतों और रहमतों से नवाजता है. इस रात को अल्लाह की इबादत कर गुनाहों की तौबा की जाती है.

कब मनाई जाती है शब-ए-बारात: इस्लामी कैलेंडर के 8वें महीने यानि शाबान महीने की 15वीं रात को शब-ए-बारात मनाई जाती है. इस दिन शिया मुसलमानों के 12वें इमाम मुहम्मद अल महदी पैदा हुए थे. यह रात सूरज के डूबने के बाद से शुरु होती है और सुबह फजिर के समय खत्म होती है. शब-ए-बारात की रात बंदे मस्जिदों और कब्रिस्तानों में जाकर अपने रिश्तेदारों, अजीजो-अकारिब की कब्रों पर फातिहा पढ़ते हैं और उनकी मगफिरत के लिए दुआ मांगते हैं.

क्यों मनाई जाती है शब-ए-बारात: इस्लाम में चार सबसे मुकद्दस रातें हैं, अशूरा, शब-ए-मेराज, शब-ए-बारात और शब-ए-कद्र. इन चार रातों के दौरान अल्लाह की इबादत की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि इन रातों पर अल्लाह की इबादत की जाए तो हर दुआ कबूल होती है, और अल्लाह बंदे के हर गुनाह को माफ कर देता है. इस दिन घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं. गरीबों में पैसा और खाना बांटा जाता है. इस दिन बंदे रोजा भी रखते हैं, यह रोजा रमजान की तरह फर्ज रोजा नहीं होता, रोजा रखने से सवाब मिलता है, लेकिन रोजा ना रखा जाए तो कोई गुनाह भी नहीं पड़ता.

रात भर अल्लाह की इबादत करेंगे बंदेः हर साल की तरह इस साल भी शब-ए-बारात पर रात में सभी मुस्लिम बंदे अनेक मस्जिदों और अपने घरों में शब-बेदारी रतजगा कर इबादत करेंगे. इसके साथ दरगाहों, कब्रिस्तानों में जाकर अपने पूर्वजों एवं परिजनों की कब्रों पर दरूद फातिहा पढ़ेंगे और वहां से लौटकर अपने-अपने मोहल्लों की मस्जिदों में इबादत करने सहित नफिल नमाजे और कुरआन पाक पढ़ेंगे. शब-ए-बारात में मुस्लिम पुरुष सारी रात जिकरे इलाही कर इबादत करेंगे. महिलाऐं और बच्चे भी घरों में दरूद पाक, कुरआन पाक की तिलावत कर इबादत करेंगे और यह सिलसिला अलसुबह तक जारी रहेगा. अनेक घरों में सेहरी,अफ्तारी और रोजा रखने का भी एहतेमाम किया जाएगा.

Also Read: धर्म से जुड़ी इन खबरों पर भी डालें एक नजर

खुशियां लेकर आती है शब-ए-बारात: इस रात का इंतेजार हर मुस्लिम बंदे को रहता है. पर्व को लेकर बच्चों में सबसे ज्यादा खुशी का माहौल होता है. शब-ए-बरात के ठीक 15 दिनों के बाद रमजान शुरू हो जाता है. तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं. मस्जिदों में नमाजों के अलावा महफिले मिलाद का भी आयोजन होता है, इमाम महदी अलैहिस्सलाम की शान में कसीदे पढ़े जाते हैं. इस दिन पटाखे और आतिशबाजी पर फिजूल खर्च करने से बचना चाहिए.

7 मार्च को मनाई जाएगी शब ए बारात

भोपाल। शब-ए-बारात इस्लाम मजहब की 4 सबसे मुकद्दस रातों में से एक है. इस साल 7 मार्च को शब ए बारात मनाई जाएगी (Shab E Barat 2023). शब ए बारात के मौके पर लोग घरों में मीठा हलवा, खीर, मिठाई इत्यादि पकवान बनाकर गरीबों में तकसीम करते हैं. देश भर की सभी मस्जिदों, खानकाहों में दुआए होती है. लोग कब्रिस्तान में जाकर रिश्तेदारो और अजीजों की कब्रों पर फातेहा पढ़ते हैं. यह भी माना जाता है कि इस रात में फरिश्ते दुनिया के सभी बंदों द्वारा साल भर में किए गए कामों का लेखा-जोखा अल्लाह के सामने पेश करते हैं. जिस पर अल्लाह पाक अपनी कुदरत से फैसले फरमाता है और बंदों को अपनी नेमतों और रहमतों से नवाजता है. इस रात को अल्लाह की इबादत कर गुनाहों की तौबा की जाती है.

कब मनाई जाती है शब-ए-बारात: इस्लामी कैलेंडर के 8वें महीने यानि शाबान महीने की 15वीं रात को शब-ए-बारात मनाई जाती है. इस दिन शिया मुसलमानों के 12वें इमाम मुहम्मद अल महदी पैदा हुए थे. यह रात सूरज के डूबने के बाद से शुरु होती है और सुबह फजिर के समय खत्म होती है. शब-ए-बारात की रात बंदे मस्जिदों और कब्रिस्तानों में जाकर अपने रिश्तेदारों, अजीजो-अकारिब की कब्रों पर फातिहा पढ़ते हैं और उनकी मगफिरत के लिए दुआ मांगते हैं.

क्यों मनाई जाती है शब-ए-बारात: इस्लाम में चार सबसे मुकद्दस रातें हैं, अशूरा, शब-ए-मेराज, शब-ए-बारात और शब-ए-कद्र. इन चार रातों के दौरान अल्लाह की इबादत की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि इन रातों पर अल्लाह की इबादत की जाए तो हर दुआ कबूल होती है, और अल्लाह बंदे के हर गुनाह को माफ कर देता है. इस दिन घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं. गरीबों में पैसा और खाना बांटा जाता है. इस दिन बंदे रोजा भी रखते हैं, यह रोजा रमजान की तरह फर्ज रोजा नहीं होता, रोजा रखने से सवाब मिलता है, लेकिन रोजा ना रखा जाए तो कोई गुनाह भी नहीं पड़ता.

रात भर अल्लाह की इबादत करेंगे बंदेः हर साल की तरह इस साल भी शब-ए-बारात पर रात में सभी मुस्लिम बंदे अनेक मस्जिदों और अपने घरों में शब-बेदारी रतजगा कर इबादत करेंगे. इसके साथ दरगाहों, कब्रिस्तानों में जाकर अपने पूर्वजों एवं परिजनों की कब्रों पर दरूद फातिहा पढ़ेंगे और वहां से लौटकर अपने-अपने मोहल्लों की मस्जिदों में इबादत करने सहित नफिल नमाजे और कुरआन पाक पढ़ेंगे. शब-ए-बारात में मुस्लिम पुरुष सारी रात जिकरे इलाही कर इबादत करेंगे. महिलाऐं और बच्चे भी घरों में दरूद पाक, कुरआन पाक की तिलावत कर इबादत करेंगे और यह सिलसिला अलसुबह तक जारी रहेगा. अनेक घरों में सेहरी,अफ्तारी और रोजा रखने का भी एहतेमाम किया जाएगा.

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खुशियां लेकर आती है शब-ए-बारात: इस रात का इंतेजार हर मुस्लिम बंदे को रहता है. पर्व को लेकर बच्चों में सबसे ज्यादा खुशी का माहौल होता है. शब-ए-बरात के ठीक 15 दिनों के बाद रमजान शुरू हो जाता है. तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं. मस्जिदों में नमाजों के अलावा महफिले मिलाद का भी आयोजन होता है, इमाम महदी अलैहिस्सलाम की शान में कसीदे पढ़े जाते हैं. इस दिन पटाखे और आतिशबाजी पर फिजूल खर्च करने से बचना चाहिए.

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