भोपाल। कोरोना संक्रमित के इलाज में दी जाने वाली रेमडेसिवीर इंजेक्शन कितनी कारगर है इसका पता लगाने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर इसका ट्रायल किया था. जिसमें यह परिणाम निकला कि यह इंजेक्शन इलाज में ज्यादा कारगर नहीं है.वहीं इस ट्रायल के बाद अब मध्य प्रदेश स्वास्थ्य विभाग ने भी रेमडेसिवीर इंजेक्शन के परिणाम जानने के लिए इसके रेट्रोस्पेक्टिव अध्ययन को लेकर आदेश जारी किए हैं.
जीएमसी में होगा अध्ययन
जारी आदेश के मुताबिक राजधानी भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में रेमडेसिवीर इंजेक्शन जिन कोरोना मरीजों को दिया जा चुका है, उनके आउटकम के आधार पर रेट्रोस्पेक्टिव अध्ययन किया जाएगा. ताकि इस ड्रग के इस्तेमाल के बाद कोविड-19 की रिकवरी के बारे में प्रादेशिक साक्ष्य उपलब्ध हो सके. इसका मतलब यह है कि जितने भी कोरोना संक्रमितों को यह इंजेक्शन अब तक दिया गया है, उन्हें इससे फायदा हुआ या नहीं, इंजेक्शन देने से पहले, या बाद में मरीज की क्या स्थिति थी, इन बिंदुओं के आधार पर परिणाम निकाले जाएंगे. यह आदेश स्वास्थ्य विभाग की अपर संचालक डॉ वीणा सिन्हा ने, प्रदेश में कोरोना वायरस के नियंत्रण और रोकथाम के लिए मार्गदर्शन करने वाली टेक्निकल एडवाइजरी कमेटी की अनुशंसा पर जारी की है.
इंजेक्शन का उपयोग
रेमडेसिवीर इंजेक्शन का इस्तेमाल कोरोना से संक्रमित ऐसे मरीजों पर किया जा रहा है. जिनमें कोरोना वायरस के मध्यम या गंभीर लक्षण दिखाई दे रहे हैं. चूंकि यह एक एंटीवायरल ड्रग है, जिसका इस्तेमाल वायरस की रोकथाम के लिए किया जाता है, इसलिए पहले बिना किसी वैज्ञानिक प्रमाण के आईसीएमआर ने कोरोना संक्रमितों पर इसे उपयोग करने के लिए सलाह दी थी, पर फिर इसके पुख्ता प्रमाण के लिए करीब 937 लोगों पर इसका ट्रायल किया गया था, जिसमें यह पाया गया कि यह इलाज में कारगर नहीं है.
इंजेक्शन की कीमत ज्यादा
बता दें कि कोरोना वायरस के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली यह इंजेक्शन, कोरोना वायरस में दी जाने वाली अन्य दवाइयों की तुलना में ज्यादा महंगी है. यह शहर की हर दवा दुकान पर उपलब्ध भी नहीं है. जिसके कारण राजधानी भोपाल में इसकी कालाबाजारी भी बढ़ी है. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हे इसकी जरूरत नहीं है, फिर भी वह इसे लगवा रहे हैं.इस इंजेक्शन के 6 डोज मरीज को दिए जाते हैं और एक डोज की कीमत तीन हजार से लेकर 15 हजार रुपए तक है.