भोपाल। हाल ही में प्रदेश में सरकार ने दुर्गाउत्सव के मौके पर पंडालों के आयोजन के लिए अनुमति दे दी है, जिस वजह से मूर्तिकारों के बीच खुशी की लहर दौड़ी है. गणशोत्सव में हुए नुकसान की भरपाई के लिए मूर्तिकार एक बार फिर उमंग के साथ मूर्तियां बनाने में जुट गए हैं. लेकिन सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन में कहीं भी मूर्तियों की हाइट का जिक्र नहीं किया गया है. जिस वजह से उनके सामने एक बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है.
खुश हुए मूर्तिकार
सरकार द्वारा गाइडलाइन जारी होते ही मूर्तिकारों को काफी खुशी हुई. गणेशोत्सव और लॉकडाउन के दौरान हुए भारी नुकसान से मूर्तिकार हताश थे, जिसके बाद सरकार की इस घोषणा ने उनके मन में नई उमंग भरी और वे अब मूर्तियां बनाने में जुट गए हैं.
गाइडलाइन में नहीं हाइट का जिक्र
सरकार ने मूर्तिकारों को राहत देने जो अनुमति दी है, उसके लिए गाइडलाइन जारी की गई है. गाइडलाइन के तहत पंडालों में बिना मास्क के लोगों की एंट्री नहीं होगी. इस दौरान मंदिरों और झांकियों पर सिर्फ 100 लोग ही एक जगह पर एकत्रित हो सकेंगे. लेकिन इस गाइ़डलाइन में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि मूर्तियां कितनी बड़ी बनाई जाएं. ऐसे में मूर्तिकार असमंजस में हैं कि आखिर मूर्तियां कितनी बड़ी बनाई जाएं.
गौरतलब है कि गणेशोत्सव में सरकार ने दो फीट से ज्यादा बड़ी मूर्ति के निर्माण पर रोक लगा दी थी. ऐसे में मूर्तिकारों का मूर्ति की हाइट को लेकर परेशान होना स्वाभाविक है, क्योंकि अगर ज्यादा बड़ी मूर्तियां बन गईं और सरकार की गाइडलाइन में कम हाइट की मूर्तियों का जिक्र हुआ तो एक बार मूर्तिकारों को काफी नुकसान हो सकता है.
मूर्तिकारों ने खुद किया डिसाइड
दुर्गाउत्सव को अब ज्यादा समय नहीं बचा है और मूर्तिकारों को मूर्तियां बनाने में भी समय लगेगा. ऐसे में अब राजधानी भोपाल के मूर्तिकारों ने खुद ही डिसाइड कर 8 से 10 फीट की मूर्तियां बनाना शुरू कर दिया है.
हाइट पर की जा रही है चर्चा
कलेक्टर अविनाश लवानिया ने बताया कि पंडाल आयोजन के लिए गाइडलाइन जारी की गई है, उसमें 20 सितंबर के बाद और राहत मिलेगी. देवी दुर्गा की मूर्ति की साइज के लिए चर्चा शुरू कर दी गई है, जल्द इस पर निर्णय लिया जाएगा.
दुर्गा उत्सव से उम्मीद
गणेशोत्सव के मौके पर सरकार ने कोरोना वायरस के चलते सार्वजनिक मंच लगाने की इजाजत नहीं दी थी, जिस कारण लाखों रुपए की मूर्ति बच गई थी और मूर्तिकारों को काफी नुकसान था. भारी संख्या में बड़ी मूर्तियां बचने से मूर्तिकार लाखों रुपए के कर्जें में डूब गए हैं. अब नवरात्रि से थोड़ी आस जगी है, लेकिन उसमें भी नियम कायदे को लेकर असमंजस बना हुआ है. अगर जल्द ही सरकार ने मूर्तिकारों की समस्या पर ध्यान नहीं दिया तो एक बार फिर मूर्तिकारों को बड़ा नुकसान होगा.
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बता दें, राजधानी भोपाल में करीब दो हजार नवदुर्गा के पंडाल बनाए जाते हैं, जो की 24 से ज्यादा जगहों पर स्थापित होती हैं. सरकार द्वारा पंडालों के आयोजन से जहां खुशी की लहर है वहीं असमंजस भी. मूर्तिकारों को सिर्फ यही उम्मीद है कि उनके नुकसान की भरपाई हो जाए.