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मध्यप्रदेश की राजनीति पर 'नामनीति' की खुमारी! - नाम में रखा ही क्या है

भले ही लोग कहते हैं कि नाम में रखा क्या है, पर नाम ही किसी की असल पहचान कराती है, यही नाम आजकल एमपी की सियासत में सुर्खियां बटोर रही है क्योंकि यहां कई स्थानों के नाम बदलने की मांग उठ रही है. ये मांग करने वाले बीजेपी नेताओं का दावा है कि मौजूदा नाम अतीत के जख्मों की याद दिलाते हैं.

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प्रतीकात्मक चित्र
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Published : Jan 28, 2021, 5:26 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव से पहले स्थानों के नाम बदलने की चर्चाओं ने सियासत गर्मा दिया है. भाजपा के तमाम नेताओं ने उन स्थानों के नाम बदलने की पैरवी की है, जिनसे दुखद यादें जुड़ी हुई हैं. वहीं कांग्रेस इसे समस्याओं से जनता का ध्यान हटाने की कोशिश का हिस्सा बता रही है.

राज्य में बीते दो माह में भाजपा के कई नेताओं ने विभिन्न प्रमुख स्थलों के नाम बदलने की मांग की है. ताजा मामला पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती से जुड़ा है. उन्होंने भोपाल के हलाली डैम का नाम बदलने की मांग उठाई है. उनका कहना है कि भोपाल शहर के बाहर प्रचलित हलाली नाम का स्थान एवं नदी विश्वासघात की उस कहानी की याद दिलाता है, जिसमें मोहम्मद खां ने भोपाल के आसपास के अपने मित्र राजाओं को बुलाकर उन्हें धोखा देकर उनका सामूहिक कत्ल कराया था, उनके कत्ल से नदी लाल हो गई थी.

हलाली डैम बैरसिया विधानसभा क्षेत्र में आता है, यहां के विधायक विष्णु खत्री से उमा भारती ने राज्य की पर्यटन मंत्री ऊषा ठाकुर से संवाद करने को कहा है. खत्री को पत्र लिखकर उमा भारती ने कहा है कि हलाली शब्द, हलाली स्थान उसी प्रसंग का स्मरण कराता है- विश्वासघात, धोखाधड़ी, अमानवीयता यह सब एक साथ हलाली शब्द के साथ आते हैं तो हलाली का इतिहास जानने वालों के अंदर घृणा का संचार होता है, इसलिए हलाली शब्द का उपयोग इस स्थान के लिए बंद होना चाहिए.

भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने स्थानीय राम-रहीम मार्केट का नाम बदलने की पैरवी करते हुए व्यापारियों के बीच कहा कि इस बाजार में जो व्यापारी हैं, निवासी हैं, लोग हैं सभी हमारे हैं, हम कोई भेद नहीं करते, इमानदारी से देशभक्ति करने वालों को हम अपने साथ लेकर चलते हैं, इसलिए यहां का हर व्यापारी हमारा है. यहां के दुख-सुख हमारे हैं, आपके हर दुख में हम साथ हैं, जो भी समस्याएं हों, उन्हें निर्विवाद और निर्भय होकर बताइए, जो भी हो सकेगा उसका हम समाधान करेंगे. कोई भी दूषित मानसिकता लेकर मेरे पास न आए, यह जो बाजार है वह भोपाल का है, राजा भोज की नगरी का मार्केट है, इसका नाम बदलिए और अच्छा सा नाम रखिए.

इसी तरह शिवराज सरकार के मंत्री विश्वास सारंग ने राजधानी की लालघाटी का नाम बदलने की मांग उठाई है, उनका कहना है कि वे उमा भारती की मांग का समर्थन करते हैं, जो भी नाम गुलामी की याद दिलाते हैं, उन स्थानों के नाम बदले जाने चाहिए. लाल घाटी का नाम बदलने का वे प्रस्ताव लाएंगे. ज्ञात हो कि इससे पहले विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा राजधानी के ईदगाह हिल्स क्षेत्र का नाम बदलकर गुरुनानक टेकरी के नाम पर करने की मांग की थी, इसके अलावा इंदौर के सांसद शंकर लालवानी ने इंदौर के खजराना क्षेत्र का नाम गणेश नगर या गणेश कॉलोनी करने की मांग उठाई थी.

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने भाजपा नेताओं की नाम बदलने की मांग पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि भाजपा नेता मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इधर-उधर के नाम बदलने की राजनीति कर रहे हैं, जहां पेट्रोल-डीजल के दामों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है, आम आदमी की कमर महंगाई से टूटी जा रही है. भोपाल में छोटी बच्चियों के साथ अपराध हो रहे हैं, बालिका सुधार गृह तक में बच्चियां सुरक्षित नहीं हैं, शराब माफिया का कहर दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. हर तरह के माफिया और कुशासन मध्यप्रदेश में हावी है, ऐसे समय में भाजपा के नेता केवल और केवल मुद्दे भटकाने की राजनीति कर रहे हैं. उन्हें इस तरह की राजनीति छोड़कर जनहित के कार्य करना चाहिए, जिससे जनता को लाभ हो. यह नाम बदलने की राजनीति किसी भी प्रकार से जनता के लिए हितकारी नहीं है.

भोपाल। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव से पहले स्थानों के नाम बदलने की चर्चाओं ने सियासत गर्मा दिया है. भाजपा के तमाम नेताओं ने उन स्थानों के नाम बदलने की पैरवी की है, जिनसे दुखद यादें जुड़ी हुई हैं. वहीं कांग्रेस इसे समस्याओं से जनता का ध्यान हटाने की कोशिश का हिस्सा बता रही है.

राज्य में बीते दो माह में भाजपा के कई नेताओं ने विभिन्न प्रमुख स्थलों के नाम बदलने की मांग की है. ताजा मामला पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती से जुड़ा है. उन्होंने भोपाल के हलाली डैम का नाम बदलने की मांग उठाई है. उनका कहना है कि भोपाल शहर के बाहर प्रचलित हलाली नाम का स्थान एवं नदी विश्वासघात की उस कहानी की याद दिलाता है, जिसमें मोहम्मद खां ने भोपाल के आसपास के अपने मित्र राजाओं को बुलाकर उन्हें धोखा देकर उनका सामूहिक कत्ल कराया था, उनके कत्ल से नदी लाल हो गई थी.

हलाली डैम बैरसिया विधानसभा क्षेत्र में आता है, यहां के विधायक विष्णु खत्री से उमा भारती ने राज्य की पर्यटन मंत्री ऊषा ठाकुर से संवाद करने को कहा है. खत्री को पत्र लिखकर उमा भारती ने कहा है कि हलाली शब्द, हलाली स्थान उसी प्रसंग का स्मरण कराता है- विश्वासघात, धोखाधड़ी, अमानवीयता यह सब एक साथ हलाली शब्द के साथ आते हैं तो हलाली का इतिहास जानने वालों के अंदर घृणा का संचार होता है, इसलिए हलाली शब्द का उपयोग इस स्थान के लिए बंद होना चाहिए.

भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने स्थानीय राम-रहीम मार्केट का नाम बदलने की पैरवी करते हुए व्यापारियों के बीच कहा कि इस बाजार में जो व्यापारी हैं, निवासी हैं, लोग हैं सभी हमारे हैं, हम कोई भेद नहीं करते, इमानदारी से देशभक्ति करने वालों को हम अपने साथ लेकर चलते हैं, इसलिए यहां का हर व्यापारी हमारा है. यहां के दुख-सुख हमारे हैं, आपके हर दुख में हम साथ हैं, जो भी समस्याएं हों, उन्हें निर्विवाद और निर्भय होकर बताइए, जो भी हो सकेगा उसका हम समाधान करेंगे. कोई भी दूषित मानसिकता लेकर मेरे पास न आए, यह जो बाजार है वह भोपाल का है, राजा भोज की नगरी का मार्केट है, इसका नाम बदलिए और अच्छा सा नाम रखिए.

इसी तरह शिवराज सरकार के मंत्री विश्वास सारंग ने राजधानी की लालघाटी का नाम बदलने की मांग उठाई है, उनका कहना है कि वे उमा भारती की मांग का समर्थन करते हैं, जो भी नाम गुलामी की याद दिलाते हैं, उन स्थानों के नाम बदले जाने चाहिए. लाल घाटी का नाम बदलने का वे प्रस्ताव लाएंगे. ज्ञात हो कि इससे पहले विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा राजधानी के ईदगाह हिल्स क्षेत्र का नाम बदलकर गुरुनानक टेकरी के नाम पर करने की मांग की थी, इसके अलावा इंदौर के सांसद शंकर लालवानी ने इंदौर के खजराना क्षेत्र का नाम गणेश नगर या गणेश कॉलोनी करने की मांग उठाई थी.

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने भाजपा नेताओं की नाम बदलने की मांग पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि भाजपा नेता मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इधर-उधर के नाम बदलने की राजनीति कर रहे हैं, जहां पेट्रोल-डीजल के दामों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है, आम आदमी की कमर महंगाई से टूटी जा रही है. भोपाल में छोटी बच्चियों के साथ अपराध हो रहे हैं, बालिका सुधार गृह तक में बच्चियां सुरक्षित नहीं हैं, शराब माफिया का कहर दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. हर तरह के माफिया और कुशासन मध्यप्रदेश में हावी है, ऐसे समय में भाजपा के नेता केवल और केवल मुद्दे भटकाने की राजनीति कर रहे हैं. उन्हें इस तरह की राजनीति छोड़कर जनहित के कार्य करना चाहिए, जिससे जनता को लाभ हो. यह नाम बदलने की राजनीति किसी भी प्रकार से जनता के लिए हितकारी नहीं है.

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