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रैपिड किट खत्म होने पर जेपी अस्पताल के फीवर क्लीनिक में लोगों का हंगामा, भागे कर्मचारी

शहर के जेपी अस्पताल में शनिवार को काफी संख्या में लोग कोरोना टेस्ट कराने पहुंचे थे. घंटों लाइन में लगने के बाद अस्पताल के कर्मचारी ने जानकारी दी की रैपिड किट खत्म हो गई है, जिसके बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और हंगामा किया.

People created uproar when Rapid Kit ran out in Jaypee Hospital
रैपिड किट खत्म होने पर जेपी अस्पताल में लोगों ने किया हंगामा
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Published : Aug 9, 2020, 11:14 AM IST

भोपाल। प्रदेश नें कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकार हर मुमकिन प्रयास कर रही है, बावजूद इसके संक्रमित मरीजों की मिलना जारी है. हालांकि प्रदेश सरकार टेस्टिंग को बढ़ाने के लिए रैपिड किट का इस्तेमाल कर रही है, लेकिन अब वह भी कम पड़ने लगी है. शहर के जेपी अस्पताल में ऐसा ही एक लापरवाही का मामला सामने आया है, शनिवार के जेपी अस्पताल में जांच कराने आए लोगों को काफी देर तक टेस्ट कराने के लिए परेशान होना पड़ा. आखिर में किसी भी व्यक्ति का टेस्ट नहीं हो पाया. क्योंकि जेपी अस्पताल के फीवर क्लीनिक में लोगों की टेस्टिंग करने के लिए रैपिड किट ही नहीं थी.

दरअसल शनिवार को जेपी अस्पताल की फीवर क्लीनिक में कोरोना के रैपिड एंटीजन टेस्ट किए जा रहे थे, वहीं इसके चलते क्लीनिक पर लोगों की काफी भीड़ इकठ्ठा हो गई. क्लीनिक पहुंचे सभी लोग कोरोना टेस्ट के लिए आए थे. लेकिन अस्पताल के कर्मचारी ने कहा कि रैपिड किट खत्म हो गई है और खिड़की बंद कर दी.

टेस्ट कराने आए और घंटों से लाइन में लगे लोगों का रैपिड किट खत्म होने की बात सुनकर गुस्सा फूट गया. जिसके बाद मौजूद लोगों ने अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया, साथ ही अस्पताल प्रशासन पर आरोप लगाया कि जब किट खत्म हो गई थी तो घंटों उन्हें लाइन में लगाकर क्यों रखा. वहीं लोगों के बढ़ते हंगामे को देखकर मौजूद कर्मचारी तत्काल क्लीनिक बंद कर पीछे के रास्ते से भाग खड़े हुए.

इस दौरान जेपी अस्पताल में जेल से भी कुछ कैदियों को जांच के लिए लाया गया था, लेकिन उन्हें भी बिना जांच करवाएं ही वापस जेल लौटना पड़ा. बता दें कि रैपिड टेस्ट के लिए दो हजार किट स्वास्थ्य विभाग की ओर से दी गई थी, जो खत्म हो चुकी हैं.

जानकारी के मुताबिक जेपी अस्पताल प्रबंधन ने अतिरिक्त रैपिड किट की मांग की थी. लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने जेपी अस्पताल प्रबंधन को किट मुहैया नहीं कराई, जिसके चलते अस्पताल में यह स्थिति निर्मित हुई और लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा.

वहीं जब इस संबंध में सीएमएचओ प्रभाकर तिवारी से संपर्क करने की कोशिश की तो उन्होंने बात करने से ही इनकार कर दिया. यहां तक कि अपना मोबाइल भी स्विच ऑफ कर लिया. ताकि उन्हें इन सवालों का जवाब ना देना पड़े, इसके अलावा आरके तिवारी सिविल सर्जन से भी संपर्क करने की कोशिश की गई. लेकिन वह भी इससे बचते नजर आए.

भोपाल। प्रदेश नें कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकार हर मुमकिन प्रयास कर रही है, बावजूद इसके संक्रमित मरीजों की मिलना जारी है. हालांकि प्रदेश सरकार टेस्टिंग को बढ़ाने के लिए रैपिड किट का इस्तेमाल कर रही है, लेकिन अब वह भी कम पड़ने लगी है. शहर के जेपी अस्पताल में ऐसा ही एक लापरवाही का मामला सामने आया है, शनिवार के जेपी अस्पताल में जांच कराने आए लोगों को काफी देर तक टेस्ट कराने के लिए परेशान होना पड़ा. आखिर में किसी भी व्यक्ति का टेस्ट नहीं हो पाया. क्योंकि जेपी अस्पताल के फीवर क्लीनिक में लोगों की टेस्टिंग करने के लिए रैपिड किट ही नहीं थी.

दरअसल शनिवार को जेपी अस्पताल की फीवर क्लीनिक में कोरोना के रैपिड एंटीजन टेस्ट किए जा रहे थे, वहीं इसके चलते क्लीनिक पर लोगों की काफी भीड़ इकठ्ठा हो गई. क्लीनिक पहुंचे सभी लोग कोरोना टेस्ट के लिए आए थे. लेकिन अस्पताल के कर्मचारी ने कहा कि रैपिड किट खत्म हो गई है और खिड़की बंद कर दी.

टेस्ट कराने आए और घंटों से लाइन में लगे लोगों का रैपिड किट खत्म होने की बात सुनकर गुस्सा फूट गया. जिसके बाद मौजूद लोगों ने अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया, साथ ही अस्पताल प्रशासन पर आरोप लगाया कि जब किट खत्म हो गई थी तो घंटों उन्हें लाइन में लगाकर क्यों रखा. वहीं लोगों के बढ़ते हंगामे को देखकर मौजूद कर्मचारी तत्काल क्लीनिक बंद कर पीछे के रास्ते से भाग खड़े हुए.

इस दौरान जेपी अस्पताल में जेल से भी कुछ कैदियों को जांच के लिए लाया गया था, लेकिन उन्हें भी बिना जांच करवाएं ही वापस जेल लौटना पड़ा. बता दें कि रैपिड टेस्ट के लिए दो हजार किट स्वास्थ्य विभाग की ओर से दी गई थी, जो खत्म हो चुकी हैं.

जानकारी के मुताबिक जेपी अस्पताल प्रबंधन ने अतिरिक्त रैपिड किट की मांग की थी. लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने जेपी अस्पताल प्रबंधन को किट मुहैया नहीं कराई, जिसके चलते अस्पताल में यह स्थिति निर्मित हुई और लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा.

वहीं जब इस संबंध में सीएमएचओ प्रभाकर तिवारी से संपर्क करने की कोशिश की तो उन्होंने बात करने से ही इनकार कर दिया. यहां तक कि अपना मोबाइल भी स्विच ऑफ कर लिया. ताकि उन्हें इन सवालों का जवाब ना देना पड़े, इसके अलावा आरके तिवारी सिविल सर्जन से भी संपर्क करने की कोशिश की गई. लेकिन वह भी इससे बचते नजर आए.

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