भोपाल। मैग्नीफिसेंट एमपी को लेकर सरकार उद्योगपतियों को बड़ी राहत देने जा रही है. सरकार उद्योग नीति में बदलाव कर बंद पड़े प्रोजेक्ट, फैक्ट्री की जमीन पर संबंधित भूस्वामी को एक सामान्य शुल्क लेकर उसका वेयर हाउस के रूप में इस्तेमाल करने की मंजूरी देगी, जिससे मध्यप्रदेश को लॉजिस्टिक हब के रूप में विकसित किया जा सके.
देश के मध्य में होने की वजह से लॉजिस्टिक हब के रूप में मध्यप्रदेश सबसे मुफीद साबित हो रहा है. यही वजह है कि प्रदेश के बड़े उद्योग घराने मध्यप्रदेश में लॉजिस्टिक हब में निवेश को लेकर रुचि दिखा रहे हैं. उधर सरकार ने भी तय किया है कि विभिन्न उद्योग क्षेत्रों के अलावा अन्य स्थानों पर उद्योग केंद्रों से ली गई जमीन पर बंद फैक्ट्रियों में लॉजिस्टिक हब खोले जा सकेंगे. वैसे देखा जाए तो जीएसटी लागू किये जाने के बाद सामान की ढुलाई पर होने वाले खर्चे को लेकर कंपनियां परेशान हैं. ऐसी स्थिति में मध्यप्रदेश में लॉजिस्टिक हब खोलना बड़ी कंपनियों को फायदे का सौदा दिखाई दे रहा है.
नीति में किया जा रहा है बदलाव
मध्यप्रदेश सरकार उद्योग नीति में बदलाव करने जा रही है. ये बदलाव कंपनियों के मर्जर और डी मर्जर को लेकर हो रहा है. मौजूदा नीति के अनुसार अगर किसी कंपनी को अन्य कंपनी अधिकृत करती है. तब नामांतरण शुल्क लगता था, जो कंपनियों को भारी पड़ता था, लेकिन अब ये प्रावधान किया जा रहा है कि मात्र ₹10 हजार के शुल्क पर मर्जर और डी मर्जर का काम किया जा सकेगा. इससे जो कंपनी है, संकट के चलते बंद होने की कगार पर आ जाती हैं, उन्हें अन्य बड़ी कंपनियां आसानी से टेकओवर कर सकेंगी.
ऐसी कंपनियों के बंद होने पर रोजगार के छूटने का संकट कम होगा. पीथमपुर में सेक्टर 5-6 के निर्माण के लिए करीब 8000 एकड़ जमीन की तैयारी की जा रही है. ये भूमि लैंड पूलिंग नीति के तहत ली जाएगी. जिसमें जमीन देने वालों को कुछ सीमा तक दूसरे निर्माण का अधिकार मिलेगा.