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कांग्रेस जीतेगी या सत्ता में बनी रहेगी बीजेपी, मध्यावधि चुनाव की ओर तो नहीं बढ़ रहा एमपी

28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के परिणाम तय करेंगे कि आखिर सूबे में मौजूदा सरकार रहेगी या जाएगी. मौजूदा माहौल को देखते हुए लग रहा है कि बीजपी जीत के लिए साम-दाम-दंड-भेद कोई भी कसर नहीं छोड़ रही है. ऐसे में क्या होगा मध्यप्रदेश का सियासी भविष्य. देखें ये रिपोर्ट...

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Published : Oct 29, 2020, 11:05 PM IST

Updated : Nov 9, 2020, 11:10 PM IST

equation of politics
सत्ता का समीकरण

भोपाल। मप्र में हो रहे उपचुनाव को लेकर चुनाव परिणाम की संभावनाओं पर तरह-तरह की चर्चाएं सियासी गलियारों में तैर रही हैं. ऐसा लग रहा है कि इन उपचुनाव में कांग्रेस बीजेपी से ज्यादा सीटें जीत सकती है. उपचुनाव में माहौल कांग्रेस के पक्ष में नजर आ रहा है, कांग्रेस दावा कर रही है कि वह 28 सीटें जीतने जा रही है. दूसरी तरफ बीजेपी को सरकार बचाने के लिए सिर्फ 8 सीटों की जरूरत है. बावजूद इसके बीजेपी कोई कोर कसर छोड़ना नहीं चाहती. इसलिए बीजेपी साम-दाम-दंड-भेद की रणनीति अपना रही है.

मध्यावधि चुनाव की आहट

मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर तीन नवंबर को उपचुनाव होना है, एक और विधायक राहुल लोधी ने दमोह सीट से इस्तीफा देकर न सिर्फ एक सीट खाली कर दी, बल्कि कांग्रेस को और मुसीबत में डाल दिया, अब कांग्रेस के पास सिर्फ 87 विधायक ही बचे हैं, कांग्रेस को बहुमत में आने के लिए सभी 28 सीटें जितनी होंगी, जिसकी संभावना न के बराबर है. बीजेपी जिस तरह से कांग्रेस के विधायक तोड़ रही है. उससे लग रहा है कि बीजेपी को अपनी जीत की संभावनाएं कम नजर आ रही हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस अपने विधायकों को एकजुट करने में नाकाम नजर आ रही है. इन तमाम परिस्थितियों के चलते तरह-तरह के समीकरण बनने लगे हैं.

बीजेपी का दावा

किन परिस्थितियों में बन सकती है कांग्रेस की सरकार

कांग्रेस 28 सीटें जीत पाए, ऐसी संभावना कम ही है और अगर कांग्रेस 28 सीट जीत जाती है. तो चार निर्दलीय और तीन अन्य का समर्थन भी कांग्रेस को मिलेगा. फिलहाल कांग्रेस के पास 87 विधायक बचे हैं और कांग्रेस अगर 28 की 28 सीटें जीतती है. तो मध्य प्रदेश की मौजूदा 229 सीटों के हिसाब से उसे 115 सीटें हासिल कर बहुमत साबित करना होगा. जो 28 सीट जीतने पर ही हासिल हो जाएगा. ऐसी स्थिति में निर्दलीय और अन्य जो दल सरकार में होगा उसी की तरफ झुकेंगे.ऐसी स्थिति में कांग्रेस की सरकार बनाने की संभावना कितनी प्रबल है, यह बड़ा सवाल है. बीजेपी इन दिनों जिस तरीके की राजनीति करती है. उस राजनीति को देखते हुए संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस अगर सरकार बनाने की स्थिति में भी आ जाएगी, तो बीजेपी किसी न किसी तरीके से कांग्रेस को सरकार नहीं बनाने देगी और कोशिश करेगी कि मध्यप्रदेश में मध्यावधि चुनाव हो.

कांग्रेस का दावा

दूसरी संभावना ये है बीजेपी को 8 सीटें ना मिल पाएं और कांग्रेस बहुमत के पास हो, बचीं हुई सीटें बसपा जीत जाए, बाद में बसपा निर्दलीय और कांग्रेस मिलकर सरकार बना लें, तो कांग्रेस की सत्ता में आ सकती है. लेकिन ये भी दूर की कौड़ी ही है. क्योंकि अगर बीजेपी 8 से कम सीट भी जीतती है तो कांग्रेस से मजबूत स्थिति में होगी और निर्दलीय बसपा व सपा के विधयाक मिलकर सरकार बना सकते हैं. तीसरी संभावना ये है कि बीजेपी 8 से ज्यादा सीटें जीत जाए और ये गतिरोध शांत हो जाए. फिर भी कांग्रेस, बीजेपी के किले में सेंधमारी की जुगत में तो रहेगी ही. लेकिन बीजेपी भारी बहुमत से जीतती है, तो सियासी गतिरोध थम जाएगा.

वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र सिंह

सत्ता का संतुलन जरूरी

अगर कांग्रेस को सत्ता पर काबिज होना है तो जरूरी आंकड़े तो जुटाने ही होंगे साथ ही निर्दलीय, सपा बसपा के विधायकों को भी साधना होगा. इससे ज्यादा जरूरी बीजेपी के के किले में सेंधमारी करनी होगी, तभी सूबे में एक बार फिर पंजे की पकड़ मजबूत हो सकेगी.

मौके की तलाश में कमलनाथ

बीजेपी विधायक असंतोष के चलते कांग्रेस के संपर्क में हैं. लेकिन कमलनाथ का कहना है कि हम सौदेबाजी नहीं करेंगे. ऐसी स्थिति में माना जा रहा है कि कमलनाथ यह बयान सिर्फ चुनाव के मतदान को देखते हुए दे रहे हैं. चुनाव परिणाम में अगर उन्हें बीजेपी में सेंध लगाकर सरकार बनाने की संभावना दिखेगी, तो वह भी मौका नहीं चूकेंगे.

कांग्रेस में तोड़फोड़ करने के पीछे बीजेपी के कौन से हित

बीजेपी कांग्रेस में तोड़फोड़ कर यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि कांग्रेस में असंतोष है और भगदड़ मची हुई है और हम ही सरकार के रूप में बेहतर विकल्प हैं. कांग्रेस के जीते हुए लोग भी इस्तीफा देकर बीजेपी में आ रहे हैं. इसलिए कांग्रेस ना तो सरकार बना सकती है और ना सरकार चला सकती है. साथ ही बीजेपी की कोशिश कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ने की है.

क्यों अपना कुनबा नहीं संभाल पा रही है कांग्रेस

भाजपा की केंद्र में सरकार होने और भाजपा के साम दाम दंड भेद के तरीके की राजनीति के कारण कांग्रेस के कमजोर कड़ी वाले विधायकों को बीजेपी निशाना बना रही है. राज्य में सत्ता होने के बाद बीजेपी की सरकार कांग्रेस के उन विधायकों को निशाना बना रही है. जो या तो आर्थिक रूप से कमजोर हैं या जिनकी कोई ऐसी कमियां हैं,जो सरकार के जरिए उजागर की जा सके. कांग्रेस के पास फिलहाल की स्थिति में अपने विधायकों को देने के लिए कुछ भी नहीं है. कांग्रेस उन्हें सिर्फ नैतिकता का पाठ पढ़ा सकती है और कांग्रेस की प्रति प्रतिबद्धता के लिए कह सकती है.

क्या होंगे मध्यावधि चुनाव ?

यदि बीजेपी की सरकार नहीं बनी, तो दो संभावनाएं हैं. कि या तो मध्यावधि चुनाव होंगे या फिर कुछ दिनों के लिए चुनाव टाल दिए जाएंगे. राज्यपाल कहेंगे कि बहुमत साबित करने एक या 2 महीने का वक्त दिया जाता है. तब फिर खरीद-फरोख्त होने से ज्यादा गंदगी मचेगी और फिर मध्यावधि चुनाव होंगे. लेकिन इसकी संभावना बहुत कम है.अगर कुछ आसमानी सुल्तानी हो भी जाता है. तो फिर सरकार कांग्रेस बना ले, इसकी संभावना भी कम है. फिर तो मध्य प्रदेश मध्यावधि चुनाव की तरफ ही जाएगा. जहां तक कांग्रेस के विधायकों के बीजेपी में आने की बात है. तो यह कुछ बीजेपी के अति उत्साही लोग कर रहे हैं. जिससे बीजेपी को नुकसान हो रहा है. संदेश जा रहा है कि सत्ता के लिए बीजेपी कुछ भी कर सकती है. इस काम से बीजेपी जोखिम लेने का काम कर रही है.

ना नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी,ये है कांग्रेस के के हाल

मप्र बीजेपी के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी कहते हैं कि एक कहावत है कि ना नौ मन तेल होगा ना राधा नाचेगी. ना 28 सीटें कांग्रेस पार्टी जीत पाएगी और ना ही सरकार बना पाएगी. बहुत स्पष्ट है कि बीजेपी 28 सीटों पर जीत हासिल कर रही है और कांग्रेस इस राज्य में उसी तरह समाप्त हो रही है,जिस तरह देश में चुनौती के रूप में समाप्त हो चुकी है. कांग्रेश अब शेष ही नहीं,अब उसके अवशेष बचे हैं. इसलिए जनता जनार्दन को खारिज कर देगी, तो मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनना ना सिर्फ उपचुनाव में और आने वाले 20 साल में भी संभव नहीं है. क्योंकि जैसा आचरण और चरित्र इन राजनेताओं का है, वह जनता से दूर हो रहे हैं. जब तक आप को जनता का साथ नहीं मिलेगा, आप लोकतंत्र में चुनाव नहीं जीत सकते हैं.

कमलनाथ के नेतृत्व में बनेगी कांग्रेस की सरकार

मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा का कहना है कि कांग्रेस की सरकार हर हाल में बन रही है हम आंकड़ों के खेल में नहीं जाना चाहते हैं कि कौन कितनी सीटें जीतेगा तो सरकार बनेगी हम तो यह कह रहे हैं कि हम सभी जीते जीत रहे हैं हमारी सरकार 10 तारीख को तय हो जाएगी मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार कमलनाथ के नेतृत्व में बनेगी.

बीजेपी को हार का अंदेशा इसलिए कर रही है खरीद-फरोख्त

बीजेपी चुनाव में अगर 8 सीटें भी हासिल कर लेती है. तो उसकी सरकार बची रहेगी. इस मामले में कांग्रेस का कहना है कि हम तो बीजेपी को शून्य मान रहे हैं. हम आंकड़ों के खेल में नहीं जाना चाहते हैं. बीजेपी की सरकार नहीं बच रही है, बीजेपी पूरी सीटें हार रही है.बीजेपी की लगातार तोड़फोड़ और कमलनाथ के सौदेबाजी ना करने के बयान को लेकर कांग्रेस का कहना है कि निश्चित तौर पर भाजपा परिणाम का अंदेशा अभी से हो गया है. अभी से उसने अपनी हार स्वीकार कर ली है.इसलिए तोड़फोड़ और सौदेबाजी का खेल फिर शुरू कर दिया है. क्या कारण है कि वह 10 तारीख का इंतजार नहीं कर रही है?

पॉलिटिकल एक्सपर्ट का कहना

वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र सिंह कहते हैं कि 28 सीटों पर विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. तो आप लिखकर रख लीजिए कि 28 की 28 सीटें कोई भी पार्टी नहीं जीत रही है. ना तो बीजेपी 28 सीट जीत रही है और ना ही कांग्रेस 28 सीट जीत रही है, दोनों का दावा गलत है. जब तक कांग्रेस 28 सीट नहीं जीत पाएगी, तो एक बात बिल्कुल साफ है कि कांग्रेस की सरकार दोबारा नहीं बनने वाली है. यह राजनीतिक बात हो सकती है कि हम सरकार गिरा रहे हैं और बनाने जा रहे हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि कांग्रेस की सरकार नहीं बनने जा रही है. 28 सीटों में से बीजेपी के लिए सिर्फ 8 सीटें चाहिए है. जाहिर है कि बीजेपी का अंतर कांग्रेस की अपेक्षा कम है. इसलिए कांग्रेस इस चुनाव में सरकार बनाने की संभावना नहीं है. कांग्रेस के पास कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दो चेहरे हैं, इन पर जनता कितना विश्वास करेगी. हम इस पर राजनीतिक बात ना करके यथार्थ पर बात करना चाह रहे हैं कि भाजपा की सरकार चलती रहेगी.

भोपाल। मप्र में हो रहे उपचुनाव को लेकर चुनाव परिणाम की संभावनाओं पर तरह-तरह की चर्चाएं सियासी गलियारों में तैर रही हैं. ऐसा लग रहा है कि इन उपचुनाव में कांग्रेस बीजेपी से ज्यादा सीटें जीत सकती है. उपचुनाव में माहौल कांग्रेस के पक्ष में नजर आ रहा है, कांग्रेस दावा कर रही है कि वह 28 सीटें जीतने जा रही है. दूसरी तरफ बीजेपी को सरकार बचाने के लिए सिर्फ 8 सीटों की जरूरत है. बावजूद इसके बीजेपी कोई कोर कसर छोड़ना नहीं चाहती. इसलिए बीजेपी साम-दाम-दंड-भेद की रणनीति अपना रही है.

मध्यावधि चुनाव की आहट

मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर तीन नवंबर को उपचुनाव होना है, एक और विधायक राहुल लोधी ने दमोह सीट से इस्तीफा देकर न सिर्फ एक सीट खाली कर दी, बल्कि कांग्रेस को और मुसीबत में डाल दिया, अब कांग्रेस के पास सिर्फ 87 विधायक ही बचे हैं, कांग्रेस को बहुमत में आने के लिए सभी 28 सीटें जितनी होंगी, जिसकी संभावना न के बराबर है. बीजेपी जिस तरह से कांग्रेस के विधायक तोड़ रही है. उससे लग रहा है कि बीजेपी को अपनी जीत की संभावनाएं कम नजर आ रही हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस अपने विधायकों को एकजुट करने में नाकाम नजर आ रही है. इन तमाम परिस्थितियों के चलते तरह-तरह के समीकरण बनने लगे हैं.

बीजेपी का दावा

किन परिस्थितियों में बन सकती है कांग्रेस की सरकार

कांग्रेस 28 सीटें जीत पाए, ऐसी संभावना कम ही है और अगर कांग्रेस 28 सीट जीत जाती है. तो चार निर्दलीय और तीन अन्य का समर्थन भी कांग्रेस को मिलेगा. फिलहाल कांग्रेस के पास 87 विधायक बचे हैं और कांग्रेस अगर 28 की 28 सीटें जीतती है. तो मध्य प्रदेश की मौजूदा 229 सीटों के हिसाब से उसे 115 सीटें हासिल कर बहुमत साबित करना होगा. जो 28 सीट जीतने पर ही हासिल हो जाएगा. ऐसी स्थिति में निर्दलीय और अन्य जो दल सरकार में होगा उसी की तरफ झुकेंगे.ऐसी स्थिति में कांग्रेस की सरकार बनाने की संभावना कितनी प्रबल है, यह बड़ा सवाल है. बीजेपी इन दिनों जिस तरीके की राजनीति करती है. उस राजनीति को देखते हुए संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस अगर सरकार बनाने की स्थिति में भी आ जाएगी, तो बीजेपी किसी न किसी तरीके से कांग्रेस को सरकार नहीं बनाने देगी और कोशिश करेगी कि मध्यप्रदेश में मध्यावधि चुनाव हो.

कांग्रेस का दावा

दूसरी संभावना ये है बीजेपी को 8 सीटें ना मिल पाएं और कांग्रेस बहुमत के पास हो, बचीं हुई सीटें बसपा जीत जाए, बाद में बसपा निर्दलीय और कांग्रेस मिलकर सरकार बना लें, तो कांग्रेस की सत्ता में आ सकती है. लेकिन ये भी दूर की कौड़ी ही है. क्योंकि अगर बीजेपी 8 से कम सीट भी जीतती है तो कांग्रेस से मजबूत स्थिति में होगी और निर्दलीय बसपा व सपा के विधयाक मिलकर सरकार बना सकते हैं. तीसरी संभावना ये है कि बीजेपी 8 से ज्यादा सीटें जीत जाए और ये गतिरोध शांत हो जाए. फिर भी कांग्रेस, बीजेपी के किले में सेंधमारी की जुगत में तो रहेगी ही. लेकिन बीजेपी भारी बहुमत से जीतती है, तो सियासी गतिरोध थम जाएगा.

वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र सिंह

सत्ता का संतुलन जरूरी

अगर कांग्रेस को सत्ता पर काबिज होना है तो जरूरी आंकड़े तो जुटाने ही होंगे साथ ही निर्दलीय, सपा बसपा के विधायकों को भी साधना होगा. इससे ज्यादा जरूरी बीजेपी के के किले में सेंधमारी करनी होगी, तभी सूबे में एक बार फिर पंजे की पकड़ मजबूत हो सकेगी.

मौके की तलाश में कमलनाथ

बीजेपी विधायक असंतोष के चलते कांग्रेस के संपर्क में हैं. लेकिन कमलनाथ का कहना है कि हम सौदेबाजी नहीं करेंगे. ऐसी स्थिति में माना जा रहा है कि कमलनाथ यह बयान सिर्फ चुनाव के मतदान को देखते हुए दे रहे हैं. चुनाव परिणाम में अगर उन्हें बीजेपी में सेंध लगाकर सरकार बनाने की संभावना दिखेगी, तो वह भी मौका नहीं चूकेंगे.

कांग्रेस में तोड़फोड़ करने के पीछे बीजेपी के कौन से हित

बीजेपी कांग्रेस में तोड़फोड़ कर यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि कांग्रेस में असंतोष है और भगदड़ मची हुई है और हम ही सरकार के रूप में बेहतर विकल्प हैं. कांग्रेस के जीते हुए लोग भी इस्तीफा देकर बीजेपी में आ रहे हैं. इसलिए कांग्रेस ना तो सरकार बना सकती है और ना सरकार चला सकती है. साथ ही बीजेपी की कोशिश कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ने की है.

क्यों अपना कुनबा नहीं संभाल पा रही है कांग्रेस

भाजपा की केंद्र में सरकार होने और भाजपा के साम दाम दंड भेद के तरीके की राजनीति के कारण कांग्रेस के कमजोर कड़ी वाले विधायकों को बीजेपी निशाना बना रही है. राज्य में सत्ता होने के बाद बीजेपी की सरकार कांग्रेस के उन विधायकों को निशाना बना रही है. जो या तो आर्थिक रूप से कमजोर हैं या जिनकी कोई ऐसी कमियां हैं,जो सरकार के जरिए उजागर की जा सके. कांग्रेस के पास फिलहाल की स्थिति में अपने विधायकों को देने के लिए कुछ भी नहीं है. कांग्रेस उन्हें सिर्फ नैतिकता का पाठ पढ़ा सकती है और कांग्रेस की प्रति प्रतिबद्धता के लिए कह सकती है.

क्या होंगे मध्यावधि चुनाव ?

यदि बीजेपी की सरकार नहीं बनी, तो दो संभावनाएं हैं. कि या तो मध्यावधि चुनाव होंगे या फिर कुछ दिनों के लिए चुनाव टाल दिए जाएंगे. राज्यपाल कहेंगे कि बहुमत साबित करने एक या 2 महीने का वक्त दिया जाता है. तब फिर खरीद-फरोख्त होने से ज्यादा गंदगी मचेगी और फिर मध्यावधि चुनाव होंगे. लेकिन इसकी संभावना बहुत कम है.अगर कुछ आसमानी सुल्तानी हो भी जाता है. तो फिर सरकार कांग्रेस बना ले, इसकी संभावना भी कम है. फिर तो मध्य प्रदेश मध्यावधि चुनाव की तरफ ही जाएगा. जहां तक कांग्रेस के विधायकों के बीजेपी में आने की बात है. तो यह कुछ बीजेपी के अति उत्साही लोग कर रहे हैं. जिससे बीजेपी को नुकसान हो रहा है. संदेश जा रहा है कि सत्ता के लिए बीजेपी कुछ भी कर सकती है. इस काम से बीजेपी जोखिम लेने का काम कर रही है.

ना नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी,ये है कांग्रेस के के हाल

मप्र बीजेपी के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी कहते हैं कि एक कहावत है कि ना नौ मन तेल होगा ना राधा नाचेगी. ना 28 सीटें कांग्रेस पार्टी जीत पाएगी और ना ही सरकार बना पाएगी. बहुत स्पष्ट है कि बीजेपी 28 सीटों पर जीत हासिल कर रही है और कांग्रेस इस राज्य में उसी तरह समाप्त हो रही है,जिस तरह देश में चुनौती के रूप में समाप्त हो चुकी है. कांग्रेश अब शेष ही नहीं,अब उसके अवशेष बचे हैं. इसलिए जनता जनार्दन को खारिज कर देगी, तो मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनना ना सिर्फ उपचुनाव में और आने वाले 20 साल में भी संभव नहीं है. क्योंकि जैसा आचरण और चरित्र इन राजनेताओं का है, वह जनता से दूर हो रहे हैं. जब तक आप को जनता का साथ नहीं मिलेगा, आप लोकतंत्र में चुनाव नहीं जीत सकते हैं.

कमलनाथ के नेतृत्व में बनेगी कांग्रेस की सरकार

मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा का कहना है कि कांग्रेस की सरकार हर हाल में बन रही है हम आंकड़ों के खेल में नहीं जाना चाहते हैं कि कौन कितनी सीटें जीतेगा तो सरकार बनेगी हम तो यह कह रहे हैं कि हम सभी जीते जीत रहे हैं हमारी सरकार 10 तारीख को तय हो जाएगी मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार कमलनाथ के नेतृत्व में बनेगी.

बीजेपी को हार का अंदेशा इसलिए कर रही है खरीद-फरोख्त

बीजेपी चुनाव में अगर 8 सीटें भी हासिल कर लेती है. तो उसकी सरकार बची रहेगी. इस मामले में कांग्रेस का कहना है कि हम तो बीजेपी को शून्य मान रहे हैं. हम आंकड़ों के खेल में नहीं जाना चाहते हैं. बीजेपी की सरकार नहीं बच रही है, बीजेपी पूरी सीटें हार रही है.बीजेपी की लगातार तोड़फोड़ और कमलनाथ के सौदेबाजी ना करने के बयान को लेकर कांग्रेस का कहना है कि निश्चित तौर पर भाजपा परिणाम का अंदेशा अभी से हो गया है. अभी से उसने अपनी हार स्वीकार कर ली है.इसलिए तोड़फोड़ और सौदेबाजी का खेल फिर शुरू कर दिया है. क्या कारण है कि वह 10 तारीख का इंतजार नहीं कर रही है?

पॉलिटिकल एक्सपर्ट का कहना

वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र सिंह कहते हैं कि 28 सीटों पर विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. तो आप लिखकर रख लीजिए कि 28 की 28 सीटें कोई भी पार्टी नहीं जीत रही है. ना तो बीजेपी 28 सीट जीत रही है और ना ही कांग्रेस 28 सीट जीत रही है, दोनों का दावा गलत है. जब तक कांग्रेस 28 सीट नहीं जीत पाएगी, तो एक बात बिल्कुल साफ है कि कांग्रेस की सरकार दोबारा नहीं बनने वाली है. यह राजनीतिक बात हो सकती है कि हम सरकार गिरा रहे हैं और बनाने जा रहे हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि कांग्रेस की सरकार नहीं बनने जा रही है. 28 सीटों में से बीजेपी के लिए सिर्फ 8 सीटें चाहिए है. जाहिर है कि बीजेपी का अंतर कांग्रेस की अपेक्षा कम है. इसलिए कांग्रेस इस चुनाव में सरकार बनाने की संभावना नहीं है. कांग्रेस के पास कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दो चेहरे हैं, इन पर जनता कितना विश्वास करेगी. हम इस पर राजनीतिक बात ना करके यथार्थ पर बात करना चाह रहे हैं कि भाजपा की सरकार चलती रहेगी.

Last Updated : Nov 9, 2020, 11:10 PM IST
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