भोपाल। रिटायर्ड आईएएस अधिकारी राजेश बहुगुणा ने प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा किया है. उन्होंने नेताओं और ब्यूरोक्रेसी पर भी सवाल उठाया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है कि कोई प्रश्न उठाएगा कि जब कटनी, बुरहानपुर, नीमच, देवास जैसे बड़े शहरों में मेडिकल कॉलेज नहीं हैं और धार, बालाघाट, शाजापुर, बडवानी, खरगौन, बैतूल, होशंगाबाद, मंदसौर, टीकमगढ़, सीधी जैसे जिला मुख्यालयों में मेडिकल कॉलेज नहीं हैं तो बुधनी जोकि तहसील मुख्यालय है, में मेडिकल कॉलेज क्यों खोला जा रहा है.
नौकरशाहों की भूमिका पर सवाल : बहुगुणा ने लिखा है कि जनता और जनप्रतिनिधि सोए हुए हैं या वंदना में लीन हैं. नौकरशाहों की तो क्या कहें ? उन्होंने क्या और क्यों अनुशंसा की. क्या पहले प्राथमिकता में सभी जिला मुख्यालयों में मेडिकल कॉलेज नहीं खोले जाने चाहिए. क्या बुधनी की जगह सीहोर या आष्टा मेडिकल कॉलेज के लिए उपयुक्त नहीं है. झांसी से 25 किलोमीटर और ग्वालियर से 70 किलोमीटर दूर छोटे से जिला मुख्यालय दतिया में आज से 6 साल पहले खुले मेडिकल कॉलेज का हाल पता कर लें. सभी बीमार लोग झांसी या ग्वालियर जाते हैं. उन्होंने लिखा कि बुधनी का भी यही हाल होना है. रिटायर्ड आईएएस बहुगुणा आबकारी आयुक्त और कलेक्टर रह चुके हैं.
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कैबिनेट में दो दिन पहले फैसला : दरअसल, शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में प्रदेश के उज्जैन और बुधनी में मेडिकल कॉलेज खोलने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई. प्रदेश में पुराने मेडिकल कॉलेज इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा और सागर में हैं. पिछले 6 साल में प्रदेश में विदिशा, शहडोल, छिंदवाड़ा, दतिया, खंडवा, रतलाम और शिवपुरी में मेडिकल कॉलेज खोले गए. इस तरह प्रदेश में कुल 13 मेडिकल कॉलेज हैं. बताया जाता है कि प्रदेश में अगले चरण में सतना, मंडला, श्योपुर, राजगढ़, नीमच, मंदसौर और सिंगरौली में मेडिकल कॉलेज खोले जाने थे. इस सूची में पूर्व में बुधनी का नाम ही नहीं था. (Retired IAS questions on Shivraj government) (Wrote Have public representatives slept) (Public representatives absorbed in worship) (Question on Medical College in Budhni)