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4 अगस्त से कॉलेजों में प्रोफेसरों की उपस्थिति अनिवार्य, प्रोफेसर्स ने किया विरोध - उच्च शिक्षा विभाग के आदेश का विरोध

उच्च शिक्षा विभाग ने 4 अगस्त से कॉलेजों में प्रोफेसर्स की उपस्थिति की अनिवार्य किया है. जिसका राज्य के शासकीय प्राध्यापक संघ ने किया विरोध किया है. उनका कहना है कि इस आदेश से प्रोफेसर और स्टूडेंट्स पर संक्रमण का खतरा रहेगा.

barkatullah university
बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय
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Published : Aug 2, 2020, 1:05 AM IST

भोपाल। केंद्र सरकार के अनलॉक 3 के दिशा-निर्देशों के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेजों में प्रोफेसर्स की उपस्थिति अनिवार्य कर दी है. जिसके लिए सभी कॉलेजों को निर्देश दे दिए गए हैं 4 अगस्त से कॉलेज में प्रोफेसर्स की उपस्थिति अनिवार्य होगी, लेकिन इस आदेश के जारी होने के बाद से ही कॉलेज के प्रोफेसर्स ओर स्टाफ ने इस आदेश का विरोध करना शुरू कर दिया है.

पिछले 4 महीनों से कॉलेज बंद हैं. सभी सेमेस्टर परीक्षाएं स्थगित चल रही हैं. वहीं उच्च शिक्षा विभाग सितंबर तक ऑनलाइन परीक्षाएं आयोजित करने की तैयारी में जुटा हुआ है, लिहाजा विभाग ने सभी कॉलेजों में प्रोफेसर्स की उपस्थिति अनिवार्य कर दी है. आदेश केअनुसार प्रोफेसरों को 4 अगस्त यानी मंगलवार से कॉलेज में उपस्थित होना पड़ेगा, लेकिन इस आदेश के विरोध में प्रोफेसरों ने भी मोर्चा खोल दिया है और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर आदेश पर विचार करने की मांग की है.

प्रांतीय शासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ के प्रांत अध्यक्ष कैलाश त्यागी का कहना है कि कोरोना संक्रमण काल के बीच सभी शिक्षकों को साथ में कॉलेज क्यों बुलाया जा रहा है. यदि 4 अगस्त से स्टाफ कॉलेज आएगा और अनलॉक की प्रक्रिया जारी रहेगी तो छात्र भी अपने कामों को लेकर कॉलेज आएंगे और कॉलेज में ऐसी व्यवस्था नहीं है कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सके. ऐसे में संक्रमण फैलने का खतरा बना रहेगा. प्रोफेसर त्यागी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर इस आदेश पर विचार करने की मांग की है.

प्रोफेसर त्यागी का कहना है कि जिस अधिकारी ने सभी शैक्षणिक स्टाफ को एक साथ बुलाने का आदेश निकाला है. उस अधिकारी पर कार्रवाई की जानी चाहिए. यह केंद्र सरकार के निर्देशों का उल्लंघन है. ये आदेश शिक्षकों की जान को जोखिम में डालने वाला आदेश है. जिस पर विभाग को फिर से विचार करना होगा. इसलिए कोविड 19 की स्थिति में कोई शिक्षक अपनी और छात्र की जान जोखिम में डालने के लिए कॉलेज नहीं आएगा.

भोपाल। केंद्र सरकार के अनलॉक 3 के दिशा-निर्देशों के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेजों में प्रोफेसर्स की उपस्थिति अनिवार्य कर दी है. जिसके लिए सभी कॉलेजों को निर्देश दे दिए गए हैं 4 अगस्त से कॉलेज में प्रोफेसर्स की उपस्थिति अनिवार्य होगी, लेकिन इस आदेश के जारी होने के बाद से ही कॉलेज के प्रोफेसर्स ओर स्टाफ ने इस आदेश का विरोध करना शुरू कर दिया है.

पिछले 4 महीनों से कॉलेज बंद हैं. सभी सेमेस्टर परीक्षाएं स्थगित चल रही हैं. वहीं उच्च शिक्षा विभाग सितंबर तक ऑनलाइन परीक्षाएं आयोजित करने की तैयारी में जुटा हुआ है, लिहाजा विभाग ने सभी कॉलेजों में प्रोफेसर्स की उपस्थिति अनिवार्य कर दी है. आदेश केअनुसार प्रोफेसरों को 4 अगस्त यानी मंगलवार से कॉलेज में उपस्थित होना पड़ेगा, लेकिन इस आदेश के विरोध में प्रोफेसरों ने भी मोर्चा खोल दिया है और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर आदेश पर विचार करने की मांग की है.

प्रांतीय शासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ के प्रांत अध्यक्ष कैलाश त्यागी का कहना है कि कोरोना संक्रमण काल के बीच सभी शिक्षकों को साथ में कॉलेज क्यों बुलाया जा रहा है. यदि 4 अगस्त से स्टाफ कॉलेज आएगा और अनलॉक की प्रक्रिया जारी रहेगी तो छात्र भी अपने कामों को लेकर कॉलेज आएंगे और कॉलेज में ऐसी व्यवस्था नहीं है कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सके. ऐसे में संक्रमण फैलने का खतरा बना रहेगा. प्रोफेसर त्यागी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर इस आदेश पर विचार करने की मांग की है.

प्रोफेसर त्यागी का कहना है कि जिस अधिकारी ने सभी शैक्षणिक स्टाफ को एक साथ बुलाने का आदेश निकाला है. उस अधिकारी पर कार्रवाई की जानी चाहिए. यह केंद्र सरकार के निर्देशों का उल्लंघन है. ये आदेश शिक्षकों की जान को जोखिम में डालने वाला आदेश है. जिस पर विभाग को फिर से विचार करना होगा. इसलिए कोविड 19 की स्थिति में कोई शिक्षक अपनी और छात्र की जान जोखिम में डालने के लिए कॉलेज नहीं आएगा.

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