भोपाल। कमलनाथ सरकार में इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा है. अवैध उत्खनन को लेकर जहां सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्री अपने आप को लाचार बता रहे हैं, तो वहीं उन्हीं के इलाके के लोग उनके विरोध में खड़े हो गए हैं.
कमलनाथ सरकार का समर्थन कर रहे सपा के विधायक राजेश शुक्ला ने इस स्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उन्होंने कुछ मंत्रियों के व्यवहार पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री और कुछ मंत्रियों को छोड़ दें, तो बाकी मंत्री जो अपने आप को भगवान समझते हैं. उनके दर्शन ही मिल जाएं तो बहुत बड़ी बात है. हालांकि इन परिस्थितियों को लेकर उन्होंने कमलनाथ सरकार पर किसी तरह के संकट की बात से इनकार किया है और भरोसा जताया है कि कमलनाथ परिस्थितियों का निराकरण करेंगे.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में समाजवादी पार्टी के बिजावर विधायक राजेश शुक्ला ने कहा कि अवैध उत्खनन के मामले में जो स्थिति बनी है, वो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण हैं. उनका कहना है कि गोविंद सिंह जैसे सीनियर लीडर ने जो बात कही है उसकी तारीफ करनी चाहिए, कि कम से कम उन्होंने सच को सामने रखा और स्वीकार किया. गोविंद सिंह ने कहा कि पहले भाजपा के राज में कांग्रेस विरोध करती रही और आज उनकी ही सरकार है, लेकिन अवैध उत्खनन नहीं रुक रहा. उसके बाद उनके विरोध में उनके जिले में उन्हीं की पार्टी के विधायक खड़े हो गए हैं.
सरकार का समर्थन करने वाले विधायक सरकार के कामकाज से खुश हैं कि नहीं. इस सवाल सपा विधायक ने कहा कि मुख्यमंत्री और कुछ मंत्री के अलावा कोई नहीं सुन रहा है. कई मंत्री तो सुनने और मिलने को तैयार नहीं है. कुछ मंत्री तो अपने आप को भगवान समझते हैं, उनके दर्शन ही मिल जाए तो बड़ी बात है. विधायक राजेश शुक्ला ने सीएम से अपील की है कि मंत्रियों की आदत में सुधार कराएं. विधायकों का सम्मान कराए, विधायकों की बात सुनी जाए, क्षेत्र में काम कराएं. विधायकों की बात ना मंत्री सुन रहे हैं, ना अधिकारी सुन रहे हैं और ना कोई ऐसी योजना क्षेत्र में जा रही है, कि जनता के बीच जाकर सरकार और शासन की तारीफ करें.
इन परिस्थितियों में कमलनाथ सरकार पर संकट के सवाल पर सपा विधायक ने कहा कि अब ऐसी स्थिति आज नहीं है, लेकिन कमलनाथ बहुत बड़े और अनुभवी नेता हैं. हमारी जितनी उम्र है, उतना तो उनका अनुभव है. हम समझते हैं कि कमलनाथ जी संज्ञान लेकर समस्या का पटाक्षेप करेंगे. समस्या का पटाक्षेप हो गया, तो कमलनाथ सरकार पांच साल चलेगी.