भोपाल। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के चाइल्ड हेल्थ रिव्यू 2019-2020 में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जिसमें बताया गया है कि मध्यप्रदेश में लगातार शिशु मृत्यु दर का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. चाइल्ड हेल्थ रिव्यू 2019-2020 में ये बात सामने आई है कि साल 2017-19 तक प्रदेश में शिशु मृत्यु दर का प्रतिशत 11.5% रहा है, जबकि देश में ये 7% है.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की एडिशनल मिशन डायरेक्टर डॉक्टर सलोनी सिडाना ने बताया कि शिशु मृत्यु दर बढ़ने का कारण है कि पहले की तुलना में अब गंभीर रूप से बीमार नवजातों को एसएनसीयू में भर्ती कराया जाने लगा है, इसलिए हमारे पास आंकड़े उपलब्ध होने लगे हैं. हालांकि, हमारा आईएमआर रेट काफी कम हुआ है जो कि पहले 80% हुआ करता था, अब 52% के आसपास है. फिर भी अन्य प्रदेशों की तुलना में मध्यप्रदेश में शिशु मृत्यु दर में प्रतिशत काफी ज्यादा है.
इस आंकड़े को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की तरफ से कई कोशिशें की जा रही है. इसे कम करने के लिए एसएनसीयू रेफरल ट्रांसपोर्ट सिस्टम को शुरू किया गया है, इसके तहत गंभीर रूप से बीमार बच्चे को उसके घर से अस्पताल लाने की सुविधा दी जाती है. साथ ही कॉल सेंटर भी शुरू किया गया है. वहीं कुपोषण को दूर करने के लिए पोषण आहार पर ध्यान दिया जा रहा है और छोटे बच्चों में निमोनिया, डायरिया जैसी बीमारियों को कम करने की कोशिश की जा रही है.
स्वास्थ्य विभाग की एनुअल हेल्थ रिपोर्ट 2018- 19 में भी ये बात सामने आई थी कि मध्य प्रदेश में पिछले 5 साल की तुलना में शिशु मृत्यु दर लगातार बढ़ी है. हेल्थ बुलेटिन में शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर के आंकड़ों में नजर डाले तो राजधानी भोपाल इनमें सबसे अव्वल है. जहां साल 2018-19 में अप्रैल से मार्च तक के आंकड़ों की बात करें तो भोपाल में 1818 बच्चों की मौत हुई हैं. वहीं यह आंकड़ा साल 2017-18 में 1029, साल 2016-17 में 1398, साल 2015-16 में 1230 और साल 2014- 15 में 449 रहा है.