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मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय में पहुंचे पारसी शैली के रंगकर्मी, बच्चों सिखाई विधा

दिल्ली से पारसी शैली की तीसरी पीढ़ी के जफर संजरी मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय के विद्यार्थियों को पारसी शैली की ट्रेनिंग देने आए हैं. इस दौरान उन्होंने कहा कि यह विधा सबसे खास है.

जफर संजरी, पारसी शैली रंगकर्मी
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Published : May 21, 2019, 11:00 AM IST

भोपाल। दिल्ली से पारसी शैली की तीसरी पीढ़ी के जफर संजरी मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय के विद्यार्थियों को पारसी शैली की ट्रेनिंग देने आए हैं. ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने बताया कि रंगमंच की कई विधाएं होती है और हर विधा में कुछ खास होता है, जो उसे दूसरे से अलग बनाता है. लेकिन पारसी रंगमंच एक ऐसी विधा है, जिसमें सब कुछ खास है.

नाट्य विद्यालय में ट्रैनिंग लेते विद्यार्थी


पारसी रंगमंच के बारे में जफर ने बताया कि 1853 में शुरू हुआ पारसी रंगमंच हिंदुस्तान का पहला कॉमर्शियल थिएटर है. इसे तत्कालीन पारसियों ने अपना व्यवसाय बनाया था. हालांकि यह शेक्सपिरियन स्टाइल है जिसे प्रोपोराइटर कहा गया. इसमें खास यही है कि डांस, शेरों-शायरी और गाने सब कुछ हैं.


मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय के विद्यार्थियों को इसी शैली में 'दिल्ली दरबार' को मंचित करना सिखाया गया है. इसके साथ ही शीरी-फरहाद और लैला-मजनू को भी इस शैली में मंचित किया जाएगा.

भोपाल। दिल्ली से पारसी शैली की तीसरी पीढ़ी के जफर संजरी मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय के विद्यार्थियों को पारसी शैली की ट्रेनिंग देने आए हैं. ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने बताया कि रंगमंच की कई विधाएं होती है और हर विधा में कुछ खास होता है, जो उसे दूसरे से अलग बनाता है. लेकिन पारसी रंगमंच एक ऐसी विधा है, जिसमें सब कुछ खास है.

नाट्य विद्यालय में ट्रैनिंग लेते विद्यार्थी


पारसी रंगमंच के बारे में जफर ने बताया कि 1853 में शुरू हुआ पारसी रंगमंच हिंदुस्तान का पहला कॉमर्शियल थिएटर है. इसे तत्कालीन पारसियों ने अपना व्यवसाय बनाया था. हालांकि यह शेक्सपिरियन स्टाइल है जिसे प्रोपोराइटर कहा गया. इसमें खास यही है कि डांस, शेरों-शायरी और गाने सब कुछ हैं.


मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय के विद्यार्थियों को इसी शैली में 'दिल्ली दरबार' को मंचित करना सिखाया गया है. इसके साथ ही शीरी-फरहाद और लैला-मजनू को भी इस शैली में मंचित किया जाएगा.

Intro:भोपाल- रंगमंच की कई विधाएं होती है और हर विधा में कुछ खास होता है जो उसे दूसरे से अलग बनाती है पर पारसी रंगमंच एक ऐसी विधा है जिसमें सब कुछ खास है और यही उसे अलग बनाता है, यह कहना है पारसी शैली की तीसरी पीढ़ी के जफर संजरी का जो दिल्ली से मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय के विद्यार्थियों को पारसी शैली की ट्रेनिंग देने आए हुए है।


Body:पारसी रंगमंच के बारे में जफर ने बताया कि 1853 में शुरू हुआ पारसी रंगमंच यह हिंदुस्तान का पहला कमर्शियल थिएटर है जिसे तत्कालीन पारसियों ने अपना व्यवसाय बनाया था,हालांकि यह शेक्सपिरियन स्टाइल है जिसे प्रोपोराइटर कहा गया।
इसमें खास यहीं है कि इसमें डांस,शेरों-शायरी,गाने सब कुछ है।



Conclusion:नाट्य विद्यालय के विद्यार्थियों को इसी शैली में दिल्ली दरबार जो कि इंसाफ की कहानी है को मंचित करना सिखाया गया है इसके साथ ही शीरी-फरहाद और लैला-मजनू को भी इस शैली में मंचित किया जाएगा।
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