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Sankashti Chaturthi 2022: संकष्टी चतुर्थी 12 नवंबर को, जानें इस व्रत का महत्व व पूजा विधि - संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व व पूजा विधि

संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2022) 12 नवंबर को है. भगवान गणेश से संकट निवारण के लिए इस दिन प्रार्थना की जाती है. संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा होती है. मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से भगवान गणेश की पूजा करने से आपके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. इसलिए इस दिन को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. चलिए संकष्टी चतुर्थी व्रत का विधि विधान और कथा के बारे में जानते हैं.

Sankashti Chaturthi 2022
संकष्टी चतुर्थी इस माह 12 नवंबर को
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Published : Nov 10, 2022, 6:35 PM IST

भोपाल। संकष्टी चतुर्थी के दिन दिन सभी देवी -देवताओं में प्रथम पूजनीय गणेश जी की पूजा की जाती है. जो भी जातक इस दिन सच्चे मन से गणेश जी की विधिविधान से पूजा करेंगे, विघ्नहर्ता उनके सभी कष्ट हर लेंगे. इस दिन सूर्योदय से पहले उठ जाएं स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहने. इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है.

कैसे करें पूजा : गणपति की पूजा करते समय जातक को अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें. गणपति की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें. पूजा में तिल, गुड़, लड्डू, फूल और तांबे का कलश स्थापित करें. प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रखें. गणेश जी को रोली लगाएं फूल और जल अर्पित करें. भगवान गणेश को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं. शाम के समय शुभ मुहूर्त में चंद्रमा निकलने से पहले गणेश जी की पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा पढ़ें. पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बांटे रात को चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोलें.

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नक्षत्रों की संख्या 27 : ज्योतिष शास्त्र और पौराणिक ग्रंथों में पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों का राजा माना जाता है. नक्षत्रों की संख्या 27 बताई गई हैं. पुष्य नक्षत्र को सबसे शुभ नक्षत्रों में से एक माना जाता है. इस नक्षत्र में किए गए कार्य शुभ फल प्रदान करते हैं, इसलिए लोग शुभ और मांगलिक कार्यों को करने के लिए इस नक्षत्र का इंतजार करते हैं.

भोपाल। संकष्टी चतुर्थी के दिन दिन सभी देवी -देवताओं में प्रथम पूजनीय गणेश जी की पूजा की जाती है. जो भी जातक इस दिन सच्चे मन से गणेश जी की विधिविधान से पूजा करेंगे, विघ्नहर्ता उनके सभी कष्ट हर लेंगे. इस दिन सूर्योदय से पहले उठ जाएं स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहने. इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है.

कैसे करें पूजा : गणपति की पूजा करते समय जातक को अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें. गणपति की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें. पूजा में तिल, गुड़, लड्डू, फूल और तांबे का कलश स्थापित करें. प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रखें. गणेश जी को रोली लगाएं फूल और जल अर्पित करें. भगवान गणेश को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं. शाम के समय शुभ मुहूर्त में चंद्रमा निकलने से पहले गणेश जी की पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा पढ़ें. पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बांटे रात को चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोलें.

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नक्षत्रों की संख्या 27 : ज्योतिष शास्त्र और पौराणिक ग्रंथों में पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों का राजा माना जाता है. नक्षत्रों की संख्या 27 बताई गई हैं. पुष्य नक्षत्र को सबसे शुभ नक्षत्रों में से एक माना जाता है. इस नक्षत्र में किए गए कार्य शुभ फल प्रदान करते हैं, इसलिए लोग शुभ और मांगलिक कार्यों को करने के लिए इस नक्षत्र का इंतजार करते हैं.

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