ETV Bharat / state

गौ कैबिनेट गाय और सियासत, आखिर क्या है गौ संवर्धन की सच्चाई ? - gau cabinet in Madhya Pradesh

सीएम शिवराज सिंह चौहान के गौ कैबिनेट बनाने के फैसले के बाद प्रदेश में एक बार फिर गाय के नाम पर राजनीति होने लगी है, लेकिन असल में पार्टी और सरकारों को गाय की बजाय अपने सियासत की फिक्र है. जाने सालों गाय के नाम पर होती सियासत और सरकारों के दावों की सच्चाई..

gau cabinet cow and politics
गौ कैबिनेट गाय और सियासत
author img

By

Published : Nov 18, 2020, 9:54 PM IST

Updated : Nov 19, 2020, 3:38 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में गोधन संरक्षण एवं संवर्धन के लिए 'गौ-कैबिनेट' गठित करने का निर्णय लिया है, जिसकी सूचना उन्होंने ट्वीटर के जरिए दी. सीएम के इस फैसले के बाद कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. राजनीतिक गलियारों में इसे एक और घोषणा के रूप में देखा जाने लगा है और एक बार फिर मध्य प्रदेश में गाय के नाम पर राजनीति होने लगी है.

गौ कैबिनेट गाय और सियासत

सीएम शिवराज के इस फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शिवराज सरकार की नियत पर सवाल उठाएं हैं, उन्होंने ट्वीट करके कहा कि कहा कि शिवराज सिंह अपनी पुरानी घोषणाओं को भूलकर फिर एक नई घोषणा कर रहे हैं. उन्होंने गौ सेवा करने की बजाए कांग्रेस सरकार में गाय के लिए बनाए गए बजट में ही कटौती कर दी, उनकी गौ सेवा इसी से झलक जाती है.

गाय के खुराक में 90 फीसदी की कटौती

मध्य प्रदेश की गौशालाओं में इस समय 1.80 लाख गायों को रखा गया है. पिछले वित्तीय वर्ष में पशुपालन विभाग का बजट 132 करोड़ रुपए रखा था, जबकि 2020-21 में तो यह सीधे 11 करोड़ रुपये हो गया, यानी लगभग 90 फीसदी की कटौती कर दी गई. मतलब गाय की खुराक का बजट 20 रुपए से घटकर एक रुपए 60 पैसे हो गई.

बीजेपी के मुद्दे को कांग्रेस ने भुनाया

बीजेपी के इस मुद्दे पिछली कमलनाथ सरकार ने जरूर काम किया. कमलनाथ सरकार के दौरान हर साल एक हजार गौशाला खोलने का निर्णय लिया गया, हालांकि इसमें से करीबन 600 गौशाला खुल पाईं. हालांकि इनमें से करीब डेढ़ सौ गौशाला ही संचालित हो पा रही है. कुछ स्व-सहायता समूह के भरोसे हैं तो कुछ गौशालाओं को ग्राम पंचायत संचालित कर रही हैं.

कांग्रेस खड़े कर रही सवाल

शिवराज सरकार ने इसके पहले गायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए वर्ष 2004 में गोपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड की भी स्थापना की थी. इन 15 सालों में प्रदेश में 1236 गौशालाएं ही खुल पाईं. इनमें से तकीबन 600 गौशाला पिछली कमलनाथ सरकार के दौरान खोली गई.

कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि शिवराज सरकार अपने पिछले 15 सालों के दौरान सिर्फ गायों के संरक्षण को लेकर बात करती रही, जबकि गौशाला खोलने का काम कमलनाथ सरकार ने किया है. बीजेपी सरकार ने गौपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड भी स्थापित किया था, जो सिर्फ नाम का रहा और अब गौ कैबिनेट का गठन भी मुख्यमंत्री की तमाम घोषणाओं का लिस्ट में ही शामिल होने वाली है.

2014 में लगातार योजनाएं बनती गईं

  • भाजपा ने 2014 में अपने घोषणा पत्र में गौ रक्षा का मुद्दा उठाया.
  • एमपी में गायों के आधार कार्ड बनवाए गए.
  • 2017 में बीजेपी के ऐलान के बाद देश का पहला गौ अभयारण्य बना.
  • विधानसभा 2018 के पहले भाजपा ने गौमाता को जमकर उठाया.
  • '1962 पशुधन संजीवनी' योजना के नाम से भाजपा ने बनाई मोबाइल वैन.

भाजपा के बाद कांग्रेस को भाया गौमाता का साथ

  • कांग्रेस ने 2018 के घोषणा पत्र में हर ग्राम पंचायत में गौशाला खोलने का ऐलान किया.
  • प्रदेश में एक हजार गौशाला खोलने के आदेश के बाद कांग्रेस 'कैटल रेस्क्यू अभियान' लाई.
  • इसके बाद कमलनाथ सरकार नया प्लान लेकर आई और गाय का ध्यान रखने के लिए मोबाइल एप तैयार की गई.

मध्यप्रदेश में 7 लाख निराश्रित गौ वंश

मध्यप्रदेश में 2012 की पशु संगणना के अनुसार प्रदेश में गाय और भैंस वंशीय प्रजनन योग्य पशुओं की संख्या एक करोड़ नौ लाख से ज्यादा है. राज्य में अधिकतर पशु अवर्णित नस्ल के हैं, जिनकी दुग्ध उत्पादन क्षमता अपेक्षाकृत कम है. गौवंश को लेकर असली समस्या यहीं से शुरू होती है. गाय के उत्पादक न होने पर लोग गायों को सड़क पर छोड़ देते हैं. मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में सरकारी आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो करीब सात लाख निराश्रित गाय हैं.

वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक केदार श्रोत्रिय की माने तो जब तक गायों का नस्ल सुधार नहीं होगा, तब तक इस मामले में बेहतर परिणाम नहीं आएंगे. उन्होंने कहा कि इस दिशा में पशुपालन विभाग द्वारा कदम बढ़ाए गए और साल 2019-20 में 14 लाख पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान कराया गया, लेकिन बड़े पैमाने पर इस पर काम नहीं किया जा सका, जिस कारण समसेया जस की तस बरकरार है.

गायों के लिए दान की कमी

मध्यप्रदेश में गायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए बोर्ड लोगों से दान की अपील भी लगातार करता रहता है. लेकिन गायों के नाम पर कुल जमा 58 हजार 132 रुपए का दान ही प्राप्त हुआ. इसमें सबसे बड़े दानदाता पशुपालन विभाग के डायरेक्टर डॉक्टर आरके रोकड़े है, जिन्होंने 10 हजार रुपए दान किए.

पिछले 15 सालों में बन सकीं सिर्फ 627 गौशालाएं

गौ सेवा के नाम पर सबसे ज्यादा ढिंढोरा पीटने वाली भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सरकार ने 2004 प्रदेश में गौपालन और संवर्धन बोर्ड की स्थापना की. इसके तहत सभी 51 जिलों में पशुधन संवर्धन समितियों का भी गठन किया गया. इसके बाद भी मध्यप्रदेश में पिछले 15 सालों में कुल 627 निजी गौशाला स्थापित की जा सकी, जबकि सरकारी गौशाला एक भी नहीं खुली.

गाय के नाम पर भले ही बीजेपी कांग्रेस एक दूसरे पर राजनीती करने का आरोप लगाती हो लेकिन, दोनों की सरकारों के दौरान गाय को कोई विशेष फायदा नहीं मिला. जहां एक तरफ कांग्रेस ने अपनी सरकार के दौरान 600 गौ शालाएं बनाई, लेकिन उसमें से 150 ही संचालित हो सकीं, वहीं बीजेपी के 15 साल के सरकार में बनी एक भी गौशाला सरकारी नहीं है. अब इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार और सियासत दारों को गाय की कितनी चिंता है.

भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में गोधन संरक्षण एवं संवर्धन के लिए 'गौ-कैबिनेट' गठित करने का निर्णय लिया है, जिसकी सूचना उन्होंने ट्वीटर के जरिए दी. सीएम के इस फैसले के बाद कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. राजनीतिक गलियारों में इसे एक और घोषणा के रूप में देखा जाने लगा है और एक बार फिर मध्य प्रदेश में गाय के नाम पर राजनीति होने लगी है.

गौ कैबिनेट गाय और सियासत

सीएम शिवराज के इस फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शिवराज सरकार की नियत पर सवाल उठाएं हैं, उन्होंने ट्वीट करके कहा कि कहा कि शिवराज सिंह अपनी पुरानी घोषणाओं को भूलकर फिर एक नई घोषणा कर रहे हैं. उन्होंने गौ सेवा करने की बजाए कांग्रेस सरकार में गाय के लिए बनाए गए बजट में ही कटौती कर दी, उनकी गौ सेवा इसी से झलक जाती है.

गाय के खुराक में 90 फीसदी की कटौती

मध्य प्रदेश की गौशालाओं में इस समय 1.80 लाख गायों को रखा गया है. पिछले वित्तीय वर्ष में पशुपालन विभाग का बजट 132 करोड़ रुपए रखा था, जबकि 2020-21 में तो यह सीधे 11 करोड़ रुपये हो गया, यानी लगभग 90 फीसदी की कटौती कर दी गई. मतलब गाय की खुराक का बजट 20 रुपए से घटकर एक रुपए 60 पैसे हो गई.

बीजेपी के मुद्दे को कांग्रेस ने भुनाया

बीजेपी के इस मुद्दे पिछली कमलनाथ सरकार ने जरूर काम किया. कमलनाथ सरकार के दौरान हर साल एक हजार गौशाला खोलने का निर्णय लिया गया, हालांकि इसमें से करीबन 600 गौशाला खुल पाईं. हालांकि इनमें से करीब डेढ़ सौ गौशाला ही संचालित हो पा रही है. कुछ स्व-सहायता समूह के भरोसे हैं तो कुछ गौशालाओं को ग्राम पंचायत संचालित कर रही हैं.

कांग्रेस खड़े कर रही सवाल

शिवराज सरकार ने इसके पहले गायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए वर्ष 2004 में गोपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड की भी स्थापना की थी. इन 15 सालों में प्रदेश में 1236 गौशालाएं ही खुल पाईं. इनमें से तकीबन 600 गौशाला पिछली कमलनाथ सरकार के दौरान खोली गई.

कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि शिवराज सरकार अपने पिछले 15 सालों के दौरान सिर्फ गायों के संरक्षण को लेकर बात करती रही, जबकि गौशाला खोलने का काम कमलनाथ सरकार ने किया है. बीजेपी सरकार ने गौपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड भी स्थापित किया था, जो सिर्फ नाम का रहा और अब गौ कैबिनेट का गठन भी मुख्यमंत्री की तमाम घोषणाओं का लिस्ट में ही शामिल होने वाली है.

2014 में लगातार योजनाएं बनती गईं

  • भाजपा ने 2014 में अपने घोषणा पत्र में गौ रक्षा का मुद्दा उठाया.
  • एमपी में गायों के आधार कार्ड बनवाए गए.
  • 2017 में बीजेपी के ऐलान के बाद देश का पहला गौ अभयारण्य बना.
  • विधानसभा 2018 के पहले भाजपा ने गौमाता को जमकर उठाया.
  • '1962 पशुधन संजीवनी' योजना के नाम से भाजपा ने बनाई मोबाइल वैन.

भाजपा के बाद कांग्रेस को भाया गौमाता का साथ

  • कांग्रेस ने 2018 के घोषणा पत्र में हर ग्राम पंचायत में गौशाला खोलने का ऐलान किया.
  • प्रदेश में एक हजार गौशाला खोलने के आदेश के बाद कांग्रेस 'कैटल रेस्क्यू अभियान' लाई.
  • इसके बाद कमलनाथ सरकार नया प्लान लेकर आई और गाय का ध्यान रखने के लिए मोबाइल एप तैयार की गई.

मध्यप्रदेश में 7 लाख निराश्रित गौ वंश

मध्यप्रदेश में 2012 की पशु संगणना के अनुसार प्रदेश में गाय और भैंस वंशीय प्रजनन योग्य पशुओं की संख्या एक करोड़ नौ लाख से ज्यादा है. राज्य में अधिकतर पशु अवर्णित नस्ल के हैं, जिनकी दुग्ध उत्पादन क्षमता अपेक्षाकृत कम है. गौवंश को लेकर असली समस्या यहीं से शुरू होती है. गाय के उत्पादक न होने पर लोग गायों को सड़क पर छोड़ देते हैं. मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में सरकारी आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो करीब सात लाख निराश्रित गाय हैं.

वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक केदार श्रोत्रिय की माने तो जब तक गायों का नस्ल सुधार नहीं होगा, तब तक इस मामले में बेहतर परिणाम नहीं आएंगे. उन्होंने कहा कि इस दिशा में पशुपालन विभाग द्वारा कदम बढ़ाए गए और साल 2019-20 में 14 लाख पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान कराया गया, लेकिन बड़े पैमाने पर इस पर काम नहीं किया जा सका, जिस कारण समसेया जस की तस बरकरार है.

गायों के लिए दान की कमी

मध्यप्रदेश में गायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए बोर्ड लोगों से दान की अपील भी लगातार करता रहता है. लेकिन गायों के नाम पर कुल जमा 58 हजार 132 रुपए का दान ही प्राप्त हुआ. इसमें सबसे बड़े दानदाता पशुपालन विभाग के डायरेक्टर डॉक्टर आरके रोकड़े है, जिन्होंने 10 हजार रुपए दान किए.

पिछले 15 सालों में बन सकीं सिर्फ 627 गौशालाएं

गौ सेवा के नाम पर सबसे ज्यादा ढिंढोरा पीटने वाली भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सरकार ने 2004 प्रदेश में गौपालन और संवर्धन बोर्ड की स्थापना की. इसके तहत सभी 51 जिलों में पशुधन संवर्धन समितियों का भी गठन किया गया. इसके बाद भी मध्यप्रदेश में पिछले 15 सालों में कुल 627 निजी गौशाला स्थापित की जा सकी, जबकि सरकारी गौशाला एक भी नहीं खुली.

गाय के नाम पर भले ही बीजेपी कांग्रेस एक दूसरे पर राजनीती करने का आरोप लगाती हो लेकिन, दोनों की सरकारों के दौरान गाय को कोई विशेष फायदा नहीं मिला. जहां एक तरफ कांग्रेस ने अपनी सरकार के दौरान 600 गौ शालाएं बनाई, लेकिन उसमें से 150 ही संचालित हो सकीं, वहीं बीजेपी के 15 साल के सरकार में बनी एक भी गौशाला सरकारी नहीं है. अब इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार और सियासत दारों को गाय की कितनी चिंता है.

Last Updated : Nov 19, 2020, 3:38 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.