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मध्यप्रदेश के कॉलेजों में खाली पड़े लाइब्रेरियन के पद, लाइब्रेरी की देखभाल कर रहे बाबू और कर्मचारी

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Published : Nov 6, 2020, 12:51 PM IST

मध्यप्रदेश के कॉलेजों में 200 से ज्यादा लाइब्रेरियन के पद खाली पड़े हुए हैं. जिसके चलते लाइब्रेरी जैसी महत्वपूर्ण जगह बर्बाद हो रही है.

Posts of Librarian lying vacant,
खाली पड़े लाइब्रेरियन के पद,

भोपाल। मध्यप्रदेश के शासकीय और निजी महाविद्यालय में लाइब्रेरियन के पद पिछले 4 सालों से खाली पड़े हुए हैं. स्थिति ये है कि, प्रदेश के 28 विश्वविद्यालय में से केवल 2 विश्वविद्यालयों में ही लाइब्रेरियन नियुक्त हैं, बाकी सभी विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर लाइब्रेरियन की ड्यूटी कर रहे हैं, जिसके चलते लाइब्रेरी जैसी महत्वपूर्ण जगह बर्बाद हो रही है. राजधानी के शासकीय कॉलेजों में से केवल 5% कॉलेजों में ही लाइब्रेरियन नियुक्त हैं. बाकी सभी कॉलेजों में लाइब्रेरियन के नाम पर बाबू या कर्मचारी काम कर रहे हैं. प्रदेश के शासकीय और निजी कॉलेजों में 200 से अधिक लाइब्रेरियन के पद खाली पड़े हुए हैं.

मोहन यादव, उच्च शिक्षा मंत्री

इन महाविधालयों में नहीं हैं लाइब्रेरियन

राजधानी की अगर बात करें तो, बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में भी लाइब्रेरियन नियुक्त नहीं हैं. यहां भी लाइब्रेरियन के नाम पर प्रोफेसर लाइब्रेरी के इंचार्ज बने हुए हैं. वहीं भोज विश्वविद्यालय में भी लाइब्रेरियन नहीं हैं. यहां विश्वविद्यालय के कर्मचारी लाइब्रेरी संभाल रहे हैं. इसी तरह मोतीलाल विज्ञान महाविद्यालय, गीतांजलि कॉलेज, महारानी लक्ष्मीबाई कॉलेज समेत अन्य कॉलेजों में लाइब्रेरियन नियुक्त नहीं हैं. जिसके चलते लाइब्रेरी में काम भी बेहद लेटलतीफी से होते हैं और इसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ता है, लाइब्रेरी में रखी किताबों की जानकारी अगर लाइब्रेरी के इंचार्ज को ही नहीं होगी, तो वो छात्र को कैसे बताएगा और यही वजह है कि, प्रदेश के महाविद्यालयों में लाइब्रेरी की हालत बद से बदतर है.

शासकीय सरोजनी नायडू कॉलेज में तैयार हुई प्रदेश की सबसे बड़ी लाइब्रेरी, नहीं हुआ उद्घाटन

प्रभात पांडेय, अध्यक्ष लाइब्रेरी असोसिएशन

राजधानी के शासकीय सरोजनी नायडू महाविद्यालय में प्रदेश की सबसे बड़ी लाइब्रेरी तैयार की जा रही है. इस लाइब्रेरी के लिए 2 साल पहले करोड़ों रुपए का बजट पास किया गया था, लेकिन इस लाइब्रेरी का उद्घाटन अब तक नहीं हो सका है. लाइब्रेरी की बिल्डिंग बनकर तैयार है, लेकिन लाइब्रेरी खाली पड़ी हुई है. वजह ये है कि, लाइब्रेरी की बिल्डिंग में कॉलेज प्रशासन ने कक्षाएं शुरू कर दी हैं. पहले तल पर कंप्यूटर डिपार्टमेंट बना दिया और तीसरी मंजिल पर लैब तैयार की गई है. अब केवल बीच में दो हॉल बचे हैं. जिसमें लाइब्रेरी तैयार की जाएगी, लेकिन सवाल ये है कि, दो हॉल की लाइब्रेरी प्रदेश की सबसे बड़ी लाइब्रेरी कैसे होगी.

प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव का कहना है कि, उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयास कर रही है. प्रदेश के महाविद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हो, इसके लिए उच्च शिक्षा विभाग प्रयासरत है. नई शिक्षा नीति लागू करने के लिए टास्क फोर्स का गठन भी किया गया है. जिसमें 100 से अधिक सदस्य हैं, नई शिक्षा नीति भारत की ही नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी नीति है. इस नीति के तहत प्रदेश के कॉलेजों की दशा बदलेगी. इस पर तैयारी चालू है. जल्द ही प्रदेश के कॉलेजों का स्वरूप बदला हुआ नजर आएगा. लाइब्रेरियन नियुक्ति पर उन्होंने कहा कि, हमारी सरकार का गठन होते ही सबसे पहले अतिथि विद्वानों को सेवा में लिया. इसी तरह शासकीय विभागों में अन्य जो पद खाली थे, उन पर नियुक्ति की आगे भी प्रक्रिया जारी है. जल्द ही कॉलेजों में खाली पड़े पदों को भरा जाएगा.

भोपाल। मध्यप्रदेश के शासकीय और निजी महाविद्यालय में लाइब्रेरियन के पद पिछले 4 सालों से खाली पड़े हुए हैं. स्थिति ये है कि, प्रदेश के 28 विश्वविद्यालय में से केवल 2 विश्वविद्यालयों में ही लाइब्रेरियन नियुक्त हैं, बाकी सभी विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर लाइब्रेरियन की ड्यूटी कर रहे हैं, जिसके चलते लाइब्रेरी जैसी महत्वपूर्ण जगह बर्बाद हो रही है. राजधानी के शासकीय कॉलेजों में से केवल 5% कॉलेजों में ही लाइब्रेरियन नियुक्त हैं. बाकी सभी कॉलेजों में लाइब्रेरियन के नाम पर बाबू या कर्मचारी काम कर रहे हैं. प्रदेश के शासकीय और निजी कॉलेजों में 200 से अधिक लाइब्रेरियन के पद खाली पड़े हुए हैं.

मोहन यादव, उच्च शिक्षा मंत्री

इन महाविधालयों में नहीं हैं लाइब्रेरियन

राजधानी की अगर बात करें तो, बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में भी लाइब्रेरियन नियुक्त नहीं हैं. यहां भी लाइब्रेरियन के नाम पर प्रोफेसर लाइब्रेरी के इंचार्ज बने हुए हैं. वहीं भोज विश्वविद्यालय में भी लाइब्रेरियन नहीं हैं. यहां विश्वविद्यालय के कर्मचारी लाइब्रेरी संभाल रहे हैं. इसी तरह मोतीलाल विज्ञान महाविद्यालय, गीतांजलि कॉलेज, महारानी लक्ष्मीबाई कॉलेज समेत अन्य कॉलेजों में लाइब्रेरियन नियुक्त नहीं हैं. जिसके चलते लाइब्रेरी में काम भी बेहद लेटलतीफी से होते हैं और इसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ता है, लाइब्रेरी में रखी किताबों की जानकारी अगर लाइब्रेरी के इंचार्ज को ही नहीं होगी, तो वो छात्र को कैसे बताएगा और यही वजह है कि, प्रदेश के महाविद्यालयों में लाइब्रेरी की हालत बद से बदतर है.

शासकीय सरोजनी नायडू कॉलेज में तैयार हुई प्रदेश की सबसे बड़ी लाइब्रेरी, नहीं हुआ उद्घाटन

प्रभात पांडेय, अध्यक्ष लाइब्रेरी असोसिएशन

राजधानी के शासकीय सरोजनी नायडू महाविद्यालय में प्रदेश की सबसे बड़ी लाइब्रेरी तैयार की जा रही है. इस लाइब्रेरी के लिए 2 साल पहले करोड़ों रुपए का बजट पास किया गया था, लेकिन इस लाइब्रेरी का उद्घाटन अब तक नहीं हो सका है. लाइब्रेरी की बिल्डिंग बनकर तैयार है, लेकिन लाइब्रेरी खाली पड़ी हुई है. वजह ये है कि, लाइब्रेरी की बिल्डिंग में कॉलेज प्रशासन ने कक्षाएं शुरू कर दी हैं. पहले तल पर कंप्यूटर डिपार्टमेंट बना दिया और तीसरी मंजिल पर लैब तैयार की गई है. अब केवल बीच में दो हॉल बचे हैं. जिसमें लाइब्रेरी तैयार की जाएगी, लेकिन सवाल ये है कि, दो हॉल की लाइब्रेरी प्रदेश की सबसे बड़ी लाइब्रेरी कैसे होगी.

प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव का कहना है कि, उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयास कर रही है. प्रदेश के महाविद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हो, इसके लिए उच्च शिक्षा विभाग प्रयासरत है. नई शिक्षा नीति लागू करने के लिए टास्क फोर्स का गठन भी किया गया है. जिसमें 100 से अधिक सदस्य हैं, नई शिक्षा नीति भारत की ही नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी नीति है. इस नीति के तहत प्रदेश के कॉलेजों की दशा बदलेगी. इस पर तैयारी चालू है. जल्द ही प्रदेश के कॉलेजों का स्वरूप बदला हुआ नजर आएगा. लाइब्रेरियन नियुक्ति पर उन्होंने कहा कि, हमारी सरकार का गठन होते ही सबसे पहले अतिथि विद्वानों को सेवा में लिया. इसी तरह शासकीय विभागों में अन्य जो पद खाली थे, उन पर नियुक्ति की आगे भी प्रक्रिया जारी है. जल्द ही कॉलेजों में खाली पड़े पदों को भरा जाएगा.

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