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निकाय चुनाव में राजनीतिक दलों की बढ़ेगी भूमिका, पर्यवेक्षक तय करेंगे महापौर और अध्यक्ष पद का प्रत्याशी - भोपाल न्यूज

प्रदेश में होने जा रहे नगरीय निरकाय चुनाव में नई प्रणाली आ जाने के बाद इस बार राजनीतिक दलों का दखल बढ़ जाएगा. हालांकी चुनाव अभी कुछ समय के लिए टल गए हैं, लेकिन राजनीतिक पार्टियां अभी से तैयारियों में जुट गई हैं.

Political parties will play an important role in urban body elections
निकाय चुनाव में राजनीतिक दलों बढ़ेगी भूमिका
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Published : Jan 7, 2020, 10:42 AM IST

Updated : Jan 7, 2020, 2:03 PM IST

भोपाल। प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव भले कुछ दिनों के लिए टल गए हों, लेकिन नगरीय निकाय एक्ट में हुए संशोधन के बाद नए तरीके से होने जा रहे चुनावों में राजनीतिक पार्टियों का दखल बढ़ जाएगा. संशोधन के बाद पार्षदों का चुनाव तो राजनीतिक दलों के आधार पर होना है, लेकिन महापौर-अध्यक्ष के चुनाव के लिए नई प्रक्रिया शुरू की गई है, जिसमें महापौर और अध्यक्ष का चुनाव पार्षद करेंगे.

निकाय चुनाव में राजनीतिक दलों बढ़ेगी भूमिका

ऐसे में अब निकाय चुनाव में राजनीतिक दलों की भूमिका भी बदल गई है, राजनीतिक दल पार्षद प्रत्याशी को तो पार्टी के चुनाव चिन्ह पर लड़ाएंगे, लेकिन महापौर-अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के चयन के लिए राजनीतिक दल अपना पर्यवेक्षक भेजेंगे और चुने हुए पार्षदों में से पर्यवेक्षक महापौर या अध्यक्ष पद के प्रत्याशी की सिफारिश पार्टी से करेगा और पार्टी अधिकृत प्रत्याशी की घोषणा करेगी.

ऐसे बदलेगी राजनीतिक दलों की भूमिका
राजनीतिक दलों की नई भूमिका के बारे में मप्र कांग्रेस के उपाध्यक्ष और संगठन प्रभारी प्रकाश जैन ने बताया कि, पार्षदों के चुनाव हो जाने के बाद महापौर और अध्यक्ष पद के लिए राजनीतिक दल योग्य प्रत्याशी का चयन करेंगे. इसलिए पार्टी स्तर पर पार्षदों को निर्देश दिए जाएंगे और जिसका संख्या बल में बहुमत में होंगा, उसका महापौर पद के लिए नाम आगे बढ़ाया जाएगा . इसके लिए पार्टी पर्यवेक्षक उचित प्रत्याशी का चयन करेंगे.

ये हुआ बदलाव
1999 से नगरीय निकाय चुनाव में पार्षदों के साथ-साथ महापौर और अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होता था. 2014 तक यही प्रक्रिया जारी रही, लेकिन 2018 में कांग्रेस की सरकार अस्तित्व में आने के बाद इस प्रक्रिया में बदलाव किया गया और नगरीय निकाय एक्ट में संशोधन किया गया. इस संशोधन के तहत नगरीय निकायों के पार्षदों के चुनाव राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह पर किए जाएंगे, लेकिन महापौर और अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता से न करा कर चुने गए पार्षदों के जरिए होगा.

भोपाल। प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव भले कुछ दिनों के लिए टल गए हों, लेकिन नगरीय निकाय एक्ट में हुए संशोधन के बाद नए तरीके से होने जा रहे चुनावों में राजनीतिक पार्टियों का दखल बढ़ जाएगा. संशोधन के बाद पार्षदों का चुनाव तो राजनीतिक दलों के आधार पर होना है, लेकिन महापौर-अध्यक्ष के चुनाव के लिए नई प्रक्रिया शुरू की गई है, जिसमें महापौर और अध्यक्ष का चुनाव पार्षद करेंगे.

निकाय चुनाव में राजनीतिक दलों बढ़ेगी भूमिका

ऐसे में अब निकाय चुनाव में राजनीतिक दलों की भूमिका भी बदल गई है, राजनीतिक दल पार्षद प्रत्याशी को तो पार्टी के चुनाव चिन्ह पर लड़ाएंगे, लेकिन महापौर-अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के चयन के लिए राजनीतिक दल अपना पर्यवेक्षक भेजेंगे और चुने हुए पार्षदों में से पर्यवेक्षक महापौर या अध्यक्ष पद के प्रत्याशी की सिफारिश पार्टी से करेगा और पार्टी अधिकृत प्रत्याशी की घोषणा करेगी.

ऐसे बदलेगी राजनीतिक दलों की भूमिका
राजनीतिक दलों की नई भूमिका के बारे में मप्र कांग्रेस के उपाध्यक्ष और संगठन प्रभारी प्रकाश जैन ने बताया कि, पार्षदों के चुनाव हो जाने के बाद महापौर और अध्यक्ष पद के लिए राजनीतिक दल योग्य प्रत्याशी का चयन करेंगे. इसलिए पार्टी स्तर पर पार्षदों को निर्देश दिए जाएंगे और जिसका संख्या बल में बहुमत में होंगा, उसका महापौर पद के लिए नाम आगे बढ़ाया जाएगा . इसके लिए पार्टी पर्यवेक्षक उचित प्रत्याशी का चयन करेंगे.

ये हुआ बदलाव
1999 से नगरीय निकाय चुनाव में पार्षदों के साथ-साथ महापौर और अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होता था. 2014 तक यही प्रक्रिया जारी रही, लेकिन 2018 में कांग्रेस की सरकार अस्तित्व में आने के बाद इस प्रक्रिया में बदलाव किया गया और नगरीय निकाय एक्ट में संशोधन किया गया. इस संशोधन के तहत नगरीय निकायों के पार्षदों के चुनाव राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह पर किए जाएंगे, लेकिन महापौर और अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता से न करा कर चुने गए पार्षदों के जरिए होगा.

Intro:भोपाल। मप्र में नगरीय निकाय चुनाव भले कुछ दिनों के लिए टल गए हो। लेकिन नगरीय निकाय एक्ट में हुए संशोधन के बाद नए तरीके से नगर निगमों के महापौर और नगर पालिका-नगर परिषद के अध्यक्ष चुने जाएंगे। दरअसल पार्षदों का चुनाव तो राजनीतिक दलों के आधार पर होना है। लेकिन महापौर-अध्यक्ष के चुनाव के लिए नई प्रक्रिया शुरू की गई है।अब महापौर-अध्यक्ष के चुनाव जीत कर आए पार्षद करेंगे। ऐसे में राजनीतिक दलों की भूमिका भी बदल गई है। राजनीतिक दल पार्षद प्रत्याशी को तो पार्टी के चुनाव चिन्ह पर लड़ाएंगे। लेकिन महापौर-अध्यक्ष के प्रत्याशी के चयन के लिए राजनीतिक दल अपना पर्यवेक्षक भेजेंगे और चुने हुए पार्षदों में से पर्यवेक्षक महापौर अध्यक्ष पद के प्रत्याशी की सिफारिश पार्टी से करेगा और पार्टी अधिकृत प्रत्याशी की घोषणा करेगी।


Body:दरअसल,1999 से जहां नगरीय निकाय चुनाव में पार्षदों का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होता था। तो महापौर-अध्यक्ष का भी चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होता था। 2014 तक यही प्रक्रिया जारी रही। लेकिन 2018 में कांग्रेस की सरकार अस्तित्व में आने के बाद इस प्रक्रिया में बदलाव किया गया और नगरीय निकाय एक्ट में संशोधन किया गया। इस संशोधन के तहत नगरीय निकायों के पार्षदों के चुनाव राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह के आधार पर लड़े जाएंगे।लेकिन महापौर-अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता के द्वारा ना होकर जनता द्वारा चुने गए पार्षदों के जरिए होगा। जो पार्षद नगरीय निकाय चुनाव में अपने वार्ड से जीतकर आएंगे। वह अपने नगर निगम के महापौर और नगर पालिका-नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव करेंगे।ऐसी स्थिति में महापौर अध्यक्ष के चुनाव के लिए राजनीतिक दलों की भूमिका बदली हुई नजर आएगी।


Conclusion:राजनीतिक दलों की नई भूमिका के बारे में मप्र कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और संगठन प्रभारी प्रकाश जैन का कहना है कि जब नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद के पार्षद चुनकर आ जाएंगे। उसके बाद संख्या बल के आधार पर नगर निगम महापौर और नगर पालिका-नगर परिषद के अध्यक्ष चुने जाएंगे। जब पार्षदों के चुनाव हो जाएंगे,तो महापौर और अध्यक्ष के चुनाव के लिए राजनैतिक दल योग्य प्रत्याशी का चयन करेंगे। इसलिए पार्टी स्तर पर पार्षदों को निर्देश दिए जाएंगे और जहां संख्या बल में बहुमत में होंगे, तो वहां हमारा महापौर बनेगा। इसके लिए पार्टी पर्यवेक्षक भेज कर उचित प्रत्याशी का चयन करेंगी और पार्टी के चुनाव चिन्ह पर जीत कर आए पार्षद महापौर और अध्यक्ष के लिए वोट करेंगे।
Last Updated : Jan 7, 2020, 2:03 PM IST
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