भोपाल: रंग पंचमी का त्योहार भाईचारे की मिसाल लेकर आता है. भोपाल में भी नवाबी दौर से इसकी परंपरा देखने को मिल रही है. रंग पंचमी के अवसर पर पुराने भोपाल के साथ ही जगह-जगह जुलूस निकाले गए. इन रंगपंचमी के जुलूस में घोड़े बग्गी के साथ झांकियां आकर्षण का केंद्र रही. पुराने भोपाल में जगह-जगह से निकले यह जुलूस कर्फ्यू वाली माता मंदिर सोमवारा पर पहुंचे, तो पानी के टैंकरों से इनका स्वागत किया गया. इन टैंकरों में अलग-अलग तरह का रंग घोला गया था और इस रंग-बिरंगे पानी से हुरियारों पर छिड़काव किया गया.
हुरियारों का जुलूस निकलने की परंपरा काफी पुरानी: रंग पंचमी के अवसर पर हुरियारों का जुलूस निकलने की परंपरा कई वर्षों पुरानी है. बताया जाता है कि भोपाल में डेढ़ सौ साल पहले से यह परंपरा चली आ रही है. नवाबी शासनकाल के दौरान हिंदू मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक ये जुलूस माने जाते थे जो परंपरा आज भी बरकरार है. पुराने भोपाल के घोड़ा नक्कास, इतवारा, जुमेरती, लखेरापूरा, चौक बाजार से होता हुआ यह जुलूस कर्फ्यू वाली माता मंदिर पर पहुंचा, जिसमें बड़ी संख्या में हुरियारों की टोलियां संगीत पर डांस करती हुई नजर आई. जिसमें क्या बुजुर्ग, क्या बच्चे और क्या युवतियां सभी रंग से सराबोर होकर डांस करते हुए नजर आ रहे थे.
हिंदू उत्सव समिति के पदाधिकारियों ने क्या कहा: हिंदू उत्सव समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि "पंचमी पर जुलूस की परंपरा सदियों पुरानी है. ऐसे में वह इस परंपरा को बरकरार रखे हुए हैं. भोपाल में तमाम जगह से जुलूस एकत्रित होकर यहां आते हैं और सभी का स्वागत रंग गुलाल और पानी की बौछारों से किया जाता है. इसके साथ ही शाहपुरा, पिपलानी, नेहरू नगर, रंग महल, न्यू मार्केट आदि क्षेत्रों में भी रंग पंचमी के त्योहार पर जुलूस निकाले गए. जिसमें भी बड़ी संख्या में लोग पानी की बौछारों के बीच मस्ती धमाल करते हुए नजर आए. सभी ने एक-दूसरे को इस रंग बिरंगे त्योहार की शुभकामनाएं दी.