भोपाल। प्रदेश सरकार द्वारा आज से कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए करीब 6 महीने बाद स्कूल खोल दिए गए हैं. जिसका प्रदेशभर के अभिभावकों ने विरोध किया है. आज से प्रदेशभर के ज्यादातर सरकारी और प्राइवेट स्कूल खोले जाएंगे लेकिन रेग्युलर क्लासेस तो फिलहाल अब भी नहीं लगेंगी. हाल फिलहाल अभी सिर्फ दो घंटे का डाउट क्लीयरिंग सेशन होगा, जिसमें छात्र अपनी पढ़ाई में आ रही कठिनाइयों का हल समझने के लिए स्कूल पहुंचेंगे. हालांकि, बच्चों स्कूल जाने के लिए अभिभावकों की लिखित सहमति अनिवार्य है. स्कूल खोले जाने पर भोपाल नागरिक समिति के अध्यक्ष रमेश राठौर ने विरोध जताया है.
सरकार के स्कूल खोलने का विरोध करते हुए भोपाल नागरिक समिति के अध्यक्ष रमेश राठौर ने कहा है कि कोरोना संक्रमण के कारण एक तरफ विधानसभा का सत्र सिर्फ एक दिन का किया जा रहा है, तो वहीं दिल्ली में संसद सत्र भी जल्द समाप्त किया जा सकता है. अगर सरकार स्कूल खोलना चाहती है तो पहले उसे विधानसभा का सत्र पूरा चलने देना चाहिए और संसद सत्र को भी पूरे दिनों तक जारी रखना चाहिए. उसके बाद ही स्कूल को खोलने का निर्णय लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण की वैक्सीन जब तक बन नहीं जाती है तब तक स्कूल खोलने को लेकर किसी भी तरह का विचार नहीं होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि एक तरफ प्रदेश में सरकार चलाने वाले मंत्री, सांसद और विधायकों को हर तरह की सुरक्षा व्यवस्था मिली हुई है. संसद से लेकर प्रदेश की विधानसभा में संक्रमण से बचने के लिए हर तरह की व्यवस्था की जा रही है. इन सभी नेताओं के पास इलाज के लिए डॉक्टर उपलब्ध हैं. वहीं दूसरी ओर विधानसभा और संसद में बड़े-बड़े हॉल हैं, जहां सोशल डिस्टेंसिंग को आसानी से देखा जा सकता है, लेकिन इसके बावजूद भी संक्रमण का डर ऐसा है कि मंत्री, विधायक और सांसद भी न केवल विधानसभा का सत्र बल्कि संसद का सत्र भी जल्द समाप्त करने के लिए अपनी सहमति दे चुके हैं. क्योंकि उन्हें भी डर है कि कहीं विधानसभा या संसद भवन में संक्रमण न फैल जाएं. वहीं दूसरी ओर प्रदेश के लाखों बच्चों के लिए प्रदेशभर के सरकारी और प्राइवेट स्कूल खोलने की तैयारी की जा रही है, क्या ऐसी परिस्थितियों में स्कूल पहुंचने वाले उन बच्चों को संक्रमण का खतरा नहीं होगा.
इसके अलावा जो शिक्षक स्कूल में पहुंचेंगे क्या वे संक्रमित नहीं होंगे. इन सभी चीजों पर सरकार को विचार करना चाहिए. यह सिर्फ इसलिए किया जा रहा है ताकि स्कूल संचालकों को फायदा पहुंचाया जा सके.
सरकार द्वारा लगातार नई-नई गाइडलाइन जारी की जा रही है लेकिन स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई व्यवस्था नहीं की गई है और ना ही अब तक अधिकारियों ने इन व्यवस्थाओं का जायजा लिया है.
ऐसी परिस्थिति में अगर स्कूल भले ही आंशिक रूप से खोले जाते हैं तो उससे कहीं ना कहीं शिक्षक और छात्रों को संक्रमित होने का खतरा बना रहेगा. सरकार के द्वारा स्कूल खोलने का जो निर्णय लिया जा रहा है, उससे साफ कहा जा सकता है कि सिर्फ शिक्षा माफिया को फायदा पहुंचाने की यह एक कवायद है और हम इसका विरोध करते हैं. सरकार से मांग करते हैं कि जब तक स्थिति नियंत्रण में नहीं होती है तब तक स्कूलों को किसी भी हाल में ना खोला जाए.
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बता दें, शिक्षकों से मार्गदर्शन लेने के बाद बच्चे इस सेशन की अवधि के अलावा स्कूल में नहीं रुक सकेंगे. लेकिन अब इस व्यवस्था का विरोध भी शुरू हो गया है. अभिभावकों का मानना है कि शिक्षा विभाग के द्वारा जल्दबाजी में बिना सोचे-समझे ही निर्णय किया जा रहा है, जबकि भोपाल के अलावा प्रदेश के कई जिले ऐसे हैं जहां पर कोरोना वायरस से फैल रहा है और वहां पर अभी भी लगातार संक्रमित मरीज निकल रहे हैं.
ऐसी स्थिति में बच्चों की जान को जोखिम में डालना ठीक नहीं है. सरकार को अपने इस निर्णय पर तत्काल रोक लगानी चाहिए. यदि स्कूल शुरू होते हैं तो न केवल शिक्षकों को बल्कि वहां पहुंचने वाले छात्रों को भी संक्रमित होने का डर रहेगा, जिस से इनकार नहीं किया जा सकता है. इसलिए स्कूलों को पूरी तरह से ही बंद रखा जाए.