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ऊर्जा विभाग की चर्चा के दौरान विपक्ष ने किया सदन से वॉकआउट, कहा - 'सत्तापक्ष के पास नहीं कोई दृष्टि' - कहा - 'सत्तापक्ष के पास नहीं कोई दृष्टि'

ऊर्जा विभाग की बजट अनुदान की चर्चा के दौरान विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया. विपक्ष का आरोप है कि ऊर्जा मंत्री के पास विद्युत उत्पादन बढ़ाने और जनता के सहूलियत के लिए कोई दृष्टि नहीं है.

प्रदेश सरकार पर विपक्ष का आरोप
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Published : Jul 21, 2019, 12:41 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा में ऊर्जा विभाग की बजट अनुदान की चर्चा के दौरान विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया. विपक्ष का आरोप है कि सत्ता पक्ष के पास उर्जा के मामले में कोई दृष्टि नहीं है. विपक्ष का कहना है कि सत्ता पक्ष ने अपने जवाब में कहीं भी यह नहीं बताया कि विद्युत उत्पादन बढ़ाने के लिए और आम उपभोक्ताओं की सहूलियत के लिए सरकार क्या काम करेगी. ऊर्जा मंत्री अपने जवाब में सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप लगाने का काम करते रहे. अगर उर्जा मंत्री कोई सार्थक जवाब देते तो हम चर्चा में जरूर हिस्सा लेते.

प्रदेश सरकार पर विपक्ष का आरोप


नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि विधानसभा में ऊर्जा विभाग की मांगों की चर्चा के उपरांत जो मंत्री का उत्तर था, मुझे उम्मीद थी कि एक नई दृष्टि मध्य प्रदेश में विद्युत उत्पादन को बढ़ाने और गरीब किसान उपभोक्ताओं को सुविधा बढ़ाने के लिए मिलेगी. लेकिन उल्टा संबल योजना और बिजली के बिल को आधा करने की योजन को ही खत्म कर गरीबों के ऊपर और ज्यादा बिजली के बिल थोप दिए. उनका कहना है कि आज गरीबों को 20 से 25 हजार के बिजली के बिल थमाए जा रहे हैं. गोपाल भार्गव का कहना है कि पूर्व ऊर्जा मंत्री राजेंद्र शुक्ल और पारस जैन ने तथ्यात्मक तरीके से बात रखी. लेकिन सत्ता पक्ष आधारहीन बातें कर के आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे है.

ऊर्जा मंत्री के जवाब के समय वॉकआउट करने के सवाल पर गोपाल भार्गव कहना है कि हम इसलिए चर्चा के दौरान शांत रहे कि ऊर्जा मंत्री के जवाब में कोई सकारात्मक चीज हमें मिलेगी. लेकिन ऊर्जा मंत्री अपने जवाब में सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप लगाने का काम करते रहे थे.

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा में ऊर्जा विभाग की बजट अनुदान की चर्चा के दौरान विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया. विपक्ष का आरोप है कि सत्ता पक्ष के पास उर्जा के मामले में कोई दृष्टि नहीं है. विपक्ष का कहना है कि सत्ता पक्ष ने अपने जवाब में कहीं भी यह नहीं बताया कि विद्युत उत्पादन बढ़ाने के लिए और आम उपभोक्ताओं की सहूलियत के लिए सरकार क्या काम करेगी. ऊर्जा मंत्री अपने जवाब में सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप लगाने का काम करते रहे. अगर उर्जा मंत्री कोई सार्थक जवाब देते तो हम चर्चा में जरूर हिस्सा लेते.

प्रदेश सरकार पर विपक्ष का आरोप


नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि विधानसभा में ऊर्जा विभाग की मांगों की चर्चा के उपरांत जो मंत्री का उत्तर था, मुझे उम्मीद थी कि एक नई दृष्टि मध्य प्रदेश में विद्युत उत्पादन को बढ़ाने और गरीब किसान उपभोक्ताओं को सुविधा बढ़ाने के लिए मिलेगी. लेकिन उल्टा संबल योजना और बिजली के बिल को आधा करने की योजन को ही खत्म कर गरीबों के ऊपर और ज्यादा बिजली के बिल थोप दिए. उनका कहना है कि आज गरीबों को 20 से 25 हजार के बिजली के बिल थमाए जा रहे हैं. गोपाल भार्गव का कहना है कि पूर्व ऊर्जा मंत्री राजेंद्र शुक्ल और पारस जैन ने तथ्यात्मक तरीके से बात रखी. लेकिन सत्ता पक्ष आधारहीन बातें कर के आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे है.

ऊर्जा मंत्री के जवाब के समय वॉकआउट करने के सवाल पर गोपाल भार्गव कहना है कि हम इसलिए चर्चा के दौरान शांत रहे कि ऊर्जा मंत्री के जवाब में कोई सकारात्मक चीज हमें मिलेगी. लेकिन ऊर्जा मंत्री अपने जवाब में सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप लगाने का काम करते रहे थे.

Intro:भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा में आज ऊर्जा विभाग की बजट अनुदान की चर्चा के दौरान जब ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह जवाब दे रहे थे, तो विपक्ष ने बहिर्गमन किया। विपक्ष का आरोप है कि सत्ता पक्ष के पास उर्जा के मामले में कोई दृष्टि नहीं है।सत्ता पक्ष ने अपने जवाब में कहीं भी यह नहीं बताया कि विद्युत उत्पादन बढ़ाने के लिए और आम उपभोक्ताओं की सहूलियत के लिए सरकार क्या काम करेगी।ऊर्जा मंत्री अपने जवाब में सिर्फ शिगूफेबाजी और आरोप-प्रत्यारोप लगाने का काम करते रहे। अगर उर्जा मंत्री कोई सार्थक जवाब देते तो हम चर्चा में जरूर हिस्सा लेते।Body:नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि आज विधानसभा में ऊर्जा विभाग की मांगों की चर्चा के उपरांत जो मंत्री का उत्तर था, मुझे उम्मीद थी कि एक नई दृष्टि मध्य प्रदेश में विद्युत उत्पादन को बढ़ाने और गरीब किसान उपभोक्ताओं को सुविधा बढ़ाने के लिए मिलेगी।लेकिन मुझे यह कहते हुए काफी दुख है कि सरकार ने गरीबों का जो हक था, संबल योजना का हक था और बिजली के बिल को आधा करने का हक था। इसको खत्म करके गरीबों के ऊपर और ज्यादा बिजली के बिल थोप दिए। आज 20-20 और 25-25 हजार के बिल आ रहे हैं। ग्रामीण और नगरीय क्षेत्र के उपभोक्ता हाहाकार कर रहे हैं। इसके बाद भी मंत्री और सरकार आत्ममुग्ध है। हमारे पूर्व ऊर्जा मंत्री राजेंद्र शुक्ल और पारस जैन ने तथ्यात्मक तरीके से बात रखी। लेकिन सत्ता पक्ष लगातार शिगूफेबाजी करता रहा,आधारहीन बातें की जाती रही। गरीब उपभोक्ताओं के लिए क्या किया जाएगा, उनके बिलों का क्या होगा,किसानों को कितनी बिजली देंगे, विद्युतीकरण और विद्युत उत्पादन के लिए क्या करेंगे, इस पर कोई साफ बात नहीं रखी गई ।इस बात को लेकर हमने विरोध जताया है और हमारा मानना है कि मध्यप्रदेश सरकार बिजली उपभोक्ताओं के साथ अत्याचार कर रही है। इस सरकार के वक्ता और मंत्री किसी सदस्य ने यह नहीं कहा कि 15 सालों में हमने बिजली का उत्पादन बढ़ाकर 3 हजार मेगावाट से 18 हजार मेगा वाट कर दिया। मुझे आज भी वह दिन याद है, जब मैं एमएलए रेस्ट हाउस में रहता था, लालटेन डिब्बी में पढ़ाई करता था।यह स्थिति थी भोपाल और इंदौर के बाजार में शाम को 3 घंटे बिजली कटौती की जाती थी।अगर बेहतर दिन आए हैं, तो हम लोग लाए हैं। यह लोग सिर्फ शिगूफेबाजी और आरोप लगाने का काम कर सकते हैं। इस बात को लेकर हमने बहिर्गमन किया है।हमारे यहां 2002 और 2003 में नारे लगते थे कि जब तक रहेंगे घर घर में जलेगी डिब्बी।Conclusion:ऊर्जा मंत्री के जवाब के समय बहिर्गमन के सवाल पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हम इसलिए चर्चा के दौरान शांत रहे, कि उनके जवाब में कोई सकारात्मक बात आती,तो हम बहिर्गमन नहीं करते। लेकिन शिगूफेबाजी और आलोचना और आरोपों के अलावा उन्होंने कुछ नहीं किया। नेता प्रतिपक्ष ने चर्चा के दौरान बिजली कंपनियों के अधिकारियों की गैरमौजूदगी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि स्पीकर के स्थाई आदेश है कि सभी मौजूद रहे। लेकिन मैं मान कर चलता हूं कि सब जानते हैं कि कमजोर सरकार है, इसलिए कोई गंभीरता से नहीं ले रहा।

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