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मध्यप्रदेश में आंगनबाड़ी केन्द्रों पर सहयोगिनी मातृ समिति का होगा पुनर्गठन, कुपोषण से लड़ने के लिए फैसला - महिला एवं बाल विकास विभाग

मध्यप्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग कुपोषण को खत्म करने के लिए कई तरह की योजनाओं पर काम कर रहा है, लेकिन अबतक विभाग को सफलता नहीं मिली. विभाग ने अब सहयोगिनी मातृ समिति का एक बार फिर से पुनर्गठन बड़े स्तर पर करने का फैसला लिया है. पढ़िए पूरी खबर

Sahyogini Matri Committee will be restructured on Anganwadi centers in Madhya Pradesh
महिला बाल विकास विभाग
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Published : Dec 9, 2020, 7:56 PM IST

भोपाल : मध्यप्रदेश काफी लंबे समय से एक कुपोषित प्रदेश होने का का दंश झेल रहा है. हालांकि पिछले कुछ सालों से महिला एवं बाल विकास विभाग कुपोषण को खत्म करने के लिए कई तरह की योजनाओं पर काम कर रहा है. लेकिन अब भी विभाग को ज्यादा कुछ खास सफलता नहीं मिल पाई है. किसी भी योजना को सफल रूप से चलाने के लिए जरूरी है कि उसमें जनभागीदारी बराबर की हो, इसी बात को ध्यान में रखते हुए गांव स्तर पर संचालित कार्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सहयोगिनी मातृ समिति का गठन किया गया था. जिसका एक बार फिर से पुनर्गठन एक बड़े स्तर पर किया जाएगा.

Sahyogini Matri Committee will be restructured on Anganwadi centers in Madhya Pradesh
सहयोगिनी मातृ समिति

कौन समिति में, क्या होगा खास

महिला एवं बाल विकास की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक हर एक आंगनबाड़ी केंद्र पर 10 सदस्यीय मातृ सहयोगिनी समिति बनाई जाएगी. जिसका चयन वार्ड, ग्राम, टोले, मजरे, फलिए आदि के चयनित सदस्यों की उप समिति में से किया जाएगा.

माताओं को जोड़ने का प्रयास

समिति में आंगनबाड़ी की हितग्राही महिलाएं, बच्चों के परिवार की महिला सदस्य को नामांकित किया जाएगा. इसमें गांव की महिला पंच, वार्ड की पार्षद, ऐसी सक्रिय महिला जो अपनी इच्छा से सहयोग देना चाहती हैं. उन्हें भी रखा जाएगा. साथ ही ग्राम और शहरी क्षेत्र की शालाओं की शिक्षक, वार्ड स्तरीय अन्य विभागीय समितियों की महिला सदस्य, स्व सहायता समूह की महिला अध्यक्ष को 3 साल के लिए नामांकित किया जाएगा. इसके अलावा जन्म से 6 वर्ष आयु तक के बच्चों की मां, किशोरी बालिका की माताएं और 19 से 45 आयु वर्ग की महिलाओं को भी एक साल की अवधि के लिए समिति में नामांकित किया जाएगा.

सतर्कता समिति के रूप में करेंगी काम

यह समिति एक तरह से 'सतर्कता समिति' के रूप में काम करेगी. जिसका काम पूरक पोषण आहार, टेक होम राशन, स्व सहायता समूह द्वारा दिए जाने वाले नाश्ता, भोजन और कुपोषित बच्चों के लिए थर्ड मील की गुणवत्ता की निगरानी और सुझाव और मार्गदर्शन काम किया जाएगा. इसके अलावा टीकाकरण और स्वास्थ्य जांच, समुदाय आधारित गतिविधियों के आयोजन में मदद, कुपोषित-गंभीर कुपोषित बच्चों की देखभाल और पोषण स्तर की निगरानी का काम भी यह समिति करेगी.

सामुदायिक स्वास्थ्य सिस्टम की तरह होगा काम

महिला एवं बाल विकास के अधिकारियों का इस बारे में कहना है कि इस समिति के जरिए हम आंगनबाड़ियों में एक सामुदायिक स्वास्थ्य सिस्टम का ढांचा तैयार कर रहे हैं. जिसके जरिए लोगों में कुपोषण, बाल विवाह, स्वास्थ्य और ऐसी कई सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लोगों को जागरूक करने में भी मदद मिलेगी.

भोपाल : मध्यप्रदेश काफी लंबे समय से एक कुपोषित प्रदेश होने का का दंश झेल रहा है. हालांकि पिछले कुछ सालों से महिला एवं बाल विकास विभाग कुपोषण को खत्म करने के लिए कई तरह की योजनाओं पर काम कर रहा है. लेकिन अब भी विभाग को ज्यादा कुछ खास सफलता नहीं मिल पाई है. किसी भी योजना को सफल रूप से चलाने के लिए जरूरी है कि उसमें जनभागीदारी बराबर की हो, इसी बात को ध्यान में रखते हुए गांव स्तर पर संचालित कार्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सहयोगिनी मातृ समिति का गठन किया गया था. जिसका एक बार फिर से पुनर्गठन एक बड़े स्तर पर किया जाएगा.

Sahyogini Matri Committee will be restructured on Anganwadi centers in Madhya Pradesh
सहयोगिनी मातृ समिति

कौन समिति में, क्या होगा खास

महिला एवं बाल विकास की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक हर एक आंगनबाड़ी केंद्र पर 10 सदस्यीय मातृ सहयोगिनी समिति बनाई जाएगी. जिसका चयन वार्ड, ग्राम, टोले, मजरे, फलिए आदि के चयनित सदस्यों की उप समिति में से किया जाएगा.

माताओं को जोड़ने का प्रयास

समिति में आंगनबाड़ी की हितग्राही महिलाएं, बच्चों के परिवार की महिला सदस्य को नामांकित किया जाएगा. इसमें गांव की महिला पंच, वार्ड की पार्षद, ऐसी सक्रिय महिला जो अपनी इच्छा से सहयोग देना चाहती हैं. उन्हें भी रखा जाएगा. साथ ही ग्राम और शहरी क्षेत्र की शालाओं की शिक्षक, वार्ड स्तरीय अन्य विभागीय समितियों की महिला सदस्य, स्व सहायता समूह की महिला अध्यक्ष को 3 साल के लिए नामांकित किया जाएगा. इसके अलावा जन्म से 6 वर्ष आयु तक के बच्चों की मां, किशोरी बालिका की माताएं और 19 से 45 आयु वर्ग की महिलाओं को भी एक साल की अवधि के लिए समिति में नामांकित किया जाएगा.

सतर्कता समिति के रूप में करेंगी काम

यह समिति एक तरह से 'सतर्कता समिति' के रूप में काम करेगी. जिसका काम पूरक पोषण आहार, टेक होम राशन, स्व सहायता समूह द्वारा दिए जाने वाले नाश्ता, भोजन और कुपोषित बच्चों के लिए थर्ड मील की गुणवत्ता की निगरानी और सुझाव और मार्गदर्शन काम किया जाएगा. इसके अलावा टीकाकरण और स्वास्थ्य जांच, समुदाय आधारित गतिविधियों के आयोजन में मदद, कुपोषित-गंभीर कुपोषित बच्चों की देखभाल और पोषण स्तर की निगरानी का काम भी यह समिति करेगी.

सामुदायिक स्वास्थ्य सिस्टम की तरह होगा काम

महिला एवं बाल विकास के अधिकारियों का इस बारे में कहना है कि इस समिति के जरिए हम आंगनबाड़ियों में एक सामुदायिक स्वास्थ्य सिस्टम का ढांचा तैयार कर रहे हैं. जिसके जरिए लोगों में कुपोषण, बाल विवाह, स्वास्थ्य और ऐसी कई सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लोगों को जागरूक करने में भी मदद मिलेगी.

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