भोपाल। मध्यप्रदेश में इन दिनों जहरीली शराब से हुई 25 से ज्यादा मौतों के बाद सरकार की शराब नीति पर तरह-तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. दूसरी तरफ प्रदेश सरकार के गृह मंत्री अवैध शराब और जहरीली शराब पर अंकुश लगाने के लिए सरकारी शराब दुकानों की संख्या बढ़ाए जाने पर जोर दे रहे हैं.गृहमंत्री के सुझाव के बाद सियासत तेज हो गई है. वहीं अपनी सरकार के समय प्रदेश में शराब दुकान की संख्या बढ़ाने की पैरवी करने वाली कांग्रेस अब शिवराज सरकार की शराब दुकान बढ़ाने की कोशिशों पर सवाल खड़े कर रही है.
दरअसल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपने पिछले कार्यकाल में कई धर्म गुरुओं से वादा किया था कि मध्यप्रदेश में शराब की नई एक भी दुकान नहीं खोली जाएगी. गृहमंत्री जहां कांग्रेस के समय की शराब नीति पर सवाल उठा रहे हैं, तो वहीं कांग्रेस जहरीली शराब से हुई मौतों और अवैध शराब की बिक्री पर अंकुश लगाने की जगह सरकार पर शराब को बढ़ावा देने का आरोप लगा रही है. कुल मिलाकर इस मामले पर सियासत जोर पकड़ रही है.
पिछले एक साल में MP में जहरीली शराब से करीब 50 मौतें
मध्यप्रदेश में पिछले एक साल के अंदर जहरीली और अवैध शराब के चलते मौतों का सिलसिला लगातार जारी है. उज्जैन में जहरीली शराब से करीब 20 मौतों के बाद रतलाम में भी ऐसी घटना सामने आई थी. वहीं हाल ही में मुरैना में 25 से ज्यादा लोग जहरीली शराब के कारण काल के गाल में समा गए हैं. उज्जैन घटना के समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने सख्त कार्रवाई की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि प्रदेश में किसी कीमत पर अवैध शराब नहीं बिक पाएगी, लेकिन सरकार इस पर अंकुश लगाने में नाकाम नजर आ रही है.
शिवराज सिंह ने किया था एक भी नई शराब दुकान न खोलने का वादा
अपने पिछले मुख्यमंत्री कार्यकाल में शिवराज सिंह लगातार यह वादा और दावा करते रहे है कि प्रदेश में नई शराब दुकान नहीं खोली जाएगी. मध्यप्रदेश में तत्कालीन कमलनाथ सरकार में प्रदेश की माली हालत देखते हुए जब शराब के जरिए राजस्व बढ़ाने की पहल करते हुए शराब दुकानों की संख्या बढ़ाने की कोशिश की गई,तो बीजेपी ने और खुद शिवराज सिंह ने जमकर विरोध किया था.
नरोत्तम मिश्रा चाहते हैं कि शराब दुकानों की संख्या में हो बढ़ोत्तरी
वर्तमान में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का मानना है कि प्रदेश में शराब दुकानों की संख्या कम होने के कारण अवैध और जहरीली शराब की बिक्री बढ़ रही है. इस पर अंकुश लगाने के लिए जरूरी है कि शराब दुकानों की संख्या बढ़ाई जाए, जिससे लोग अवैध और जहरीली शराब पीने मजबूर ना हो.
नरोत्तम मिश्रा ने क्या कहा
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस की दो मुंही नीति है. यह 6 जनवरी का गजट नोटिफिकेशन कमलनाथ सरकार के समय का है. उन्होंने शराब की दुकानें गांव में 5 किमी के दायरे में खोलने की बात कही थी, यह उन्हीं का निर्णय है. किस तरह कांग्रेस ने शराब की कीमत बढ़ाई थी, इसका मेरे पास प्रमाण है. गृह मंत्री ने कहा कि अपने मुनाफे के लिए अवैध बिक्री बढ़ाने का काम किया. फरवरी में ऑनलाइन शराब बेचने की बात कांग्रेस ने कही थी. तत्कालीन सीएम उस समय महिलाओं को शराब आसानी से कैसे मिले यह बता रहे थे. अब हमसे पूछ रहे हैं, तो हम बता दें अमानक बिना डिग्री नापे शराब अगर जहरीली हो जाएगी, तो लोगों की जान चली जाएगी. पिछले 10 साल से कोई दुकान नहीं खुली है.
इस दौरान नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि एमपी से सटे हुए राज्य में प्रति लाख आबादी पर कितनी शराब दुकानें हैं.
- महाराष्ट्र में प्रति एक लाख की आबादी पर 21 दुकानें हैं.
- वहीं राजस्थान में प्रति एक लाख की आबादी पर 17 दुकानें हैं.
- यूपी में प्रति एक लाख की आबादी पर 12 दुकाने हैं.
- जबकि मध्यप्रदेश में प्रति एक लाख की आबादी पर सिर्फ चार दुकानें हैं.
अब यह समानता और विसंगति कभी-कभी पड़ोस के राज्यों को राज्य के अंदर शराब लाने के लिए प्रोत्साहित करती है. उन्होंने कहा कि हम नहीं चाहते हैं कि इस तरह घातक शराब आए,इसलिए बैठक में सुझाव दिया था कि शराब की दुकानों की संख्या बढ़ना चाहिए, ज्यादा दूरी पर नहीं रखना चाहिए.
शराब दुकानों के मामले में गृह मंत्री की सोच मुख्यमंत्री के विपरीत क्यों
प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि गृहमंत्री की मांग हास्यास्पद है. प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह इसके पहले यह घोषणा कर चुके हैं कि प्रदेश में शराब की दुकान नहीं खोली जाएगी. अपराधों पर अंकुश रखने के लिए नशे के कामों को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा. उन्होंने मुख्यमंत्री से सवाल किया है कि आप की घोषणा के विपरीत गृहमंत्री ज्यादा से ज्यादा दुकानें खोलने की बात कर रहे हैं. भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि प्रदेश का वास्तविक मुख्यमंत्री कौन हैं? सरकार जनता को बताए. जिससे प्रदेश की जनता गुमराह ना हो.
भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि वहीं तीसरी तरफ आबकारी मंत्री घर-घर शराब भेजने की नीति की वकालत कर रहे हैं. लेकिन वो शराब के जखीरे पकड़े जा रहे हैं,उनके पीछे छुपे हुए माफिया को बेनकाब करने की प्रक्रिया पर कोई भी राय नहीं दे रहा है. जांच कमेटी की प्रोटोटाइप जांच रिपोर्ट भी माफिया को बचाते हुए सही सुझाव देकर लीपापोती करने में लगी है. जबकि उसी मुरैना में एक और शराब कांड में दो नई मौतें हो गई है. गरीबों के ऊपर सरकार अपनी स्पष्ट राय कब रखेगी और मंत्रिमंडल के बीच चल रही खींचतान पर कब रोक लगेगी.