भोपाल। मध्य प्रदेश के डॉक्टर की पेंशन (Pension) को जमा करने के मामले में 200 करोड़ (200 crore) की गड़बड़ी का मामला सामने आया है. जिसको लेकर डॉक्टर्स एसोसिएशन (Doctors Association) ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है. नेशनल पेंशन स्कीम (National Pension Scheme) के तहत डॉक्टर का पैसा पेंशन अकाउंट में जमा होना था. लेकिन विभाग में बैठे उच्च अधिकारियों ने नेशनल पेंशन स्कीम मे खाता ही नहीं खोला और उस सारे पैसे को कहां जमा किए यह जानकारी भी नहीं दी. अब चिकित्सा शिक्षा मंत्री इस मामले में जांच की बात कह रहे हैं.
मध्य प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों के मेडिकल टीचर्स (Medical teachers) की पेंशन के नाम पर हर साल 54 करोड़ रुपए की गड़बड़ी हो रही है. यह गड़बड़ी 2018 से हो रही है, गड़बड़ी दो अरब रुपए से भी ज्यादा की है. यह खुलासा मेडिकल टीचर्स द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र से हुआ है. पत्र के मुताबिक सरकारी मेडिकल कॉलेजों मे काम कर रहे मेडिकल टीचर्स से नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) के नाम पर प्रतिमाह मूल वेतन का 10 फीसदी राशि काटी जा रही है. प्रदेश मे करीब तीन हजार मेडिकल टीचर्स हैं, जिनके वेतन से हर साल 27 करोड़ 20 लाख रुपए एनपीएस के नाम पर काटे जा रहे हैं.
2018 से हो रही है NPS के नाम पर कटौती
साल 2018 से अब तक करीब 1 अरब 8 करोड़ काटे जा चुके हैं. यही नहीं नियम के मुताबिक इतनी ही राशि सरकार को जमा करनी थी, मेडिकल कॉलेजों में पेंशन के नाम पर अब तक 2 अरब 17 करोड़ रुपए से ज्यादा की गड़बड़ी हो चुकी है. इसको लेकर मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है. एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश मालवीय के अनुसार उनके एक साथी डॉक्टर रायकवार की करोना के दौरान हुई मौत के बाद उनके परिवार को पेंशन की राशि की आवश्यकता पड़ी. जब उन्होंने इसके लिए अप्लाई किया, तो पता चला उनकी राशि तो जमा हुई ही नहीं. ऐसे में जब हमारे वेतन से एनपीएस के नाम पर हर महीने तय राशि कटती है. नियमानुसार इतनी ही सरकार को भी देनी है. लेकिन हमारे पास ना पेंशन अकाउंट है ना नंबर फिर भी राशि काटी जा रही है.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने कही जांच की बात
मामला सामने आते ही चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों के हाथ पैर फूल गए. ऐसे में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने इस पूरे मामले में जांच की बात कही है. चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग का कहना है कि "इस तरह की जानकारी उनकों प्राप्त हुई है. इसको लेकर अब जांच कराई जाएगी. और जांच में जो भी अधिकारी दोषी होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी."
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क्या है एनपीएस के नियम?
2005 में केन्द्र सरकार द्वारा अनिवार्य योजना के रूप में एनपीएस स्कीम लागू की गई. इसमें मूल वेतन का 10 फीसदी कर्मचारी के वेतन से और उतनी ही राशि सरकार को कर्मचारी के एनपीएस अकाउंट मे जमा करानी होगी. इस पर हर महीने चक्रवृद्धि ब्याज भी मिलेगा. सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन के रूप में मिलेगा.
ऐसे हो रही गड़बड़ी
2005 में चिकित्सा शिक्षा विभाग को छोड़ यह योजना प्रदेश के सभी विभागों में लागू की गई. मेडिकल टीचर्स के लगातार आंदोलन के बाद 2018 में तत्कालीन प्रमुख सचिव ने विभाग के सभी टीचर्स के साथ अधिकारी, कर्मचारी, नर्सिंग स्टाफ के वेतन से एनपीएस राशि काटने के निर्देश दिए. लेकिन किसी टीचर्स या कर्मचारी का एनपीएस (प्रान नंबर) नहीं खुला, ऐसे में यह राशि डीन के पास एफडी में जमा करने के मौखिक आदेश दिए गए. इसके बाद राशि तो वेतन से कट रही है, लेकिन कहां जमा हो रही है किसी को जानकारी नहीं है.
कोरोना के इलाज से मौत, अब परिवार हो रहा परेशान
दूसरी लहर के दौरान मरीजों के इलाज के दौरान इंदौर मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. रामशरण रायकवार की कोविड से मौत हो गई थी. मृत्यु के बाद परिवार ने एनपीएस की राशि सहित अन्य सहायता के लिए आवेदन किया, लेकिन विभाग से अब तक कोई मदद नहीं मिली. इसको लेकर मेडिकल टीचर्स ने भी सरकार को पत्र लिखा है.