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कोरोनाकाल के चलते प्राइवेट कॉलेजों में 30 प्रतिशत कम हुए एडमिशन - Admission in UG

स्नातक प्रथम वर्ष एवं स्नातकोत्तर प्रथम सेमेस्टर के पाठ्यक्रमों में छठवें चरण की ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो गई है.

Admission process in colleges
कॉलेजों में एडमिशन प्रक्रिया
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Published : Jan 7, 2021, 7:07 PM IST

भोपाल। कोरोना संक्रमण के बीच प्रदेश के महाविद्यालयों में एडमिशन प्रक्रिया पूरी हो गई है. उच्च शिक्षा विभाग के द्वारा शुरू की गई छठवें चरण की काउंसलिंग पांच जनवरी को पूरी हो गई है. उच्च शिक्षा विभाग का कहना है कि कोरोना के चलते इस वर्ष एमपी बोर्ड परीक्षा देरी से हुई और परीक्षा परिणाम भी तीन माह लेट घोषित हुए. इससे हाई स्कूल के छात्रों को कॉलेजो में प्रवेश लेने का पर्याप्त समय नहीं मिला. यही वजह है कि पीजी के मुकाबले यूजी में इस साल 30 प्रतिशत कम प्रवेश हुए.

कॉलेजों में एडमिशन प्रक्रिया

साल 2020 में हुए एडमिशन की अगर बात करें तो प्रदेश के शासकीय कॉलेजों में पीजी में पिछले साल की तुलना 10 प्रतिशत अधिक एडमिशन हुए है, जबकि यूजी में यह ग्राफ गिरा है.

  1. इस वर्ष यूजी पीजी के कोर्स में पांचवे चरण की काउंसलिंग तक पांच लाख 49 हजार 461 प्रवेश हुए हैं.
  2. प्राइवेट कॉलेजों में इस साल यूजी पीजी में पिछले वर्ष की तुलना 30 प्रतिशत कम प्रवेश हुए है.
  3. हालांकि सरकारी कॉलेजों के साथ ही प्राइवेट कॉलेजों ने भी एडमिशन की डेट बढ़ा दी है.

इन कोर्स में हुए अधिक प्रवेश-

  1. मध्यप्रदेश में इंजीनियरिंग की 41 ब्रांच से पढ़ाई कराई जाती है. जिसके लिए 56, 362 सीटें हैं. साल 2019 में इसमें 23,629 छात्रों ने प्रवेश लिया था. जबकि 35 हजार सीटें खाली रह गई थी.
  2. इस वर्ष भी इंजीनियरिंग की 30 हजार से ज्यादा सीटें खाली है. केवल 40 प्रतिशत छात्रों ने इंजीनियरिंग में दाखिला लिया है.
  3. इसमें सरकारी कॉलेजों में एडमिशन की संख्या ज्यादा है. जबकि प्राइवेट कॉलेजों में एडमिशन की संख्या तेजी से गिरी है.
  4. इस वर्ष एडमिशन की अगर हम बात करें तो सबसे ज्यादा प्रवेश कला संकाय में हुए है. जिसकी संख्या 91 हजार है. जबकि सबसे कम दाखिले इंजीनियरिंग में हुए है.


कोरोना का एडमिशन और प्लेसमेंट पर असर

कोरोना के चलते इस साल कॉलेजो में कैंपस भी ना के बराबर हुए है. शैक्षनिक सत्र शुरू होते ही कोरोना ने देश मे दस्तक दी. कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के कारण सभी शैक्षिक संस्थान नौ माह तक बंद रहे. ऐसे में इंजीनियरिंग, आईटीआई सेक्टर में पढ़ाई करने वाले छात्रों के कौशल उन्नयन पर ब्रेक लग गया. एक तरह से इन छात्रों की पढ़ाई आधे सत्र में ही ठप हो गई. प्रदेश में मार्च माह में महाविद्यालय बंद हुए जबकि यही टाइम कॉलेजों में कैंपस प्लेसमेंट का होता है. दुनियाभर में फैले कोरोना संक्रमण के कारण कॉलेजो में किसी कंपनी ने प्लेसमेंट के लिए अप्रोच नहीं किया. राजधानी के इंजीनियरिंग से लेकर कॉमर्स और साइंस स्ट्रीम में कैंपस प्लेसमेंट जीरों रहा.

नए साल से नई उम्मीदें

नए वर्ष में छात्रों को उम्मीद है की 2020 में जो नुकसान शिक्षा का हुआ. उसकी भरपाई 2021 में होगी. उच्च शिक्षा विभाग भी नए वर्ष में नई शिक्षा नीति लागू करने की तैयारी में है. नई शिक्षा नीति के तहत प्रदेश के महाविद्यालयों में कई बदलाव किए जाएंगे. उच्च शिक्षा विभाग ने 2023 तक का रॉड मेप तैयार किया है. जिसके तहत प्रदेश के एक हजार कॉलेजों को गुणवत्ता पूर्ण बनाया जयगा.

भोपाल। कोरोना संक्रमण के बीच प्रदेश के महाविद्यालयों में एडमिशन प्रक्रिया पूरी हो गई है. उच्च शिक्षा विभाग के द्वारा शुरू की गई छठवें चरण की काउंसलिंग पांच जनवरी को पूरी हो गई है. उच्च शिक्षा विभाग का कहना है कि कोरोना के चलते इस वर्ष एमपी बोर्ड परीक्षा देरी से हुई और परीक्षा परिणाम भी तीन माह लेट घोषित हुए. इससे हाई स्कूल के छात्रों को कॉलेजो में प्रवेश लेने का पर्याप्त समय नहीं मिला. यही वजह है कि पीजी के मुकाबले यूजी में इस साल 30 प्रतिशत कम प्रवेश हुए.

कॉलेजों में एडमिशन प्रक्रिया

साल 2020 में हुए एडमिशन की अगर बात करें तो प्रदेश के शासकीय कॉलेजों में पीजी में पिछले साल की तुलना 10 प्रतिशत अधिक एडमिशन हुए है, जबकि यूजी में यह ग्राफ गिरा है.

  1. इस वर्ष यूजी पीजी के कोर्स में पांचवे चरण की काउंसलिंग तक पांच लाख 49 हजार 461 प्रवेश हुए हैं.
  2. प्राइवेट कॉलेजों में इस साल यूजी पीजी में पिछले वर्ष की तुलना 30 प्रतिशत कम प्रवेश हुए है.
  3. हालांकि सरकारी कॉलेजों के साथ ही प्राइवेट कॉलेजों ने भी एडमिशन की डेट बढ़ा दी है.

इन कोर्स में हुए अधिक प्रवेश-

  1. मध्यप्रदेश में इंजीनियरिंग की 41 ब्रांच से पढ़ाई कराई जाती है. जिसके लिए 56, 362 सीटें हैं. साल 2019 में इसमें 23,629 छात्रों ने प्रवेश लिया था. जबकि 35 हजार सीटें खाली रह गई थी.
  2. इस वर्ष भी इंजीनियरिंग की 30 हजार से ज्यादा सीटें खाली है. केवल 40 प्रतिशत छात्रों ने इंजीनियरिंग में दाखिला लिया है.
  3. इसमें सरकारी कॉलेजों में एडमिशन की संख्या ज्यादा है. जबकि प्राइवेट कॉलेजों में एडमिशन की संख्या तेजी से गिरी है.
  4. इस वर्ष एडमिशन की अगर हम बात करें तो सबसे ज्यादा प्रवेश कला संकाय में हुए है. जिसकी संख्या 91 हजार है. जबकि सबसे कम दाखिले इंजीनियरिंग में हुए है.


कोरोना का एडमिशन और प्लेसमेंट पर असर

कोरोना के चलते इस साल कॉलेजो में कैंपस भी ना के बराबर हुए है. शैक्षनिक सत्र शुरू होते ही कोरोना ने देश मे दस्तक दी. कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के कारण सभी शैक्षिक संस्थान नौ माह तक बंद रहे. ऐसे में इंजीनियरिंग, आईटीआई सेक्टर में पढ़ाई करने वाले छात्रों के कौशल उन्नयन पर ब्रेक लग गया. एक तरह से इन छात्रों की पढ़ाई आधे सत्र में ही ठप हो गई. प्रदेश में मार्च माह में महाविद्यालय बंद हुए जबकि यही टाइम कॉलेजों में कैंपस प्लेसमेंट का होता है. दुनियाभर में फैले कोरोना संक्रमण के कारण कॉलेजो में किसी कंपनी ने प्लेसमेंट के लिए अप्रोच नहीं किया. राजधानी के इंजीनियरिंग से लेकर कॉमर्स और साइंस स्ट्रीम में कैंपस प्लेसमेंट जीरों रहा.

नए साल से नई उम्मीदें

नए वर्ष में छात्रों को उम्मीद है की 2020 में जो नुकसान शिक्षा का हुआ. उसकी भरपाई 2021 में होगी. उच्च शिक्षा विभाग भी नए वर्ष में नई शिक्षा नीति लागू करने की तैयारी में है. नई शिक्षा नीति के तहत प्रदेश के महाविद्यालयों में कई बदलाव किए जाएंगे. उच्च शिक्षा विभाग ने 2023 तक का रॉड मेप तैयार किया है. जिसके तहत प्रदेश के एक हजार कॉलेजों को गुणवत्ता पूर्ण बनाया जयगा.

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