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भीषण गर्मी के बीच MP में बिजली संकट विकराल, अगले माह हालात और बिगड़ने की आशंका, आखिर कौन है जिम्मेदार

मध्यप्रदेश में भीषण गर्मी के बीच बिजली संकट (Power crisis) भी भीषण होता जा रहा है. आशंका है कि अगले माह में ये संकट और विकराल हो सकता है. राज्य सरकार भले ही दावा करे कि हालात नियंत्रण में हैं लेकिन धरातल पर तस्वीर अलग ही दिख रही है. गांवों में 8 से 10 घंटे बिजली कटौती हो रही है. इस संकट के लिए कोयले की कमी से ज्यादा पावर मैनेजमेंट कंपनी के आला अफसरों को जिम्मेदार माना जा रहा है. (Power crisis worst in Madhya Pradesh) (Power crisis to worsen next month) (Power minister denied crisis in MP)

Power crisis worst in Madhya Pradesh
मध्यप्रदेश में बिजली संकट बढ़ा
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Published : Apr 28, 2022, 12:08 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में बिजली संकट लगातार बढ़ता जा रहा है. शहरों में तो ठीक है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में अघोषित रूप से बिजली 8 घंटे कट रही है. बिजली संकट के लिए पावर मैनेजमेंट की कमान संभाल रहे विवेक पोरवाल को जिम्मेदार माना जा रहा है. कांग्रेस ने इस बिजली संकट पर सीएम शिवराज सिंह से सवाल किया है. प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि शिवराज के खासमखास अफसर को बिजली की कमान दी गई. इन्होंने बिना सोचे-समझे बिजली दूसरे राज्यों को बेच दी और अब बिजली इतने जल्दी मिल नहीं पा रही है. खरीदने की कोशिश की जा रही है, लेकिन 20 रुपए यूनिट के रेट से सरकार बिजली खरीदने की हिम्मत नहीं कर पा रही है. हाल ये है कि अप्रैल 2022 में बिजली की डिमांड 12400 मेगावाट है, जबकि 2020 में 10 हज़ार मेगावाट तो 2021 में 10460 मेगावाट थी.

Power crisis worst in Madhya Pradesh
मध्यप्रदेश में बिजली संकट बढ़ा

पावर मैनेजमेंट के सर्वेसर्वा विवेक अग्रवाल पर सवाल उठे : सूत्रों की मानें तो बिजली संकट के लिए पावर मैनेजमेंट की कमान संभाल रहे विवेक पोरवाल ही जिम्मेदार हैं, लेकिन मुख्यमंत्री के खास होने के कारण इन पर कोई एक्शन नहीं हो पा रहा है. दरअसल कोविड काल में उद्योग बंद थे और विवेक अग्रवाल इस बात का आकलन नहीं लगा सके. जिसका नतीजा ये है कि प्रदेश भीषण बिजली संकट से गुजर रहा है. पावर मैनेजमेंट कंपनी ने प्रदेश के हिस्से की 1005 मेगावाट बिजली गुजरात और महाराष्ट्र में बांट दी. कंपनी के यह कहने पर कि हमें बिजली की जरूरत नहीं है, ऊर्जा विभाग ने NTPCकी 360 मेगावाट बिजली महाराष्ट्र, बाकी 695 मेगावाट बिजली गुजरात को दे दी.

खपत बढ़ी, आवक घटी : पूरी गर्मी यानी 30 जून तक MP के हिस्से की बिजली दोनों प्रदेश में जाती रहेगी, जिससे मई में और संकट गहराएगा. पॉवर प्रदेश में उड़द-मूंग की खेती बड़े पैमाने में हो रही है. दो साल से कोरोना कर्फ्यू में उद्योग-धंधे बंद रहे. लेकिन अब उद्योग चालू हो गए हैं. प्रदेश में भीषण गर्मी पड़ रही है. एसी-कूलर भी हर घर चल रहे हैं. इसलिए खपत भी बढ़ रही है. खपत बढ़ रही है और आवक घट रही है तो बिजली संकट तो बढ़ेगा ही.

Power crisis worst in Madhya Pradesh
मध्यप्रदेश में बिजली संकट बढ़ा

एमपी में गहराया बिजली का संकट ! भाजपा का दावा, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण प्रदेश में कोयले का संकट

सरकार का दावा हकीकत से अलग : प्रदेशभर में कोयले की किल्लत को देखते हुए अब सरकार भी अलर्ट मोड पर नजर आ रही है. प्रदेश के उर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर लगातार अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करते नजर आ रहे हैं. इसी के साथ सरकार ने जनता को इस बात का आश्वासन दिया है कि प्रदेश में बिजली संकट नहीं आने दिया जाएगा और जल्द ही कोयले की कमी को भी दूर कर लिया जाएगा. ऊर्जा मंत्री का दावा है कि बिजली संकट बिल्कुल नहीं है.

Power crisis worst in Madhya Pradesh
मध्यप्रदेश में बिजली संकट बढ़ा

मेंटेनेंस के नाम पर बिजली कटौती : ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है कि प्रदेश में ताप बिजली घरों में प्रतिदिन लगभग 58,000 मीट्रिक टन आपूर्ति की आवश्यकता होती है, जबकि हाल ही में आपूर्ति लगभग 50,000 मीट्रिक टन प्रतिदिन हो गई है. दरअसल, थर्मल प्लांट 26 दिनों के कोयले के भंडार को बनाए रखते हैं, मध्यप्रदेश में संयंत्रों के पास स्टॉक बचा है, जो तीन दिनों तक चल सकता है. कई राज्य कोयले की कमी से जूझ रहे हैं और केंद्र से अतिरिक्त आपूर्ति की मांग कर रहे हैं. नतीजा मेंटेनेंस के नाम पर कटौती की जा रही है. (Power crisis worst in Madhya Pradesh) (Power crisis to worsen next month)

भोपाल। मध्यप्रदेश में बिजली संकट लगातार बढ़ता जा रहा है. शहरों में तो ठीक है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में अघोषित रूप से बिजली 8 घंटे कट रही है. बिजली संकट के लिए पावर मैनेजमेंट की कमान संभाल रहे विवेक पोरवाल को जिम्मेदार माना जा रहा है. कांग्रेस ने इस बिजली संकट पर सीएम शिवराज सिंह से सवाल किया है. प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि शिवराज के खासमखास अफसर को बिजली की कमान दी गई. इन्होंने बिना सोचे-समझे बिजली दूसरे राज्यों को बेच दी और अब बिजली इतने जल्दी मिल नहीं पा रही है. खरीदने की कोशिश की जा रही है, लेकिन 20 रुपए यूनिट के रेट से सरकार बिजली खरीदने की हिम्मत नहीं कर पा रही है. हाल ये है कि अप्रैल 2022 में बिजली की डिमांड 12400 मेगावाट है, जबकि 2020 में 10 हज़ार मेगावाट तो 2021 में 10460 मेगावाट थी.

Power crisis worst in Madhya Pradesh
मध्यप्रदेश में बिजली संकट बढ़ा

पावर मैनेजमेंट के सर्वेसर्वा विवेक अग्रवाल पर सवाल उठे : सूत्रों की मानें तो बिजली संकट के लिए पावर मैनेजमेंट की कमान संभाल रहे विवेक पोरवाल ही जिम्मेदार हैं, लेकिन मुख्यमंत्री के खास होने के कारण इन पर कोई एक्शन नहीं हो पा रहा है. दरअसल कोविड काल में उद्योग बंद थे और विवेक अग्रवाल इस बात का आकलन नहीं लगा सके. जिसका नतीजा ये है कि प्रदेश भीषण बिजली संकट से गुजर रहा है. पावर मैनेजमेंट कंपनी ने प्रदेश के हिस्से की 1005 मेगावाट बिजली गुजरात और महाराष्ट्र में बांट दी. कंपनी के यह कहने पर कि हमें बिजली की जरूरत नहीं है, ऊर्जा विभाग ने NTPCकी 360 मेगावाट बिजली महाराष्ट्र, बाकी 695 मेगावाट बिजली गुजरात को दे दी.

खपत बढ़ी, आवक घटी : पूरी गर्मी यानी 30 जून तक MP के हिस्से की बिजली दोनों प्रदेश में जाती रहेगी, जिससे मई में और संकट गहराएगा. पॉवर प्रदेश में उड़द-मूंग की खेती बड़े पैमाने में हो रही है. दो साल से कोरोना कर्फ्यू में उद्योग-धंधे बंद रहे. लेकिन अब उद्योग चालू हो गए हैं. प्रदेश में भीषण गर्मी पड़ रही है. एसी-कूलर भी हर घर चल रहे हैं. इसलिए खपत भी बढ़ रही है. खपत बढ़ रही है और आवक घट रही है तो बिजली संकट तो बढ़ेगा ही.

Power crisis worst in Madhya Pradesh
मध्यप्रदेश में बिजली संकट बढ़ा

एमपी में गहराया बिजली का संकट ! भाजपा का दावा, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण प्रदेश में कोयले का संकट

सरकार का दावा हकीकत से अलग : प्रदेशभर में कोयले की किल्लत को देखते हुए अब सरकार भी अलर्ट मोड पर नजर आ रही है. प्रदेश के उर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर लगातार अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करते नजर आ रहे हैं. इसी के साथ सरकार ने जनता को इस बात का आश्वासन दिया है कि प्रदेश में बिजली संकट नहीं आने दिया जाएगा और जल्द ही कोयले की कमी को भी दूर कर लिया जाएगा. ऊर्जा मंत्री का दावा है कि बिजली संकट बिल्कुल नहीं है.

Power crisis worst in Madhya Pradesh
मध्यप्रदेश में बिजली संकट बढ़ा

मेंटेनेंस के नाम पर बिजली कटौती : ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है कि प्रदेश में ताप बिजली घरों में प्रतिदिन लगभग 58,000 मीट्रिक टन आपूर्ति की आवश्यकता होती है, जबकि हाल ही में आपूर्ति लगभग 50,000 मीट्रिक टन प्रतिदिन हो गई है. दरअसल, थर्मल प्लांट 26 दिनों के कोयले के भंडार को बनाए रखते हैं, मध्यप्रदेश में संयंत्रों के पास स्टॉक बचा है, जो तीन दिनों तक चल सकता है. कई राज्य कोयले की कमी से जूझ रहे हैं और केंद्र से अतिरिक्त आपूर्ति की मांग कर रहे हैं. नतीजा मेंटेनेंस के नाम पर कटौती की जा रही है. (Power crisis worst in Madhya Pradesh) (Power crisis to worsen next month)

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