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हजारों संविदा कर्मचारियों को हाईकोर्ट से मिली राहत, नियमितीकरण पर सरकार से जवाब तलब

इंदौर हाईकोर्ट ने संविदा कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है. संविदा महासंघ की याचिका पर फैसला देते हुए उन्होंने से प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है. उन्होंने सरकार को जवाब पेश करने के लिए तीन महीने का समय दिया है.

संविदा कर्मचारियों को कोर्ट से मिली राहत।
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Published : Mar 26, 2019, 7:53 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के एक फैसले के बाद हजारों संविदा कर्मचारियों में उम्मीद की लहर दौड़ गई है. एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट कमलनाथ सरकार से सवाल पूछा है कि संविदा कर्मचारियों को नियमित क्यों नहीं किया जा सकता है. हाई कोर्ट ने 3 महीने के अंदर सरकार से जवाब पेश करने को कहा है.

संविदा कर्मचारियों को कोर्ट से मिली राहत।

मध्यप्रदेश संविदा अधिकारी कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि मध्यप्रदेश सहकारिता एवं पंजीयन विभाग जिला सहकारी बैंकों द्वारा डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद पर नियमित भर्ती की जा रही है. लेकिन, पहले से संविदा पर कार्यरत डाटा एंट्री ऑपरेटर को नियमित नहीं किया जा रहा है. आयुक्त पंजीयक सहकारी संस्था ने 1 मार्च 2019 को आदेश जारी किया था जिसके मुताबिक पहले से संविदा पर कार्य कर रहे डाटा एंट्री ऑपरेटरों की सेवाएं 30 जून 19 को समाप्त मानी जाएंगी.

इस फैसले के विरोध में संविदा ऑपरेटरर्स ने इंदौर हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. जिस पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है. सरकार के पास कोर्ट में जवाब पेश करने के लिए तीन महीने का वक्त है.

भोपाल। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के एक फैसले के बाद हजारों संविदा कर्मचारियों में उम्मीद की लहर दौड़ गई है. एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट कमलनाथ सरकार से सवाल पूछा है कि संविदा कर्मचारियों को नियमित क्यों नहीं किया जा सकता है. हाई कोर्ट ने 3 महीने के अंदर सरकार से जवाब पेश करने को कहा है.

संविदा कर्मचारियों को कोर्ट से मिली राहत।

मध्यप्रदेश संविदा अधिकारी कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि मध्यप्रदेश सहकारिता एवं पंजीयन विभाग जिला सहकारी बैंकों द्वारा डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद पर नियमित भर्ती की जा रही है. लेकिन, पहले से संविदा पर कार्यरत डाटा एंट्री ऑपरेटर को नियमित नहीं किया जा रहा है. आयुक्त पंजीयक सहकारी संस्था ने 1 मार्च 2019 को आदेश जारी किया था जिसके मुताबिक पहले से संविदा पर कार्य कर रहे डाटा एंट्री ऑपरेटरों की सेवाएं 30 जून 19 को समाप्त मानी जाएंगी.

इस फैसले के विरोध में संविदा ऑपरेटरर्स ने इंदौर हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. जिस पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है. सरकार के पास कोर्ट में जवाब पेश करने के लिए तीन महीने का वक्त है.

Intro:भोपाल। मप्र उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के एक फैसले के कारण मप्र के हजारों संविदा कर्मचारियों में उम्मीद की लहर जाग गई है। दरअसल एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने कमलनाथ सरकार से सवाल पूंछा है कि संविदा कर्मचारियों को नियमित क्यों नहीं किया जा सकता है। हाई कोर्ट ने 3 महीने के अंदर सरकार से जवाब पेश करने को कहा है।




Body:मध्यप्रदेश संविदा अधिकारी कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि मध्यप्रदेश सहकारिता एवं पंजीयन विभाग द्वारा जिला सहकारी बैंकों में डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद पर नियमित भर्ती की जा रही है और पहले से संविदा पर कार्यरत डाटा एंट्री ऑपरेटर को नियमित नहीं किया जा रहा है। आयुक्त पंजीयक सहकारी संस्था के द्वारा 1 मार्च 2019 को आदेश जारी कहा गया है कि पहले से संविदा पर कार्य कर रहे डाटा एंट्री ऑपरेटर सेवाएं 30 जून 19 को समाप्त मानी जाएंगी। इस निर्णय के विरोध में राजगढ़ जिले में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में संविदा पर कार्यरत डाटा एंट्री ऑपरेटर इंदौर हाईकोर्ट अधिवक्ता विवेक फड़के के माध्यम से याचिका दायर कर करी थी। मप्र हाई कोर्ट के जज विवेक रूसिया ने सुनवाई के दौरान फैसला देते हुए मध्यप्रदेश सरकार से पूंछा है कि 3 माह में बताएं कि जब नियमित रिक्त पदों का सरकार नई भर्ती कर रही है तो पहले से संविदा पर कार्यरत डाटा एंट्री ऑपरेटर से नियमित क्यों नहीं किया जा सकता है जबकि सरकार ने 5 जून 2018 को संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए समस्त विभागों में संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों के लिए नीति निर्देश जारी किए थे।


Conclusion:गौरतलब है कि मध्यप्रदेश जिला सहकारी बैंकों में सहकारिता विभाग द्वारा जून 2018 में पदों पर भर्ती प्रक्रिया नियमों को दरकिनार कर भर्ती चालू की गई है।विज्ञापन जारी होने के बाद भी भर्ती प्रक्रिया के दौरान भी तीन बार नियम बदल रहे हैं। जो कंप्यूटर ऑपरेटर पहले से संविदा पर कार्यरत थे, उन्हें कोई प्राथमिकता नहीं दी जा रही है।सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा 5 जून 2018 को जारी के लिए संविदा नीति का पालन नहीं किया जा रहा है।
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