भोपाल। कोरोना कर्फ्यू हटने के बाद भी स्कूल ऑनलाइन ही चल रहे हैं. वहीं स्कूल प्रबंधन अभिभावकों पर फीस को लेकर लगातार दबाव बना रहा है. ऐसे में अभिभावक फीस को लेकर स्कूल प्रबंधन से बात करने पहुंचे, लेकिन स्कूल संचालक अपनी मनमानी पर अड़े हैं और पूरी फीस वसूलने की बात कर रहे हैं.
गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहे निजी स्कूल
कोरोना संक्रमण के दौर में नया शिक्षा सत्र शुरू होते ही फीस को लेकर विवाद शुरू हो गए हैं. इन विवादों की सबसे बड़ी वजह सरकार द्वारा निजी स्कूलों को फीस को ले कर कोई स्पष्ट आदेश न देना. इसके अलावा उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन न करवा पाना. पिछले साल भी उच्च न्यायालय के आदेश का पालन निजी स्कूलों में नहीं हुआ.
निजी स्कूल वसूल रही पूरी फीस
इसी परेशानी के चलते रविवार को भोपाल के एक निजी स्कूल में कुछ पैरंट्स मैनेजमेंट से फीस के संबंध में बात करने पहुंचे. तीन-चार घंटे वहां रहने के बाद भी उनकी कोई बात स्पष्ट रूप से मैनेजमेंट से नहीं हो पाई. अभिभावक पुष्पेंद्र गुप्ता ने बताया कि निजी स्कूल प्रशासन के किसी नियम को नहीं मानता. एनुअल मेंटेनेंस के नाम पर अभिभावकों से पैसे लिए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि लगभग एक साल में एक बच्चे की फीस 1 लाख 25 हजार रुपये लगती है.
शिकायत के बाद भी नहीं हुआ समाधान
पुष्पेंद्र गुप्ता ने बताया कि शिक्षा मंत्री से लेकर कलेक्टर तक सभी को इस मामले में शिकायत की गई, लेकिन कोई न्याय नहीं मिला. वहीं एक और अभिभावक शिवानी का कहना है कि उनका बच्चा kg2 में है. आज तक वह स्कूल आया ही नहीं है. बच्चे को ऑनलाइन सिर्फ तीन घंटे पढ़ाया जाता है और फीस पूरी वसूलते हैं.
कोरोना काल में पढ़ाई का अनूठा तरीका, टीचर का नवाचार बना मिसाल
वहीं मध्य प्रदेश पालक संघ के अध्यक्ष कमल विश्वकर्मा ने बताया कि इस निजी स्कूल के खिलाफ लगभग 50 से अधिक लिखित शिकायतें आई हैं. पालक संघ के माध्यम से शिकायतें शिक्षा विभाग को पहुंचाई गई हैं. उन्होंने बताया कि भोपाल में काफी निजी स्कूल सरकार की गाइड लाइन व माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय का पालन नहीं कर रहे हैं.