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फ्यूल के बढ़ते दाम बस ऑपरेटरों के लिए बने मुसीबत

मध्य प्रदेश में अनलॉक के बाद भी अब तक बस ऑपरेटरों की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हो सका है. लॉकडाउन के दौरान करीब 6 महीने तक खड़ी रही बसें, टैक्स माफी के बाद 4 महीने पहले शुरू हुई हैं. हालांकि, अब भी प्रदेश में 10 फीसदी बस ऑपरेटरों ने बसों पर ब्रेक लगा रखा है.

bus operators in bhopal
बस ऑपरेटरों के लिए मुसीबत
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Published : Dec 30, 2020, 9:04 PM IST

भोपाल। कोरोना महामारी की रोकथनाम के लिए मार्च के महीने में देश में लॉकडाउन किया गया था. इस लॉकडाउन के कारण सब कुछ थम गया था. जो जहां था, वहीं रुक गया. सभी व्यापारों पर भी लॉकडाउन का गहरा प्रभाव पड़ा. इस दौरान करीब 6 महीने तक बसें भी खड़ी रहीं. सभी व्यवसायों को दोबारा पटरी पर लाने के लिए अनलॉक किया गया, लेकिन इस दौरान भी बस ऑपरेटरों की हालत में सुधार नहीं हुआ.

फ्यूल के बढ़ते दाम

फ्यूल के बढ़ते दाम ऑपरेटरों के लिए सिर दर्द

मध्य प्रदेश में 35 हजार बसों का संचालन होता है. ये सभी बसें प्राइवेट बस ऑपरेटर चलाते हैं. जबकि राजधानी भोपाल में करीब 700 बसें चलती हैं. इन सभी बसों का संचालन भी निजी बस ऑपरेटर ही करते हैं. राजधानी में कुल 12 हजार बस संचालक हैं, जिसमें से सिर्फ 60 फीसदी संचालक ही बसों का संचालन कर रहे हैं. शहर में अब भी 10 फीसदी बसों पर टेक्स माफी के बाद भी ब्रेक लगे हुए हैं. बस संचालकों की मांग है कि सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम कम करें. और अगर कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक बसें चलानी है, तो बसों का किराया बढ़ाया. क्योंकि बसों के संचालन में सबसे ज्यादा नुकसान छोटे बस संचालकों को उठाना पड़ रहा है.

बसों पर ब्रेक परिवहन को नुकसान

RTO अधिकारी संजय तिवारी ने बताया कि सरकार का बसों की टेक्स माफी का निर्णय सराहनीय था. इससे कई बस ऑपरेटरों को आर्थिक सहयोग मिला है. उन्होंने कहा कि अब करीब सभी बसें चल रही है. जो ऑपरेटर बस नहीं चला रहे हैं, उनकी निजी समास्याए हैं. जिसको लेकर हम विभाग को अवगत करा चुके है. हालांकि उनका यह भी कहना है कि बसों का संचालन नहीं होने से परिवहन को नुकसान है. ऐसे में पेट्रोल-डीजल के दाम कम होने चाहिए, जिससे बस संचालक बिना किसी नुकसान के सौदे के साथ बस चला सकें.

पढ़ें- कोरोना स्ट्रेन को लेकर मध्यप्रदेश पूरी तरह सतर्क: विश्वास सारंग

गाइडलाइन के साथ बस चलाना घाटे का सौदा

लॉकडाउन के कारण तीन महीने तक प्रदेश की 35 हजार बसों पर ब्रेक लगा रहा. सड़कों पर पहिए थमे रहे. अनलॉक के दौरान सरकार ने बसों को शुरू करने की अनुमति दी. लेकिन बस संचालक अपनी मांगों को लेकर बस नहीं चलाने की जिद पर अड़े रहे. बस संचालकों की जिद के आगे सरकार ने 70 करोड़ का टेक्स माफ किया. लेकिन अब बस संचालको के सामने पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम और सोशल डिस्टेंस के साथ आधी क्षमता के साथ बस चलाना घाटे का सौदा हो गया है.

10 फीसदी बसों पर अब भी ब्रेक

अब स्थिति ये है की कोरोना संक्रमण को देश मे पैर पसारे एक साल होने जा रहा है. लेकिन लोगों की माली हालात जो बिगड़ी है, लोग उससे उभर नहीं पा रहे हैं. ऐसी ही हालत प्रदेश के बस ऑपरेटरों की हैं. जो अनलॉक के बाद भी आर्थिक स्थिति से उभरने के लिए तमाम कोशिश कर रहे हैं. लेकिन पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम के कारण बस ऑपरेटर घाटे के साथ बसों का संचालन कर रहे हैं.

पढ़ें- दूसरे राज्यो में बैठकर वारदातों को अंजाम दे रहे साइबर ठग

किराया बढ़ाये सरकार नहीं तो फिर बंद होगा संचालन

वहीं बस ऑपरेटरों का कहना है कि अगर सरकार ने पेट्रोल डीजल के दाम नहीं बढ़ाए तो हम बस नहीं चालाएंगे. क्योंकि कोरोना संक्रमण के कारण सवारी बस में यात्रा नहीं कर रही है. बस की EMI सहित कई खर्चे हैं, जिसे निकाल पाना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में घाटे के साथ बस चलाने से अच्छा हम बसों को खड़ा कर दें तो बेहतर है. हालांकि अब देखना होगा कि बस ऑपरेटरों की समस्याओं को देखते हुए सरकार इनकी क्या मदद करती है.

भोपाल। कोरोना महामारी की रोकथनाम के लिए मार्च के महीने में देश में लॉकडाउन किया गया था. इस लॉकडाउन के कारण सब कुछ थम गया था. जो जहां था, वहीं रुक गया. सभी व्यापारों पर भी लॉकडाउन का गहरा प्रभाव पड़ा. इस दौरान करीब 6 महीने तक बसें भी खड़ी रहीं. सभी व्यवसायों को दोबारा पटरी पर लाने के लिए अनलॉक किया गया, लेकिन इस दौरान भी बस ऑपरेटरों की हालत में सुधार नहीं हुआ.

फ्यूल के बढ़ते दाम

फ्यूल के बढ़ते दाम ऑपरेटरों के लिए सिर दर्द

मध्य प्रदेश में 35 हजार बसों का संचालन होता है. ये सभी बसें प्राइवेट बस ऑपरेटर चलाते हैं. जबकि राजधानी भोपाल में करीब 700 बसें चलती हैं. इन सभी बसों का संचालन भी निजी बस ऑपरेटर ही करते हैं. राजधानी में कुल 12 हजार बस संचालक हैं, जिसमें से सिर्फ 60 फीसदी संचालक ही बसों का संचालन कर रहे हैं. शहर में अब भी 10 फीसदी बसों पर टेक्स माफी के बाद भी ब्रेक लगे हुए हैं. बस संचालकों की मांग है कि सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम कम करें. और अगर कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक बसें चलानी है, तो बसों का किराया बढ़ाया. क्योंकि बसों के संचालन में सबसे ज्यादा नुकसान छोटे बस संचालकों को उठाना पड़ रहा है.

बसों पर ब्रेक परिवहन को नुकसान

RTO अधिकारी संजय तिवारी ने बताया कि सरकार का बसों की टेक्स माफी का निर्णय सराहनीय था. इससे कई बस ऑपरेटरों को आर्थिक सहयोग मिला है. उन्होंने कहा कि अब करीब सभी बसें चल रही है. जो ऑपरेटर बस नहीं चला रहे हैं, उनकी निजी समास्याए हैं. जिसको लेकर हम विभाग को अवगत करा चुके है. हालांकि उनका यह भी कहना है कि बसों का संचालन नहीं होने से परिवहन को नुकसान है. ऐसे में पेट्रोल-डीजल के दाम कम होने चाहिए, जिससे बस संचालक बिना किसी नुकसान के सौदे के साथ बस चला सकें.

पढ़ें- कोरोना स्ट्रेन को लेकर मध्यप्रदेश पूरी तरह सतर्क: विश्वास सारंग

गाइडलाइन के साथ बस चलाना घाटे का सौदा

लॉकडाउन के कारण तीन महीने तक प्रदेश की 35 हजार बसों पर ब्रेक लगा रहा. सड़कों पर पहिए थमे रहे. अनलॉक के दौरान सरकार ने बसों को शुरू करने की अनुमति दी. लेकिन बस संचालक अपनी मांगों को लेकर बस नहीं चलाने की जिद पर अड़े रहे. बस संचालकों की जिद के आगे सरकार ने 70 करोड़ का टेक्स माफ किया. लेकिन अब बस संचालको के सामने पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम और सोशल डिस्टेंस के साथ आधी क्षमता के साथ बस चलाना घाटे का सौदा हो गया है.

10 फीसदी बसों पर अब भी ब्रेक

अब स्थिति ये है की कोरोना संक्रमण को देश मे पैर पसारे एक साल होने जा रहा है. लेकिन लोगों की माली हालात जो बिगड़ी है, लोग उससे उभर नहीं पा रहे हैं. ऐसी ही हालत प्रदेश के बस ऑपरेटरों की हैं. जो अनलॉक के बाद भी आर्थिक स्थिति से उभरने के लिए तमाम कोशिश कर रहे हैं. लेकिन पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम के कारण बस ऑपरेटर घाटे के साथ बसों का संचालन कर रहे हैं.

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किराया बढ़ाये सरकार नहीं तो फिर बंद होगा संचालन

वहीं बस ऑपरेटरों का कहना है कि अगर सरकार ने पेट्रोल डीजल के दाम नहीं बढ़ाए तो हम बस नहीं चालाएंगे. क्योंकि कोरोना संक्रमण के कारण सवारी बस में यात्रा नहीं कर रही है. बस की EMI सहित कई खर्चे हैं, जिसे निकाल पाना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में घाटे के साथ बस चलाने से अच्छा हम बसों को खड़ा कर दें तो बेहतर है. हालांकि अब देखना होगा कि बस ऑपरेटरों की समस्याओं को देखते हुए सरकार इनकी क्या मदद करती है.

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