भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने महापौर चयन पर अपना फैसला बदल दिया है. तीसरी लहर की चेतावनी को देखते हुए शिवराज सरकार अब महापौर का चयन अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराएगी. यानी महापौर को अब सीधे पार्षद चुन सकेंगे. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि प्रदेश तीसरी लहर का आना तय है. इसी वजह से सबसे बड़ी प्राथमिकता तीसरी लहर से निपटना है. इसी वजह से यह फैसला सरकार ने लिया है.
अप्रत्यक्ष प्रणाली से ही होगा मेयर का चुनाव
अभी तक शिवराज सरकार महापौर, जिला पंचायत और जनपद पंचायत अध्यक्षों का चुनाव वोटिंग यानी की प्रत्यक्ष प्रणाली से करवाती थी. लेकिन कमलनाथ सरकार ने साल 2019 में यह फैसला बदल दिया था. एमपी में जब बीजेपी फिर से सत्ता में आई, तो शिवराज सरकार ने फिर से अपने पुराने निर्णय के लिए अध्यादेश लाने का मन बना लिया था. कैबिनेट की बैठक में पिछले दिनों इस प्रस्ताव को हरी झंडी भी मिल गई थी. इसे अध्यादेश के जरिए लागू किया जाना था लेकिन विधानसभा सत्र की अधिसूचना जारी हो चुकी है. अब सरकार का मानना है कि वह अध्यादेश नहीं लाएगी बल्कि अप्रत्यक्ष प्रणाली से ही महापौर का चुनाव कराएगी.
एमपी में नगरीय निकाय के बाद होंगे पंचायत चुनाव, राज्य निर्वाचन आयोग ने लिया फैसला
मानसून के बाद होंगे पंचायत चुनाव
सरकार की मंशा है कि मानसून के बाद निकाय चुनाव और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव करवाए जाए. लेकिन यदि तीसरी लहर आती है, तो फिर से चुनाव टाले जा सकते हैं. इधर राज्य निर्वाचन आयोग ने निकाय चुनाव दो और पंचायत के चुनाव तीन चरणों में कराने का फैसला लिया है. इस हिसाब से यह माना जा रहा है कि पंचायत चुनाव सर्दियों में हो सकते हैं.
कमलनाथ सरकार ने बदला था नियम
मध्य प्रदेश में इससे पहले पिछले दो दशकों से मेयर को सीधे जनता चुनकर भेजती थी. 2019 में कमलनाथ सरकार ने इस फैसले को बदलते हुए मेयर के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का फैसला लिया था. इस दौरान बीजेपी ने कमलनाथ सरकार के फैसले का जमकर विरोध भी किया था. बीजेपी ने सत्ता में आकर इस फैसले को पलटने की कोशिश भी की लेकिन अब अचानक से सरकार ने फैसला पलटने से यू-टर्न लेते हुए मेयर का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से करवाने का फैसला लिया है.