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Sawan Ka Somvar 2021: आखिर शिव को क्यों है प्रिय बेल पत्र? स्कंद पुराण में है इस राज का उल्लेख!

पुराण का अर्थ होता है सबसे पुरातन या प्राचीन. पुराण में हजारों नहीं लाखों साल की परम्परा, इतिहास, संस्कृति और वैदिक ज्ञान को समेटने का प्रयास किया गया. कुल 18 पुराण हैं इन्हीं में से एक है स्कंद पुराण. जिसमें शिव महिमा का बखान है. बताया गया है कि सावन मास (Sawan Ka Somvar 2021) में क्या करें क्या ना करें. जानिए इससे जुड़े कुछ तथ्य!

Sawan Ka Somvar 2021
शिव को क्यों है प्रिय बेल पत्र?
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Published : Jul 26, 2021, 6:59 AM IST

Updated : Jul 26, 2021, 7:06 AM IST

भोपाल। भगवान शिवशंकर को समर्पित है हिंदू कैलेंडर का पांचवा मास जिसे श्रावण या सावन कहते हैं. मां पार्वती के साथ भ्रमण पर निकलते हैं भोलेनाथ. व्रत त्योहार सभी इस तरह गढ़े गए हैं जिसमें महादेव की आराधना का उद्योग है. इस बार 29 दिन 25 जुलाई से शुरू होकर 22 अगस्त तक रहेगा श्रावण मास. कहा जाता है इन दिनों में की गई शिव पूजा से जाने-अनजाने में हुए पाप का अंत हो जाता है. इस महीने में क्या वर्जित और क्या अनुकरणीय है इस बात का उल्लेख स्कंद पुराण में है.

Om namah shivay
ओम नमः शिवाय

नक्षत्र आधारित है सावन मास (Its Nakshatra Based Month)

हिंदू पंचांग में सभी महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित हैं. हर महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है उस महीने का नाम उसी नक्षत्र के पर रखा गया है. श्रावण मास श्रवण नक्षत्र पर आधारित हैं. सावन महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में रहता है. इस नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा है. सावन महीने की पूर्णिमा तिथि पर श्रवण नक्षत्र के संयोग में रक्षाबंधन पर्व मनाया जाता है.

स्कंदपुराण कहता है... (What Does Skand Puran Says)

क्या करें- स्कंदपुराण के अनुसार सावन महीने में एकभुक्त व्रत करना चाहिए. यानी एक समय ही भोजन करना चाहिए. इसके साथ ही पानी में बिल्वपत्र या आंवला डालकर नहाना चाहिए. इससे जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं. इस महीने के दौरान भगवान विष्णु का वास जल में होता है. इसलिए इस महीने में तीर्थ के जल से नहाने का बहुत महत्व है. मंदिरों में या संतों को कपड़ों का दान देना चाहिए. इसके साथ ही चांदी के बर्तन में दूध, दही या पंचामृत का दान करें. तांबे के बर्तन में अन्न, फल या अन्य खाने की चीजों को रखकर दान करना चाहिए.

क्या न करें- पूरे महीने पत्तियों वाली सब्जियां नहीं खानी चाहिए. सात्विक भोजन करना चाहिए. मांसाहार और हर तरह के नशे से दूर रहना चाहिए. इस महीने में ज्यादा मसालेदार भोजन से भी बचना चाहिए. इसके साथ ही ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए. सावन महीने में भगवान शिव के साथ विष्णु जी के अभिषेक का भी बहुत महत्व है. सावन में शुक्र और भगवान विष्णु की पूजा करने से दांपत्य सुख बढ़ता है.

जाने क्यों है बाबा को प्रिय बेलपत्र (Why Shankar Loves Bael Patra)

स्कंद पुराण में बेलपत्र का जिक्र किया गया है. इस पुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने अपना पसीना पोंछकर फेंका जिसकी कुछ बूंदे मंदार पार्वती पर गिरी जिससे बेल के वृक्ष की उत्पत्ति हुई है. इस वृक्ष की जड़ों में गिरिजा, तना में माहश्वरी, शाखाओं में दक्षयायनी, पत्तियों में पार्वती और फूलों में गौरी का वास माना गया है. इसलिए भोलेनाथ को बेलपक्ष अति प्रिय हैं,

विष्णु के श्रीधर रूप को पूजा जाता है (Sridhar Form Of Vishnu Worshipped)

सावन महीने के देवता शुक्र हैं और शिवजी के साथ इस महीने भगवान विष्णु के श्रीधर रूप की पूजा करनी चाहिए. इसलिए सावन में भगवान शिव, विष्णु और शुक्र की पूजा के साथ व्रत करने का महत्व बताया गया है. इनकी आराधना के दौरान कुछ नियमों का भी ध्यान रखना चाहिए.

भोपाल। भगवान शिवशंकर को समर्पित है हिंदू कैलेंडर का पांचवा मास जिसे श्रावण या सावन कहते हैं. मां पार्वती के साथ भ्रमण पर निकलते हैं भोलेनाथ. व्रत त्योहार सभी इस तरह गढ़े गए हैं जिसमें महादेव की आराधना का उद्योग है. इस बार 29 दिन 25 जुलाई से शुरू होकर 22 अगस्त तक रहेगा श्रावण मास. कहा जाता है इन दिनों में की गई शिव पूजा से जाने-अनजाने में हुए पाप का अंत हो जाता है. इस महीने में क्या वर्जित और क्या अनुकरणीय है इस बात का उल्लेख स्कंद पुराण में है.

Om namah shivay
ओम नमः शिवाय

नक्षत्र आधारित है सावन मास (Its Nakshatra Based Month)

हिंदू पंचांग में सभी महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित हैं. हर महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है उस महीने का नाम उसी नक्षत्र के पर रखा गया है. श्रावण मास श्रवण नक्षत्र पर आधारित हैं. सावन महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में रहता है. इस नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा है. सावन महीने की पूर्णिमा तिथि पर श्रवण नक्षत्र के संयोग में रक्षाबंधन पर्व मनाया जाता है.

स्कंदपुराण कहता है... (What Does Skand Puran Says)

क्या करें- स्कंदपुराण के अनुसार सावन महीने में एकभुक्त व्रत करना चाहिए. यानी एक समय ही भोजन करना चाहिए. इसके साथ ही पानी में बिल्वपत्र या आंवला डालकर नहाना चाहिए. इससे जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं. इस महीने के दौरान भगवान विष्णु का वास जल में होता है. इसलिए इस महीने में तीर्थ के जल से नहाने का बहुत महत्व है. मंदिरों में या संतों को कपड़ों का दान देना चाहिए. इसके साथ ही चांदी के बर्तन में दूध, दही या पंचामृत का दान करें. तांबे के बर्तन में अन्न, फल या अन्य खाने की चीजों को रखकर दान करना चाहिए.

क्या न करें- पूरे महीने पत्तियों वाली सब्जियां नहीं खानी चाहिए. सात्विक भोजन करना चाहिए. मांसाहार और हर तरह के नशे से दूर रहना चाहिए. इस महीने में ज्यादा मसालेदार भोजन से भी बचना चाहिए. इसके साथ ही ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए. सावन महीने में भगवान शिव के साथ विष्णु जी के अभिषेक का भी बहुत महत्व है. सावन में शुक्र और भगवान विष्णु की पूजा करने से दांपत्य सुख बढ़ता है.

जाने क्यों है बाबा को प्रिय बेलपत्र (Why Shankar Loves Bael Patra)

स्कंद पुराण में बेलपत्र का जिक्र किया गया है. इस पुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने अपना पसीना पोंछकर फेंका जिसकी कुछ बूंदे मंदार पार्वती पर गिरी जिससे बेल के वृक्ष की उत्पत्ति हुई है. इस वृक्ष की जड़ों में गिरिजा, तना में माहश्वरी, शाखाओं में दक्षयायनी, पत्तियों में पार्वती और फूलों में गौरी का वास माना गया है. इसलिए भोलेनाथ को बेलपक्ष अति प्रिय हैं,

विष्णु के श्रीधर रूप को पूजा जाता है (Sridhar Form Of Vishnu Worshipped)

सावन महीने के देवता शुक्र हैं और शिवजी के साथ इस महीने भगवान विष्णु के श्रीधर रूप की पूजा करनी चाहिए. इसलिए सावन में भगवान शिव, विष्णु और शुक्र की पूजा के साथ व्रत करने का महत्व बताया गया है. इनकी आराधना के दौरान कुछ नियमों का भी ध्यान रखना चाहिए.

Last Updated : Jul 26, 2021, 7:06 AM IST
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