भोपाल। लंबे समय से टल रहा शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार आखिरकार आज संपन्न हो गया. सुबह 11 बजे राजभवन में प्रभारी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने नेताओं को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में ज्योतिरादित्य सिंधिया के सर्मथकों का दबदबा दिख रहा है. बताया जा रहा है कि इससे पहले सिंधिया ने बीजेपी आलाकमान से मुलाकात कर अपने समर्थकों को मंत्री बनाए जाने की मांग की थी. सिंधिया समर्थक 11 पूर्व विधायक मंत्री बनाए गए हैं, जबकि दो पहले से ही मंत्री हैं. शिवराज कैबिनेट में सिंधिया समर्थक 13 मंत्री हैं, बिसाहूलाल को मिलाकर ये संख्या 14 हो जाती है. एक तरह से माना जाए तो भले ही सरकार शिवराज की है, लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर राज सिंधिया का ही है. हालांकि, ऐसा पहली बार हुआ है, जब 14 गैर विधायक किसी सरकार में एक साथ मंत्री हैं.
गोपाल भार्गव
गोपाल भार्गव 1984 से रेहली विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. वो मध्यप्रदेश सरकार में सहकारी, सामाजिक न्याय, पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री भी रह चुके हैं. साथ ही मध्यप्रदेश में 15 महीने की कांग्रेस सरकार के समय गोपाल भार्गव विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं. अब फिर से मंत्रिमंडल में उन्हें शिवराज ने शामिल किया है.
विजय शाह
कुंवर विजय शाह खंडवा जिले की हरसूद विधानसभा सीट से विधायक हैं और बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. विजय शाह पहली बार तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती के मंत्रिमंडल में 28 जून 2004 को शामिल हुए थे. वो 27 अगस्त 2004 में भी मंत्री रहे थे. 4 दिसंबर 2005 को शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में भी उन्हें जगह मिली. 28 अक्टूबर 2009 को उन्हें एक बार फिर शिवराज मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल किया गया, अब दो जुलाई को विजय शाह फिर शिवराज कैबिनेट का हिस्सा बन गए हैं.
जगदीश देवड़ा
जगदीश देवड़ा 1990 में पहली बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए. वो 1993 में दूसरी बार विधानसभा सदस्य चुने गए. देवड़ा अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग विषयक सभा समिति के सदस्य रहे. देवड़ा तीसरी बार 2003 में सुवासरा से विधायक निर्वाचित हुए. उन्हें 28 जून 2004 को उमा भारती मंत्रिमण्डल में राज्य मंत्री के रूप में शामिल किया गया और गृह विभाग का दायित्व सौंपा गया. देवड़ा 27 अगस्त 2004 को बाबूलाल गौर के मंत्रिमण्डल में राज्य मंत्री के रूप में पुन: शामिल हुए. फिर 4 दिसम्बर 2005 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के मंत्रिमण्डल में शामिल हुए. जगदीश देवड़ा 2008 में पुन: विधायक निर्वाचित हुए. उन्हें 20 दिसंबर 2008 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मंत्रिमंडल में शामिल किया. अब फिर उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिली है.
ओम प्रकाश सकलेचा
ओमप्रकाश सकलेचा नीमच जिले की जावद सीट से विधायक हैं. पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सकलेचा के बेटे हैं. इन्होंने 2003 में कांग्रेस के मंत्री घनश्याम पाटीदार को हराया था. जिसके बाद 2008 में राजकुमार अहीर को हराया, 2013 में नीमच के पूर्व नपाध्यक्ष रघुराज सिंह चौरड़िया को हराया. जिसके बाद 2018 में भी जीत दर्ज कर फिर विधायक बने. अब इन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है.
बृजेंद्र प्रताप सिंह
बृजेंद्र प्रताप सिंह पन्ना जिले की पवई सीट से पहली बार विधायक बने थे. इन्होंने 2003 में अशोक वीर विक्रम सिंह भैया राजा को हराया था. 2018 में चुनाव जीतकर बृजेंद्र प्रताप सिंह तीसरी बार विधायक बने. इन्हें पन्ना जिले में विकास पुरुष के नाम से जाना जाता है.
हरदीप सिंह डंग
मंदसौर जिले की सुवासरा सीट से विधायक रहे हरदीप सिंह डंग सिंधिया समर्थक हैं. इन्होंने कांग्रेस छोड़ बीजेपी की सदस्या ली थी. हरदीप सिंह डंग भी आरएसएस की शाखा से जुड़े, भारतीय जनता युवा मोर्चा में भी काम किया. लेकिन इन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया. जिसके बाद ये सुवासरा के सरपंच भी बने. 2018 में कांग्रेस से चुनाव जीतकर विधायक बने. हरदीप सिंह अपनी ही सरकार के खिलाफ बयानबाजी से चर्चा में रहे हैं.
अरविंद सिंह भदौरिया
भिंड जिले की अटेर सीट से अरविंद सिंह भदौरिया विधायक हैं. इन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र राजनीति से की थी, वो एबीवीपी में कई प्रमुख पदों पर रहे. 2003 में हुए सत्ता परिवर्तन में भदौरिया की अहम जवाबदारी रही, जबकि 2020 के सत्ता परिवर्तन में भी भदौरिया की अहम भूमिका रही. भदौरिया अब तक 4 बार चुनाव लड़ चुके हैं. जिसमें 2 बार उनकी जीत हुई है. 2018 में इन्होंने कांग्रेस के हेमंत कटारे को हराया था.
इमरती देवी
इमरती देवी ग्वालियर की डबरा सीट से विधायक हैं. कांग्रेस की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहीं. सिंधिया समर्थक इमरती देवी ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का हाथ थामा है. इमरती देवी लगातार तीसरी बार विधायक चुनी गई हैं.
उषा ठाकुर
उषा ठाकुर इंदौर की महू सीट से बीजेपी विधायक हैं. लगातार तीसरी बार विधायक चुनी गई हैं. उषा ठाकुर संघ की करीबी मानी जाती हैं. पहला चुनाव इन्होंने 2003 में इंदौर की एक नंबर विधानसभा क्षेत्र से लड़ा था, 2008 में जब उषा ठाकुर का पार्टी ने टिकट काटा तो उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान किया. जिसके बाद 2013 में इंदौर की 3 नंबर सीट से चुनाव लड़ीं और जीतीं. 2018 में इंदौर की तीन नंबर सीट से आकाश विजयवर्गीय को टिकट मिलने के बाद उषा ठाकुर ने खुलकर नाराजगी जताई, जिसके बाद उन्हें पार्टी ने महू से टिकट दिया, जहां से चुनाव जीतकर वो विधानसभा पहुंची.
एंदल सिंह कंषाना
एंदल सिंह कंसाना मुरैना जिले की सुमावली विधानसभा से कांग्रेस विधायक रहे. इन्होंने भी कांग्रेस पार्टी छोड़ बीजेपी ज्वॉइन की है. कंषाना ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत बीएसपी से की. ये 1998 में बीएसपी से कांग्रेस में आए, 2003 में चुनाव से 6 महीने पहले मंत्री बनाए गए कंषाना को दिग्विजय सिंह का करीबी माना जाता था. कंषाना ने 2008 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीता, 2018 में फिर चुनाव जीतने के बाद विधानसभा पहुंचे, लेकिन कांग्रेस में मंत्री पद नहीं मिलने पर उन्होंने पार्टी से बगावत कर दी.
प्रद्युम्न सिंह तोमर
सिंधिया समर्थक प्रद्युम्न सिंह तोमर ग्वालियर सीट से विधायक रहे हैं. इन्होंने भी बागियों के साथ पार्टी छोड़ दी थी. इसलिए इनकी गिनती ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थकों में होती है. तोमर ने 2008 में बीजेपी के जयभान सिंह पवैया को हराया था, फिर 2013 में तोमर जयभान सिंह पवैया से चुनाव हार गए थे. 2018 के चुनाव में प्रद्युम्न सिंह तोमर ने फिर जयभान सिंह पवैया को हराया था. प्रद्युम्न सिंह तोमर कमलनाथ सरकार में डेढ साल मंत्री भी रहे हैं. प्रद्युम्न सिंह तोमर नालियां साफ करने को लेकर सुर्खियों में आए थे.
प्रेम सिंह पटेल
प्रेम सिंह पटेल बड़वानी विधानभा सीट से बीजेपी विधायक हैं. इन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1980 से की, ये पहली बार भाजपा से ग्राम सुस्तिखेड़ा के सरपंच बने. 1990 में बड़वानी जनपद में उपाध्यक्ष भी रहे. प्रेम सिंह पटेल 1993 से लगातार भाजपा से चुनाव लड़ रहे हैं. ये 1993, 1998, 2003, 2008, 2018, में विधानसभा चुनाव जीते. 1993 के चुनाव में खरगोन जिले की 10 सीटों में से केवल एक सीट पर बीजेपी जीती थी. प्रेम सिंह पटेल ने 2018 में बड़वानी जिले में बीजेपी का सूपड़ा साफ होने से बचाया था. आदिवासी बेल्ट में बीजेपी का एकमात्र मजबूत आदिवासी चेहरा प्रेम सिंह पटेल ही हैं.
भूपेन्द्र सिंह
भूपेन्द्र सिंह सागर जिले की खुरई सीट से बीजेपी विधायक हैं. भूपेन्द्र सिंह पूर्व की बीजेपी सरकार में गृह मंत्री भी रहे हैं. भूपेन्द्र सिंह बीजेपी के अनुभवी एवं कद्दावर नेताओ में गिने जाते हैं. साथ ही ये शिवराज के बेहद करीबी भी हैं. भूपेन्द्र सिंह की संगठन और सरकार में बराबर की भागीदारी है.
बिसाहू लाल सिंह
बिसाहू लाल सिंह अनूपपुर सीट से कांग्रेस के पूर्व विधायक रहे हैं. इनकी गिनती कभी दिग्विजय सिंह के खेमे में होती थी. कमलनाथ मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से बिसाहू लाल सिंह नाराज थे और उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी. बिसाहू लाल 1980 में पहली बार अनूपपुर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे. साल 1993 में चुनाव जीते, दिग्विजय सरकार में पीडब्ल्यूडी, पशुधन डेयरी, खनिज जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे. बिसाहू लाल सिंह ने 2003 में अनूपपुर को जिला बनाने में अहम भूमिका निभाई थी.
यशोधरा राजे सिंधिया
यशोधरा राजे सिंधिया शिवपुरी सीट से बीजेपी विधायक हैं. यशोधरा राजे राजपरिवार से ताल्लुक रखती हैं. ये राजमाता विजयाराजे सिंधिया के नक्शेकदम पर चली हैं. इन्होंने शिवपुरी सीट से लगातार 4 बार चुनाव जीता है. एक बार लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद भी बन चुकी हैं. यशोधरा राजे शिवराज सरकार में मंत्री रहीं और कई अहम विभागों की जिम्मेदारी भी संभाल चुकी हैं.
राजवर्धन सिंह दत्तीगांव
राजवर्धन सिंह दत्तीगांव धार के बदनावर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे. राजवर्धन राजपरिवार से आते हैं. इनकी भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेहद करीबियों में गिनती होती है.
विश्वास सारंग
विश्वास सारंग भोपाल की नरेला विधानसभा सीट से विधायक हैं. विश्वास सारंग 2008 में पहली बार चुनाव जीते, 2013 से 2018 तक शिवराज सरकार में मंत्री भी रहे. विश्वास सारंग बीजेपी युवा मोर्चा में भी विभिन्न पदों पर रहे. विश्वास सारंग कैलाश सारंग के बेटे हैं. विश्वास सारंग ने शिवराज सरकार में अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाली है.
मोहन यादव
डॉ. मोहन यादव बीजेपी से विधायक हैं. उन्होंने आज शिवराज कैबिनेट में मंत्री पद की शपथ ली है. मोहन यादव उज्जैन जिले की उज्जैन दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते हैं.
महेंद्र सिंह सिसोदिया
महेन्द्र सिंह सिसौदिया गुना जिले की बमोरी विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक रहे हैं. महेंद्र सिंह सिसोदिया कांग्रेस सरकार में श्रम मंत्री रह चुके हैं. इनकी गिनती भी सिंधिया समर्थकों में होती है. सिंधिया के साथ इन्होंने भी भाजपा की सदस्यता ली है. वो अपने क्षेत्र में 'संजू भैया' के नाम से प्रसिद्ध हैं.
डॉ. प्रभुराम चौधरी
डॉ. प्रभुराम चौधरी रायसेन जिले की सांची विधानसभा सीट से कांग्रेस के पूर्व विधायक रहे हैं. प्रभुराम चौधरी कमलनाथ सरकार में स्कूल शिक्षा मंत्री भी रहे हैं. इनकी गिनती भी सिंधिया समर्थकों में की जाती है. डॉ. चौधरी साल 1985 में पहली बार विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और वर्ष 1989 में संसदीय सचिव रहे.
ये हैं शिवराज कैबिनेट के राज्यमंत्री-
गिर्राज डण्डौतिया
मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट से गिर्राज डण्डौतिया विधायक रहे, सिंधिया समर्थक गिर्राज डण्डौतिया कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए थे, इन्हें अब शिवराज कैबिनेट में शामिल किया गया है. गिर्राज डण्डौतिया 2008 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन हार गए. उसके बाद 2018 में दिमनी से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते.
ओपीएस भदौरिया
ओपीएस भदौरिया भिंड की मेहगांव सीट से कांग्रेस विधायक रहे हैं. इनकी गिनती भी सिंधिया समर्थकों में होती है, सिंधिया के बीजेपी ज्वॉइन करने के बाद इन्होंने भी कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था.
भारत सिंह कुशवाह
भारत सिंह कुशवाह ग्वालियर जिले की देहात विधानसभा सीट से विधायक हैं. 1993 में भारत सिंह भारतीय जनता युवा मोर्चा मंडल अध्यक्ष बने. भारत सिंह 2013 और 2018 में विधायक बने. शिवराज सिंह की पूर्व सरकार में मंत्री भी रहे हैं, इन्हें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का सबसे करीबी माना जाता है. 2018 में ग्वालियर जिले की 6 विधानसभा सीटों में जीतने वाले एकमात्र बीजेपी विधायक थे.
रामखेलावन पटेल
रामखेलावन पटेल सतना जिले की अमरपाटन सीट से बीजेपी विधायक हैं. इन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरूआत बसपा से की थी. रामखेलावन 2006 तक बसपा में रहे, फिर बीजेपी का हाथ थमा लिया. 2013 में हारने के बाद इन्होंने 2018 में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. राजेंद्र सिंह को हराकर जीत दर्ज की थी.
सुरेश धाकड़
श्योपुर जिले की पोहरी विधानसभा सीट से पहली बार चुनाव जीतकर सुरेश धाकड़ विधानसभा पहुंचे थे, ये कांग्रेस में सिंधिया खेमे के नेता माने जाते हैं, सिंधिया के बागी होने के बाद सुरेश धाकड़ ने भी बीजेपी का हाथ थाम लिया. सुरेश धाकड़ ने 2018 विधानसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी कैलाश कुशवाह को 8 हजार मतों से हराया था.
इंदर सिंह परमार
शाजापुर जिले की शुजालपुर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक रहे इंदर सिंह परमार कम उम्र में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए थे. परमार 1989 से 1996 तक ABVP में अलग-अलग पदों पर रहे. उज्जैन के सम्भागीय संगठन मंत्री भी बने, साथ ही 2 बार शाजापुर भाजपा जिला महामंत्री भी बनाए गए. परमार 2013 में कालापीपल से पहली बार विधायक बने. इसके बाद 2018 में शुजालपुर से दूसरी बार विधायक बने.
राम किशोर कावर
रामकिशोर कावर बालाघाट जिले की परसवाड़ा विधानसभा सीट से विधायक रहे. रामकिशोर कावर ने ग्राम पंचायत चुनाव से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. जिसके बाद रामकिशोर जनपद अध्यक्ष बने, भाजयुमो प्रदेश महामंत्री भी रहे. रामकिशोर कावर 2008 में पहली बार विधायक बने, 2013 में ये विधानसभा चुनाव हार गए. 2018 में जीतकर फिर एक बार राम किशोर विधानसभा पहुंचे. इन्हें 2018 में निर्वाचन आयोग ने अयोग्य घोषित कर दिया था. अपील पर इनकी सुनवाई की गई और निर्वाचन आयोग ने चुनाव लड़ने की राहत दी.
बृजेन्द्र सिंह यादव
अशोकनगर जिले की मुंगावली विधानसभा सीट से विधायक रहे ब्रजेन्द्र सिंह यादव सिंधिया समर्थक हैं. 2 बार मुंगावली सीट से चुनाव जीते हैं. 2017 में उपचुनाव में पहली बार मौका मिलने पर इन्होंने भाजपा के उम्मीदवार को हराया था. वहीं 2018 में दोबारा विधायक बने.