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14 सालों में तीन करोड़ लोगों ने किया RTI का उपयोग, पाचवें स्थान पर मध्यप्रदेश

देश में आरटीआई लागू हुए 14 साल हो गए है.लेकिन अभी तक सिर्फ लगभग 3 करोड़ लोगों ने इसका उपयोग किया है

आरटीआई का उपयोग करने में पांचवें नंबर पर मध्यप्रदेश
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Published : Oct 12, 2019, 6:13 PM IST

भोपाल। शासन और प्रशासन में भ्रष्टाचार के खिलाफ और पारदर्शिता को लेकर लंबे संघर्ष के बाद 2005 में यूपीए सरकार के समय पर आरटीआई एक्ट लागू हुआ था. लेकिन लोगों की जागरुकता के कमी के कारण 14 साल में सिर्फ 3 करोड़ लोगों ने ही आरटीआई एक्ट का उपयोग किया.

आरटीआई का उपयोग करने में पांचवें नंबर पर मध्यप्रदेश

आरटीआई सूचना के मामले में देश में मध्यप्रदेश का स्थान 15वें नम्बर पर रहा. जहां इन 14 वर्ष में लगभग 1 लाख से आवेदन पहुंचे है. देश के बहुत सारे राज्यों में ऑनलाइन पोर्टल के जरिए आरटीआई के संचालन होता है. लेकिन प्रदेश में यह व्यवस्था अभी लागू नहीं हुई है.

भोपाल। शासन और प्रशासन में भ्रष्टाचार के खिलाफ और पारदर्शिता को लेकर लंबे संघर्ष के बाद 2005 में यूपीए सरकार के समय पर आरटीआई एक्ट लागू हुआ था. लेकिन लोगों की जागरुकता के कमी के कारण 14 साल में सिर्फ 3 करोड़ लोगों ने ही आरटीआई एक्ट का उपयोग किया.

आरटीआई का उपयोग करने में पांचवें नंबर पर मध्यप्रदेश

आरटीआई सूचना के मामले में देश में मध्यप्रदेश का स्थान 15वें नम्बर पर रहा. जहां इन 14 वर्ष में लगभग 1 लाख से आवेदन पहुंचे है. देश के बहुत सारे राज्यों में ऑनलाइन पोर्टल के जरिए आरटीआई के संचालन होता है. लेकिन प्रदेश में यह व्यवस्था अभी लागू नहीं हुई है.

Intro:भोपाल।शासन और प्रशासन में भ्रष्टाचार के खिलाफ और पारदर्शिता को लेकर लंबे संघर्ष के बाद 2005 में यूपीए सरकार के समय पर आरटीआई एक्ट लागू हुआ था।आज आरटीआई एक्ट 14 साल का हो चुका है। लेकिन इन 14 सालों में आरटीआई एक्ट वह मुकाम हासिल नहीं कर सका, जिसके लिए लोगों ने लंबी लड़ाई लड़ी थी। आज हालात यह है कि 14 साल के बाद देश की महज 2.25 फीसदी आबादी यानी करीब 3 करोड लोगों ने आरटीआई एक्ट का उपयोग किया है।भारत मे मध्यप्रदेश 15 वे नंबर पर है। जहाँ पिछले 14 वर्ष में 1,84,112 सूचना का अधिकार के आवेदन सरकारी कार्यालयों में प्रस्तुत हुए।मध्यप्रदेश में सरकारी धन से चलने वाले और सरकारी जमीन को सस्ते दर पर लेने वाले एक भी गैर सरकारी संगठन NGO में सूचना का अधिकार लागू नही हुआ।Body:आरटीआई एक्ट के कुछ अनछुए पहलू

- सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के संघर्षपूर्ण 14 साल पूरे हो चुके हैं। भारत में पिछले 14 सालों में करीब 3 करोड़ लोगों ने जो कुल आबादी का 2.25 फ़ीसदी है, ने सूचना के अधिकार का उपयोग किया है।

- देश के समस्त सूचना आयोगों से 21,32,763 अपीलोंं और शिकायतों को दर्ज कराया गया है।

- भारत मे मध्यप्रदेश 15 वे नंबर पर है।जहाँ पिछले 14 वर्ष में 1,84,112 सूचना का अधिकार के आवेदन सरकारी कार्यालयों में प्रस्तुत हुए।

- डिजिटल इंडिया के तहत सरकारों को आरटीआई के लिए ऑनलाइन और की व्यवस्था करना चाहिए। लेकिन मध्यप्रदेश में अभी तक यह व्यवस्था नहीं है।

- राजस्थान सरकार ने ऑनलाइन पोर्टल के जरिए आरटीआई के संचालन की व्यवस्था की है।भारत सरकार, महाराष्ट्र और दिल्ली सरकार पहले से ही आरटीआई के ऑनलाइन पोर्टल संचालित कर रहे हैं।

- मप्र में 2016 में कर्मचारियों को आरटीआई के ऑनलाइन परिचालन का प्रशिक्षण दिया गया था। लेकिन व्यवस्था अभी तक शुरू नहीं हो पाई है।

- सूचना आयुक्तों की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश के बाद राजनीति दखल के कारण योग्यता दरकिनार हो रही है। देश में 155 सूचना आयुक्तों में सिर्फ 7 महिलाएं हैं। जो स्पष्ट तौर पर आधी आबादी से अन्याय है।

- मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने अपनी वेबसाइट पर ही घोषणा कर दी है कि चयन प्रक्रिया के आवेदनों के पूर्ण होने पर आरटीआई के तहत जानकारी नहीं दी जाएगी।

- मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में तो आरटीआई के तहत जानकारी मांगने पर कारण भी पूछा जाता है।

- मध्यप्रदेश में सरकारी धन से चलने वाले और सरकारी जमीन को सस्ते दर पर लेने वाले एक भी गैर सरकारी संगठन NGO में सूचना का अधिकार लागू नही हुआ।Conclusion:मध्यप्रदेश में सूचना के अधिकार की स्थिति को लेकर जाने-माने आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि सूचना के अधिकार कानून में आज 14 साल पूरे कर लिए हैं। इस अवसर पर ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया की तरफ से हमने रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में भारत में आरटीआई की गंभीर स्थिति सामने आई है। भारत की 2 फ़ीसदी आबादी करीब 3 करोड जनता ने आरटीआई एक्ट का उपयोग किया है।मध्यप्रदेश में सूचना के अधिकार की स्थिति दयनीय है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा आईटीआई का उपयोग हुआ है ।लेकिन देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश में बहुत कम आबादी ने आरटीआई का उपयोग किया है।बहुत कम ही लोग सूचना के अधिकार के तहत जानकारी ना मिलने पर सूचना आयोग की दहलीज पर जाते हैं। सूचना आयोग की वेबसाइट काम नहीं कर रही है।जिससे जनता को आदेश मिल सके या सुनवाई की जानकारी मिल सके ।सूचना आयोग ने पिछले 5 सालों में विधानसभा में अपना वार्षिक प्रतिवेदन भी पेश नहीं किया है ।जनता को जागरूक करने के लिए सरकार ने ना के बराबर प्रयास किए हैं।
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