ETV Bharat / state

MP उपचुनाव: 28 में से 9 सीटें ऐसी, जिन पर दल बदल करने वाले नेता ही बनेंगे विधायक

मध्यप्रदेश में होने वाले उपचुनाव के हालात तब बने जब नेताओं ने दल बदल कर लिया. जिसके बाद 28 में से 9 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां दल बदलने वाला नेता ही विधायक बनेगा.

bhopal
शिवराज-कमलनाथ
author img

By

Published : Oct 21, 2020, 8:58 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश की सियासत में इन दिनों गद्दारी की खूब चर्चा हो रही है. कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में शामिल होने वाले 25 प्रत्याशियों को कांग्रेस गद्दार बता रही है, लेकिन दूसरी तरफ उपचुनाव जीतने के लिए कांग्रेस ने भी दलबदल का दांव खेला और बीजेपी-बीएसपी से आए प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है. इन स्थितियों में हालात ऐसे बने हैं कि 28 विधानसभा में से 9 विधानसभा पर जिस प्रत्याशी की जीत होगी, वो दलबदल करने वाला मतलब दल बदलू होगा. इन सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने दल बदल कर पार्टी में शामिल हुए लोगों को टिकट दिए हैं. कुल मिलाकर वो दल बदल के लिए जाना जाएगा.

मध्यप्रदेश में दल बदल का उपचुनाव

मध्यप्रदेश में उपचुनाव के हालात तब बने जब कांग्रेस के सिंधिया समर्थक 22 विधायकों ने बगावत कर बीजेपी का दामन थाम लिया. कांग्रेस की सरकार गिरा दी. ये सिलसिला यहीं नहीं रुका और कांग्रेस के तीन और विधायक बीजेपी तोड़ने में कामयाब रही. इन परिस्थितियों में कांग्रेस के 25 विधायकों ने अपना दल छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले ली.

  • इन परिस्थितियों में 9 सीटें हैं, जिन पर कोई भी जीते, लेकिन विधायक दल बदल करने वाला होगा.
  • ये सीटें हैं मुरैना जिले की सुमावली और अंबाह, ग्वालियर जिले की ग्वालियर पूर्व और डबरा, दतिया जिले की भांडेर, शिवपुरी की करैरा, गुना जिले की बमोरी, सागर की सुरखी और इंदौर की सांवेर.
  • इन परिस्थितियों में देखें तो बीजेपी ने जहां कांग्रेस से आए 25 नेताओं को टिकट दिया है, तो कांग्रेस ने बीजेपी से आए 6, बीएसपी से आए 2 और बहुजन संघर्ष दल से आए 1 नेता को टिकट दिया है.

सुमावली सीट- भाजपा ने कांग्रेस से आए एदल सिंह कंसाना को प्रत्याशी बनाया है, तो उनके मुकाबले कांग्रेस ने बीजेपी से आए अजब सिंह कुशवाहा को मैदान में उतारा है.

अंबाह सीट- मुरैना जिले की अंबाह सीट से बीजेपी ने कांग्रेस से आए कमलेश जाटव को टिकट दिया है, तो कांग्रेस ने बीएसपी से आए सत्यप्रकाश सकवार को मैदान में उतारा है

ग्वालियर पूर्व- बीजेपी ने कांग्रेस से आए मुन्नालाल गोयल को प्रत्याशी बनाया है, तो कांग्रेस ने बीजेपी से आए सतीश सिकरवार को टिकट दिया है.

डबरा सीट- कांग्रेस से बीजेपी में आईं इमरती देवी को भाजपा ने टिकट दिया है, तो कांग्रेस ने बीजेपी से आए सुरेश राजे को प्रत्याशी बनाया है.

भांडेर सीट- बीजेपी ने कांग्रेस से आईं रक्षा सनोरिया को प्रत्याशी बनाया है, तो कांग्रेस ने बहुजन संघर्ष दल का कांग्रेस में विलय करने वाले फूल सिंह बरैया को टिकट दिया है. यहां बीएसपी से चुनाव लड़ रहे महेंद्र बौद्ध कांग्रेस छोड़कर बीएसपी में गए हैं.

बमोरी सीट- गुना जिले की बमोरी विधानसभा सीट से बीजेपी ने कांग्रेस से बगावत करने वाले महेंद्र सिंह सिसौदिया को टिकट दिया है, तो कांग्रेस ने बीजेपी से आए कन्हैया लाल अग्रवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है.

सुरखी सीट- कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए, गोविंद सिंह राजपूत को टिकट दिया है, तो कांग्रेस ने बीजेपी से आईं पारुल साहू को मैदान में उतारा है.

सांवेर सीट- बीजेपी ने कांग्रेस से आए तुलसी सिलावट को मैदान में उतारा है, तो कांग्रेस में बीजेपी से आए प्रेमचंद गुड्डू को प्रत्याशी बनाया है.

करैरा सीट- शिवपुरी जिले के करैरा सीट पर बीजेपी ने कांग्रेस से आए जसवंत जाटव को उम्मीदवार बनाया है, तो कांग्रेस ने बीएसपी से आए प्रागीलाल जाटव को टिकट दिया है.

कांग्रेस ने बोला दो तरह के होते हैं दलबदलू-

मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि दलबदलू दो तरह के आज चुनाव मैदान में हैं. एक वो लोग हैं, जो गद्दार हैं. जिन्होंने बंगलों में बैठ कर सौदे किए. जिन्होंने लोकमत को बेचा और धनमत के आधार पर बहुमत बनाया. ऐसे लोग आज चुनाव में सामने हैं. जनता उनके खिलाफ कमर कसे हुए है और जनता उनको सबक सिखाना चाहती है. जनता उन्हें नेस्तनाबूद कर देगी. दूसरी तरफ ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने स्वेच्छा से अपने विचारों को परिवर्तित कर दल छोड़े हैं, वो किसी प्रलोभन में नहीं आए. वो इस उद्देश्य भी नहीं आए कि वो चुनाव जीत जाएंगे या घर जाएंगे. ये तो सर्वे और लोकप्रियता के आधार पर टिकट दी गई हैं. उन्होंने पहले ही पार्टी की सदस्यता ले ली थी, तो इसमें दिक्कत की कोई बात नहीं है. उपचुनाव जीतकर आएंगे, जनता उन्हें आशीर्वाद देगी और गद्दारों को नेस्तनाबूद कर देगी.

बीजेपी ने किया बागी विधायकों का समर्थन-

भाजपा प्रवक्ता दुर्गेश केसवानी कहते हैं कि जो भी विधायक भाजपा में शामिल हुए हैं, वो भाजपा की विचारधारा को समझकर शामिल हुए हैं. मोदी जी का मूल मंत्र है कि सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास. यही देखकर उन्होंने भाजपा ज्वाइन की है. निश्चित रूप से आप देखेंगे कि 15 महीने की सरकार में प्रदेश को 15 साल पीछे धकेल दिया. जिस तरह से त्राहि-त्राहि और जनता परेशान थी. इसी चिंता को लेकर वो बीजेपी में शामिल हुए हैं. प्रदेश में बीजेपी की सरकार से मध्य प्रदेश में विकास के नए आयाम स्थापित होंगे.

दल बदल पर मध्यप्रदेश का उपचुनाव-

वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र सिंह कहते हैं कि ये उपचुनाव भी पूरा दल बदल का है. 28 में से 25 लोग दलबदल करके आए हैं, क्योंकि बड़े पैमाने पर दलबदल है, इसलिए कह सकते हैं कि विधायक के स्तर पर कांग्रेस में फूट आई है. दलबदल एक आम शब्द है. इसे गहराई से देखेंगे तो एक कांग्रेसी विधायक दल की फूट है. इसको दो तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं. कांग्रेस इसे दल बदल के रूप में इस्तेमाल करेगी. बीजेपी कहेगी कि सरकार के खिलाफ जो असंतोष था, जो सिंधिया के लोगों ने उजागर किया और मुझे लगता है कि दल बदल के साथ मध्य प्रदेश कांग्रेस के अंदर फूट हुई है. यs शब्द अधिक उपयुक्त होगा.

भोपाल। मध्यप्रदेश की सियासत में इन दिनों गद्दारी की खूब चर्चा हो रही है. कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में शामिल होने वाले 25 प्रत्याशियों को कांग्रेस गद्दार बता रही है, लेकिन दूसरी तरफ उपचुनाव जीतने के लिए कांग्रेस ने भी दलबदल का दांव खेला और बीजेपी-बीएसपी से आए प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है. इन स्थितियों में हालात ऐसे बने हैं कि 28 विधानसभा में से 9 विधानसभा पर जिस प्रत्याशी की जीत होगी, वो दलबदल करने वाला मतलब दल बदलू होगा. इन सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने दल बदल कर पार्टी में शामिल हुए लोगों को टिकट दिए हैं. कुल मिलाकर वो दल बदल के लिए जाना जाएगा.

मध्यप्रदेश में दल बदल का उपचुनाव

मध्यप्रदेश में उपचुनाव के हालात तब बने जब कांग्रेस के सिंधिया समर्थक 22 विधायकों ने बगावत कर बीजेपी का दामन थाम लिया. कांग्रेस की सरकार गिरा दी. ये सिलसिला यहीं नहीं रुका और कांग्रेस के तीन और विधायक बीजेपी तोड़ने में कामयाब रही. इन परिस्थितियों में कांग्रेस के 25 विधायकों ने अपना दल छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले ली.

  • इन परिस्थितियों में 9 सीटें हैं, जिन पर कोई भी जीते, लेकिन विधायक दल बदल करने वाला होगा.
  • ये सीटें हैं मुरैना जिले की सुमावली और अंबाह, ग्वालियर जिले की ग्वालियर पूर्व और डबरा, दतिया जिले की भांडेर, शिवपुरी की करैरा, गुना जिले की बमोरी, सागर की सुरखी और इंदौर की सांवेर.
  • इन परिस्थितियों में देखें तो बीजेपी ने जहां कांग्रेस से आए 25 नेताओं को टिकट दिया है, तो कांग्रेस ने बीजेपी से आए 6, बीएसपी से आए 2 और बहुजन संघर्ष दल से आए 1 नेता को टिकट दिया है.

सुमावली सीट- भाजपा ने कांग्रेस से आए एदल सिंह कंसाना को प्रत्याशी बनाया है, तो उनके मुकाबले कांग्रेस ने बीजेपी से आए अजब सिंह कुशवाहा को मैदान में उतारा है.

अंबाह सीट- मुरैना जिले की अंबाह सीट से बीजेपी ने कांग्रेस से आए कमलेश जाटव को टिकट दिया है, तो कांग्रेस ने बीएसपी से आए सत्यप्रकाश सकवार को मैदान में उतारा है

ग्वालियर पूर्व- बीजेपी ने कांग्रेस से आए मुन्नालाल गोयल को प्रत्याशी बनाया है, तो कांग्रेस ने बीजेपी से आए सतीश सिकरवार को टिकट दिया है.

डबरा सीट- कांग्रेस से बीजेपी में आईं इमरती देवी को भाजपा ने टिकट दिया है, तो कांग्रेस ने बीजेपी से आए सुरेश राजे को प्रत्याशी बनाया है.

भांडेर सीट- बीजेपी ने कांग्रेस से आईं रक्षा सनोरिया को प्रत्याशी बनाया है, तो कांग्रेस ने बहुजन संघर्ष दल का कांग्रेस में विलय करने वाले फूल सिंह बरैया को टिकट दिया है. यहां बीएसपी से चुनाव लड़ रहे महेंद्र बौद्ध कांग्रेस छोड़कर बीएसपी में गए हैं.

बमोरी सीट- गुना जिले की बमोरी विधानसभा सीट से बीजेपी ने कांग्रेस से बगावत करने वाले महेंद्र सिंह सिसौदिया को टिकट दिया है, तो कांग्रेस ने बीजेपी से आए कन्हैया लाल अग्रवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है.

सुरखी सीट- कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए, गोविंद सिंह राजपूत को टिकट दिया है, तो कांग्रेस ने बीजेपी से आईं पारुल साहू को मैदान में उतारा है.

सांवेर सीट- बीजेपी ने कांग्रेस से आए तुलसी सिलावट को मैदान में उतारा है, तो कांग्रेस में बीजेपी से आए प्रेमचंद गुड्डू को प्रत्याशी बनाया है.

करैरा सीट- शिवपुरी जिले के करैरा सीट पर बीजेपी ने कांग्रेस से आए जसवंत जाटव को उम्मीदवार बनाया है, तो कांग्रेस ने बीएसपी से आए प्रागीलाल जाटव को टिकट दिया है.

कांग्रेस ने बोला दो तरह के होते हैं दलबदलू-

मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि दलबदलू दो तरह के आज चुनाव मैदान में हैं. एक वो लोग हैं, जो गद्दार हैं. जिन्होंने बंगलों में बैठ कर सौदे किए. जिन्होंने लोकमत को बेचा और धनमत के आधार पर बहुमत बनाया. ऐसे लोग आज चुनाव में सामने हैं. जनता उनके खिलाफ कमर कसे हुए है और जनता उनको सबक सिखाना चाहती है. जनता उन्हें नेस्तनाबूद कर देगी. दूसरी तरफ ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने स्वेच्छा से अपने विचारों को परिवर्तित कर दल छोड़े हैं, वो किसी प्रलोभन में नहीं आए. वो इस उद्देश्य भी नहीं आए कि वो चुनाव जीत जाएंगे या घर जाएंगे. ये तो सर्वे और लोकप्रियता के आधार पर टिकट दी गई हैं. उन्होंने पहले ही पार्टी की सदस्यता ले ली थी, तो इसमें दिक्कत की कोई बात नहीं है. उपचुनाव जीतकर आएंगे, जनता उन्हें आशीर्वाद देगी और गद्दारों को नेस्तनाबूद कर देगी.

बीजेपी ने किया बागी विधायकों का समर्थन-

भाजपा प्रवक्ता दुर्गेश केसवानी कहते हैं कि जो भी विधायक भाजपा में शामिल हुए हैं, वो भाजपा की विचारधारा को समझकर शामिल हुए हैं. मोदी जी का मूल मंत्र है कि सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास. यही देखकर उन्होंने भाजपा ज्वाइन की है. निश्चित रूप से आप देखेंगे कि 15 महीने की सरकार में प्रदेश को 15 साल पीछे धकेल दिया. जिस तरह से त्राहि-त्राहि और जनता परेशान थी. इसी चिंता को लेकर वो बीजेपी में शामिल हुए हैं. प्रदेश में बीजेपी की सरकार से मध्य प्रदेश में विकास के नए आयाम स्थापित होंगे.

दल बदल पर मध्यप्रदेश का उपचुनाव-

वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र सिंह कहते हैं कि ये उपचुनाव भी पूरा दल बदल का है. 28 में से 25 लोग दलबदल करके आए हैं, क्योंकि बड़े पैमाने पर दलबदल है, इसलिए कह सकते हैं कि विधायक के स्तर पर कांग्रेस में फूट आई है. दलबदल एक आम शब्द है. इसे गहराई से देखेंगे तो एक कांग्रेसी विधायक दल की फूट है. इसको दो तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं. कांग्रेस इसे दल बदल के रूप में इस्तेमाल करेगी. बीजेपी कहेगी कि सरकार के खिलाफ जो असंतोष था, जो सिंधिया के लोगों ने उजागर किया और मुझे लगता है कि दल बदल के साथ मध्य प्रदेश कांग्रेस के अंदर फूट हुई है. यs शब्द अधिक उपयुक्त होगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.