भोपाल। हाईकोर्ट के दखल के बाद खासगी ट्रस्ट मामले में EOW (economic offences wing) की जांच शुरू हो गई है. वहीं दूसरी तरफ खासगी ट्रस्ट की देशभर में मौजूद बेशकीमती जमीनों को लेकर नए-नए खुलासे सामने आ रहे हैं. ताजा मामला तमिलनाडु के रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के आस-पास की बेशकीमती संपत्तियों को बेचे जाने का बताया जा रहा है. रामेश्वरम में खासगी ट्रस्ट से जुड़ी करीब 6 संपत्तियां थीं, जिनको लोगों ने ओने-पौने दामों पर ट्रस्ट की मिलीभगत से बेच दिया है. ये सभी बेशकीमती जमीने थीं. इस मामले में इंदौर कलेक्टर रहते हुए मौजूदा नगरीय प्रशासन आयुक्त पी नरहरि ने रामेश्वरम जाकर जांच पड़ताल की थी और इंदौर कमिश्नर को इसकी जांच सौंपी थी. बताया जा रहा है कि EOW जांच रिपोर्ट के आधार पर रामेश्वरम पहुंचकर बेशकीमती संपत्तियों के फर्जीवाड़े की जांच शुरू करने जा रहा है.
रामेश्वरम में 6 संपत्तियां
इंदौर की महारानी देवी अहिल्या बाई ने देश में सभी ज्योतिर्लिंग पर धर्मस्व के उद्देश्य से कई तरह की संपत्तियों का निर्माण कराया था. यहां पर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं का इंतजाम भी कराया था. इसी कड़ी में उन्होंने रामेश्वरम में 6 संपत्तियों के निर्माण कराया था, जिनमें ज्यादातर संपत्ति यहां रामेश्वरम मंदिर के परिसर के आस-पास ही थीं. इन संपत्ति को भी खासगी ट्रस्ट से जुड़े लोगों ने प्रशासन से मिलीभगत करके बेच दिया. वैसे तो यह मामला इंदौर प्रशासन के सामने पहले ही आ चुका था और इंदौर के तत्कालीन कलेक्टर पी नरहरि ने खुद जाकर रामेश्वरम में इस फर्जीवाड़े की जांच पड़ताल कर रिपोर्ट इंदौर कमिश्नर को सौंपी थी.
जांच में आईं थी कई परेशानियां
बताया जाता है कि इस फर्जीवाड़े का खुलासा करने के लिए पी नरहरि के नेतृत्व में गई टीम को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी. वहां जाकर संपत्तियों का मुआयना करने के बाद जब आईएएस पी नरहरि की टीम ने संबंधित सब रजिस्टार ऑफिस में इन संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज की जांच पड़ताल शुरू की, तो तमिल में जानकारी होने के कारण काफी दिक्कतें आई थीं. बाद में तमाम दस्तावेज इकट्ठे करने के बाद उनका अनुवाद कराया गया और रिपोर्ट तैयार की गई थी. पी नरहरि ने अपनी जांच रिपोर्ट इंदौर कमिश्नर को सौंपी थी.
EOW के पास तमाम जानकारी
सूत्रों के मुताबिक EOW ने खासगी ट्रस्ट से जुड़ी तमाम जांच और प्रशासन द्वारा की गई जांच हांसिल कर ली है. इसी कड़ी में रामेश्वरम में हुए फर्जीवाड़े की आईपीएस नरहरि द्वारा की गई जांच भी EOW के पास आ चुकी है. इसी रिपोर्ट को आधार बनाकर आगे की कार्रवाई की जा रही है. EOW का एक दल रामेश्वरम रवाना होने वाला है. ये दल रिपोर्ट के आधार पर रामेश्वरम की खासगी ट्रस्ट की बेशकीमती संपत्तियों की खरीद-फरोख्त किस तरीके से हुई और कैसे इसको अंजाम दिया गया, इसकी जांच पड़ताल करेगा.
हरिद्वार में भी फर्जीवाड़ा
ऐसा ही हरिद्वार की कुशावर्त घाट की जमीन में भी करोड़ों का खेल हुआ है. खासगी ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी सतीश चंद्र मल्होत्रा ने नकली दस्तावेज तैयार कर राघवेंद्र सिखौला नाम के शख्स के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी दे दी थी. उसे 2007 में पावर ऑफ अटॉर्नी हासिल हुई थी और 2 साल बाद ही उसने इस जमीन की रजिस्ट्री अपनी पत्नी और भाई के नाम पर कर दी थी. इस मामले में एफआईआर भी दर्ज की गई है. जिसके अनुसार कुशावर्त घाट को 50 लाख में बेचा गया. खास बात यह है कि इसमें खासगी ट्रस्ट की भूमिका साफ तौर पर मिलीभगत की नजर आ रही है. क्योंकि इसमें ट्रस्ट के लिए एडवांस में 15 लाख रुपए मिले थे.