भोपाल। साल 2018 में शिवराज सरकार के जाने की वजह दलितों की नाराजगी रही थी. एट्रोसिटी एक्ट के विरोध में देशभर में विरोध प्रदर्शन की लहर जब मध्यप्रदेश पहुंची तो ग्वालियर -चंबल क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हंगामा हुआ. इस वर्ग के लोगों पर मामले दर्ज हुए. बीजेपी को सत्ता से हाथ धोना पड़ा. एक तरफ दलितों की नाराजगी तो दूसरी तरफ सामान्य वर्ग की नाराजगी भी शिवराज को भारी पड़ी थी. इसलिए इस बार सीएम शिवराज संभलकर चल रहे हैं.
सीएम शिवराज पर एक बयान पड़ा था भारी : वर्ष 2018 के चुनाव से पहले सीएम शिवराज को लोगों ने अलग मोड में देखा था. एससी और एसटी को अपना बनाने की कोशिश में ज्यादातर सभाओं में शिवराज कहते हुए दिखाई दिए कि कौन माई का लाल है, जो आरक्षण को खत्म कर सकता है. इस बयान से इस वर्ग पर तो ज्यादा असर नहीं पड़ा, लेकिन सामान्य वर्ग की नाराजगी उन्हें झेलनी पड़ी. ये भी शिवराज सरकार के जाने की बड़ी वजह मानी गई थी. अब शिवराज की नजर एससी की 35 सीटों पर है. 2018 के चुनाव की बात करें तो बीजेपी को एससी की 35 में से 18 सीटें मिली थी और वहीं 2013 में 28 मिली थीं.
एससी वर्ग को लुभाने की कोशिश : अंबेडकर जयंती के मौके पर बीजेपी ने प्रदेश के 65,000 बूथों पर अंबेडकर जयंती मनाई. बीजेपी 7 से लेकर 20 अप्रैल के बीच सामाजिक न्याय पखवाड़ा मना रही है. पीएम नरेंद्र मोदी ने अंबेडकर से जुड़े प्रमुख स्थानों को पंच तीर्थ का नाम दिया है और उन्हें विकसित करने का ऐलान भी किया है. बीजेपी ने इस मौके पर अंबेडकर के व्यक्तित्व व कृतित्व के साथ केंद्र सरकार के किए गए कामों की चर्चा और गोष्ठियों का आयोजन किया. एससी वर्ग को लुभाने के लिए सीएम शिवराज ने मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में अंबेडकर के पंचतीर्थ को शामिल किया. इन स्थानों की यात्रा सरकार मुफ्त कराएगी.
आरक्षित सीटों पर नजर : इसके अलावा मध्यप्रदेश की धरती पर अंबेडकर की विशाल और भव्य स्मारक बीजेपी सरकार ने बनवाया. डॉ. भीमराव अंबेडकर आर्थिक कल्याण योजना के तहत किसी को छोटा लोन चाहिए तो उसके लिए भी एक लाख तक का लोन सरकार दिलाएगी, जिसके ब्याज की भरपाई सरकार करेगी. मध्यप्रदेश में दलित वर्ग कितना अहम है, इसके लिए ये जानना जरूरी है कि प्रदेश में अनुसूचित जाति की 35 सीटें आरक्षित हैं. इनमें से 2003 में 30 सीटें, 2008 में 25 सीटें, 2013 में 28 सीटें और 2018 में 18 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी. (CM Shivraj focus on 35 SC seats) (Power and organization focus on Dalit)