भोपाल | प्रदेश सरकार के द्वारा मुख्यमंत्री और मंत्रियों का स्वेच्छानुदान पहले ही बढ़ा दिया गया है. लेकिन अब विधानसभा अध्यक्ष उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का भी स्वेच्छानुदान बढ़ाए जाने की तैयारी की जा रही है. हालांकि यह मामला लंबे समय से विचाराधीन है, जिसे लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं किया गया है, सरकार के द्वारा अध्यक्ष का स्वेच्छानुदान 2 करोड़ , उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का स्वेच्छानुदान 1 करोड़ करने की तैयारी की जा रही है .
मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष , उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को मिलने वाली सालाना स्वेच्छानुदान राशि के उपयोग के लिए अब नियम अलग से बनाए जाने की तैयारी की गई है. इसके लिए राज्य का संसदीय कार्य विभाग नियम बनाकर विधानसभा सचिवालय को भेज रहा है, वहीं मंत्रियों के लिए बने नियमों के सहारे ही काम चलाया जा रहा है. नए नियमों में विशेष प्रकरणों में 50 हजार रुपए तक की सहायता का अधिकार रहेगा.
बताया जा रहा है कि, विधानसभा सचिवालय ने संसदीय कार्य विभाग से विधानसभा अध्यक्ष ,उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के स्वेच्छानुदान के लिए अलग नियम बनाने के लिए कहा है, जिसके मद्देनजर विभाग ने सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र भेजकर मौजूदा व्यवस्था की पूरी जानकारी मांगी है. बताया जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का स्वेच्छानुदान बढ़ाने का प्रस्ताव काफी समय से शासन के पास विचाराधीन पड़ा हुआ था, जिसे ध्यान में रखते हुए नए नियम बनाने की जरूरत महसूस की जा रही है. सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारी इस काम में जुट गए हैं. बताया गया है कि सार्वजनिक संस्था और व्यक्तिगत सहायता के लिए अनुदान दिया जा सकता है. साथ ही नए प्रस्तावित नियमों में जनहित में पांच लाख रुपए तक निर्माण कार्य के लिए सहायता दी जा सकती है.
1 साल में किसी एक मामले में 10 लाख रुपए से अधिक नहीं दिए जा सकते हैं. वहीं राजनीतिक और धार्मिक स्वरूप की संस्थाओं को अनुदान नहीं दिया जा सकता है, व्यक्तिगत मामलों में 25 हजार से ज्यादा की राशि स्वीकृत नहीं हो पाएगी, लेकिन अध्यक्ष को 50 हजार रुपए तक देने का अधिकार दिया जाएगा. असाधारण सेवाओं के लिए पुरस्कार भी इसी राशि से दिए जा सकते हैं लेकिन व्यक्ति शासकीय सेवक नहीं होना चाहिए अध्यक्ष को यह अधिकार रहेगा कि वे किसी 1 वर्ष में किसी भी एक मामले में अधिकतम 5 लाख रुपए और उपाध्यक्ष युवा नेता प्रतिपक्ष एक लाख रुपए सहायता कर सकेंगे, सुरक्षा अनुदान से जुड़े नियमों को शिथिल करने का अधिकार अध्यक्ष के पास सुरक्षित रहेगा स्वेच्छानुदान पर पूरा नियंत्रण विधानसभा का ही रहेगा.