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एमपी में लिकर पर प्रेशर पॉलिटिक्स! सस्ती शराब पर विपक्ष को ऐतराज, उमा भारती ने भी चला दांव

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Published : Jan 20, 2022, 8:35 PM IST

Updated : Jan 20, 2022, 9:11 PM IST

एमपी में नई आबकारी नीति पर संग्राम छिड़ा है, सरकार सस्ती शराब बेचने की तैयारी में है, जबकि विपक्ष और कुछ भाजपाई सरकार पर सियासी (pressure politics on new liquor policy) दबाव बनाना चाहते हैं.

pressure politics on new liquor policy
एमपी में लिकर पर प्रेशर पालिटिक्स

भोपाल। मध्यप्रदेश में शराब नीति पर राजनीति गर्माई हुई है. पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के शराबबंदी अभियान को लेकर अंदरखाने चर्चा ये है कि उन्होंने सरकार पर दबाव बनाने के लिए यह चेतावनी दी थी तो दूसरी तरफ सरकार नई शराब नीति लाकर प्रदेश में शराब सस्ती कर दी है. इस पर कांग्रेस मुखर हो गई है और जनजागरण अभियान शुरु करने की तैयारी में है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस और बीजेपी के धड़े शराब नीति को लेकर सरकार को घेरने में लगे हैं, लेकिन सरकार के पास खजाना भरने के लिए शराब ही एक अच्छा विकल्प बचा है.

pressure politics on new liquor policy
एमपी में लिकर पर प्रेशर पालिटिक्स

मंत्री प्रद्युम्न सिंह की नसीहत लोगों को खुद छोड़नी होगी शराब, बोले हम तो बेचेंगे

खाली खजाना भरने के लिए लाई नई शराब नीति

राजनीतिक जानकार व वरिष्ठ पत्रकार अजय बोकिल का कहना है कि जो भी विपक्ष में रहता है, वो तो आलोचना करता ही है. बीजेपी के लोगों ने भी जब कमलनाथ सरकार के दौरान शराब नीति आई थी तो विरोध किया था. शिवराज सरकार नई शराब नीति लाकर सस्ती शराब बेचकर प्रदेश की खस्ता आर्थिक हालत को सुधारना (pressure politics on new liquor policy) चाहती है. शराब की बिक्री से सीधा कैश पैसा आता है. खजाना भरने के लिए शराब को सस्ता किया जा रहा है. सरकार को राजस्व की जरूरत है.

उमा भारती करती हैं दबाव की राजनीति

बोकिल का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती शराबबंदी को लेकर बयानबाजी करती रहती हैं. अपना महत्व बनाए रखने के लिए वो बयान देती रहती हैं. फिर भी अपने कुछ समर्थकों को पद दिलाए हैं. वो पहले भी दबाव बनाने की राजनीति करती रही हैं. वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक जानकार सजी थामस का कहना है कि मप्र में शराब के जरिए सरकार को काफी इनकम होती है, लिहाजा सरकार अपने खजाने को भरने के लिए नई शराब नीति लाई है. थामस का कहना है कि उमा भारती साध्वी हैं, उनके नजर से शराब खराब हो सकती है, लेकिन ये उनकी व्यक्तिगत राय है.

उमा भारती की शराबबंदी को लेकर बयानबाजी

  • उमा भारती ने 8 मार्च 2021 को महिला दिवस के दिन से प्रदेश में शराबबंदी अभियान शुरू करने की घोषणा की थी, लेकिन वह इस अभियान को प्रारंभ नहीं कर पाईं और उनकी यह घोषणा हवा में ही रह गई.
  • दोबारा उन्होंने 18 सितंबर 2021 को मीडिया के समक्ष यह घोषणा की थी कि वह मध्यप्रदेश में 15 जनवरी 2022 से शराबबंदी को लेकर अभियान चलाएंगी. लट्ठ लेकर सड़कों पर उतरेगी.

उमा भारती के इन समर्थकों को मिली नियुक्ति

भाजपा सरकार में उमा भारती के खास माने जाने वाले शैलेंद्र शर्मा और नरेंद्र बिरथरे को हाल ही निगम मंडल में नियुक्ती दी है. शैलेंद्र शर्मा को मप्र कौशल विकास और रोजगार निर्माण बोर्ड का चेयरमेन बनाया गया है, वहीं नरेंद्र बिरथरे को इसी बोर्ड में उपाध्यक्ष बनाकर राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया है. इससे पहले उमा भारती के खास समर्थक भोपाल के भगवानदास सबनानी को पार्टी संगठन में महामंत्री बनाया गया है.

शराब तस्करी पर बीजेपी-कांग्रेस आमने-सामने

सरकार के प्रवक्ता व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि कांग्रेस विधायक उमंग सिंघार ने शराब माफिया बताया था. कौन है मप्र का सबसे बड़ा शराब माफिया. ये जो शराब नीति पर ट्वीट कर रहे हैं, सबसे ज्यादा तकलीफ शराब नीति से उन्हीं लोगों को हो रही है, जो शराब माफियाओं के सरपरस्त हैं. शराब माफियाओं को संरक्षण देते हैं.

pressure politics on new liquor policy
एमपी में लिकर पर प्रेशर पालिटिक्स

शराब माफिया पर सरकार का नियंत्रण नहीं

कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा का कहना है कि प्रदेश में जहरीली शराब किस पैमाने पर मिल रही है. आबकारी मंत्री के गृह जिले में शराब से मौतें हुईं. इंदौर, उज्जैन, मुरैना, भिंड के साथ ही प्रदेश के कई हिस्सों में जहरीली शराब से मौतें हो चुकी हैं. मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि अवैध शराब रोकने के लिए शराब सस्ती की गई है. प्रदेश को शराब के दलदल में धकेलना चाहते हैं. पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम नहीं की जा रही हैं, लेकिन प्रदेश में शराब सस्ती की गई है. मप्र में शिवराज सरकार का शराब माफियाओं पर कोई नियंत्रण नहीं है.

भोपाल। मध्यप्रदेश में शराब नीति पर राजनीति गर्माई हुई है. पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के शराबबंदी अभियान को लेकर अंदरखाने चर्चा ये है कि उन्होंने सरकार पर दबाव बनाने के लिए यह चेतावनी दी थी तो दूसरी तरफ सरकार नई शराब नीति लाकर प्रदेश में शराब सस्ती कर दी है. इस पर कांग्रेस मुखर हो गई है और जनजागरण अभियान शुरु करने की तैयारी में है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस और बीजेपी के धड़े शराब नीति को लेकर सरकार को घेरने में लगे हैं, लेकिन सरकार के पास खजाना भरने के लिए शराब ही एक अच्छा विकल्प बचा है.

pressure politics on new liquor policy
एमपी में लिकर पर प्रेशर पालिटिक्स

मंत्री प्रद्युम्न सिंह की नसीहत लोगों को खुद छोड़नी होगी शराब, बोले हम तो बेचेंगे

खाली खजाना भरने के लिए लाई नई शराब नीति

राजनीतिक जानकार व वरिष्ठ पत्रकार अजय बोकिल का कहना है कि जो भी विपक्ष में रहता है, वो तो आलोचना करता ही है. बीजेपी के लोगों ने भी जब कमलनाथ सरकार के दौरान शराब नीति आई थी तो विरोध किया था. शिवराज सरकार नई शराब नीति लाकर सस्ती शराब बेचकर प्रदेश की खस्ता आर्थिक हालत को सुधारना (pressure politics on new liquor policy) चाहती है. शराब की बिक्री से सीधा कैश पैसा आता है. खजाना भरने के लिए शराब को सस्ता किया जा रहा है. सरकार को राजस्व की जरूरत है.

उमा भारती करती हैं दबाव की राजनीति

बोकिल का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती शराबबंदी को लेकर बयानबाजी करती रहती हैं. अपना महत्व बनाए रखने के लिए वो बयान देती रहती हैं. फिर भी अपने कुछ समर्थकों को पद दिलाए हैं. वो पहले भी दबाव बनाने की राजनीति करती रही हैं. वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक जानकार सजी थामस का कहना है कि मप्र में शराब के जरिए सरकार को काफी इनकम होती है, लिहाजा सरकार अपने खजाने को भरने के लिए नई शराब नीति लाई है. थामस का कहना है कि उमा भारती साध्वी हैं, उनके नजर से शराब खराब हो सकती है, लेकिन ये उनकी व्यक्तिगत राय है.

उमा भारती की शराबबंदी को लेकर बयानबाजी

  • उमा भारती ने 8 मार्च 2021 को महिला दिवस के दिन से प्रदेश में शराबबंदी अभियान शुरू करने की घोषणा की थी, लेकिन वह इस अभियान को प्रारंभ नहीं कर पाईं और उनकी यह घोषणा हवा में ही रह गई.
  • दोबारा उन्होंने 18 सितंबर 2021 को मीडिया के समक्ष यह घोषणा की थी कि वह मध्यप्रदेश में 15 जनवरी 2022 से शराबबंदी को लेकर अभियान चलाएंगी. लट्ठ लेकर सड़कों पर उतरेगी.

उमा भारती के इन समर्थकों को मिली नियुक्ति

भाजपा सरकार में उमा भारती के खास माने जाने वाले शैलेंद्र शर्मा और नरेंद्र बिरथरे को हाल ही निगम मंडल में नियुक्ती दी है. शैलेंद्र शर्मा को मप्र कौशल विकास और रोजगार निर्माण बोर्ड का चेयरमेन बनाया गया है, वहीं नरेंद्र बिरथरे को इसी बोर्ड में उपाध्यक्ष बनाकर राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया है. इससे पहले उमा भारती के खास समर्थक भोपाल के भगवानदास सबनानी को पार्टी संगठन में महामंत्री बनाया गया है.

शराब तस्करी पर बीजेपी-कांग्रेस आमने-सामने

सरकार के प्रवक्ता व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि कांग्रेस विधायक उमंग सिंघार ने शराब माफिया बताया था. कौन है मप्र का सबसे बड़ा शराब माफिया. ये जो शराब नीति पर ट्वीट कर रहे हैं, सबसे ज्यादा तकलीफ शराब नीति से उन्हीं लोगों को हो रही है, जो शराब माफियाओं के सरपरस्त हैं. शराब माफियाओं को संरक्षण देते हैं.

pressure politics on new liquor policy
एमपी में लिकर पर प्रेशर पालिटिक्स

शराब माफिया पर सरकार का नियंत्रण नहीं

कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा का कहना है कि प्रदेश में जहरीली शराब किस पैमाने पर मिल रही है. आबकारी मंत्री के गृह जिले में शराब से मौतें हुईं. इंदौर, उज्जैन, मुरैना, भिंड के साथ ही प्रदेश के कई हिस्सों में जहरीली शराब से मौतें हो चुकी हैं. मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि अवैध शराब रोकने के लिए शराब सस्ती की गई है. प्रदेश को शराब के दलदल में धकेलना चाहते हैं. पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम नहीं की जा रही हैं, लेकिन प्रदेश में शराब सस्ती की गई है. मप्र में शिवराज सरकार का शराब माफियाओं पर कोई नियंत्रण नहीं है.

Last Updated : Jan 20, 2022, 9:11 PM IST
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