भोपाल। दिल्ली से पारसी शैली की तीसरी पीढ़ी के जफर संजरी मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय के विद्यार्थियों को पारसी शैली की ट्रेनिंग देने आए हैं. ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने बताया कि रंगमंच की कई विधाएं होती है और हर विधा में कुछ खास होता है, जो उसे दूसरे से अलग बनाता है. लेकिन पारसी रंगमंच एक ऐसी विधा है, जिसमें सब कुछ खास है.
पारसी रंगमंच के बारे में जफर ने बताया कि 1853 में शुरू हुआ पारसी रंगमंच हिंदुस्तान का पहला कॉमर्शियल थिएटर है. इसे तत्कालीन पारसियों ने अपना व्यवसाय बनाया था. हालांकि यह शेक्सपिरियन स्टाइल है जिसे प्रोपोराइटर कहा गया. इसमें खास यही है कि डांस, शेरों-शायरी और गाने सब कुछ हैं.
मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय के विद्यार्थियों को इसी शैली में 'दिल्ली दरबार' को मंचित करना सिखाया गया है. इसके साथ ही शीरी-फरहाद और लैला-मजनू को भी इस शैली में मंचित किया जाएगा.