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झंझट बन रही ऑनलाइन क्लास, स्क्रीन के सामने घंटों बैठने से बढ़ रहा चश्मे का नंबर - Online class became a mess for students

बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से ही पढ़ाई कर रहे हैं. जिसके चलते छात्रों का आधा समय मोबाइल पर बीत रहा है, वहीं शिक्षकों को आठ से नौ घंटे मोबाइल पर बिताने पड़ रहे हैं. शिक्षक पहले छात्रों को कक्षाएं देते हैं, फिर खुद प्रशिक्षण लेते हैं, अब हालात यह हैं कि शिक्षक और छात्रों की आंखों का नंबर तेजी से बढ़ रहा है.

Online class
ऑनलाइन कक्षा
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Published : Nov 5, 2020, 8:44 PM IST

भोपाल। कोरोना संक्रमण के चलते लगभग छह माह से स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं लगाई जा रही हैं. प्रदेश के स्कूल अब तक पूरी तरह से नहीं खुले हैं. बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से ही पढ़ाई कर रहे हैं. ऑनलाइन कक्षाओं के अलावा दूरदर्शन और व्हाट्सअप पर पीडीएफ फाइल के जरिए से छात्रों को शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है, जिसके चलते छात्रों का आधा समय मोबाइल पर बीत रहा है. शिक्षकों को भी 8 से 9 घंटे मोबाइल पर बिताने पड़ रहे हैं. शिक्षक पहले छात्रों को कक्षाएं देते हैं, फिर खुद प्रशिक्षण लेते हैं अब हालात यह है कि शिक्षक और छात्रों के आंखों का नंबर तेजी से बढ़ रहा है.

ऑनलाइन क्लास बन रही झंझट

ऑनलाइन कक्षाओं से ऊबे छात्र और शिक्षक

प्रदेश के शासकीय स्कूल 21 सितंबर से खुल चुके हैं. स्कूलों को डॉट क्लास के लिए खोला गया था, लेकिन अब स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति धीरे-धीरे बढ़ रही है. बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं को छोड़कर स्कूल आना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. प्रदेश के निजी स्कूल अब तक नहीं खुले हैं. ऐसे में छात्र 6 माह से लगातार ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं. ऐसे में न केवल छात्र बल्कि शिक्षकों की हेल्थ पर भी इसका गहरा असर हो रहा है. कोरोना काल में कई शिक्षक और छात्रों के चश्मे के नंबर भी बढ़ गए हैं. कई छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं के चलते ही चश्मे लग गए हैं.

शिक्षकों की ऑनलाइन कक्षाओं से समास्याएं

प्रदेश के शासकीय स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का कहना है कि ऑनलाइन कक्षाओं से छात्रों को पढ़ाना उनकी मजबूरी है, क्योंकि अगर इस माध्यम से भी बच्चे नहीं पढ़ेंगे तो बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाएंगे. लेकिन विभाग के जो आदेश है उनका पालन करना मुश्किल हो जाता है. शिक्षकों ने बताया छात्रों को अलग-अलग कक्षाओं के लिए 7 से 8 घंटे मोबाइल पर व्यतीत करने पड़ते है. वहीं विभाग द्वारा चलाया जा रहा निष्ठा प्रशिक्षक कार्यक्रम, जिसमें शिक्षकों को 'दीक्षा एप' के माध्यम से हर दिन 2 से 3 घण्टे देने पड़ते हैं. ऐसे में सर दर्द, स्ट्रेस, आंखों में जलन जैसी समास्याए आ रही है.

छात्रों की समास्याएं

ऑनलाइन कक्षाओं में पढ़ने वाले छात्रों का कहना है कि ऑनलाइन कक्षाओं में पढ़ने से लगातार मोबाइल के सामने बैठने से आंखों में जलन और सर दर्द की समास्याएं होती है. इस वजह से कई बार कक्षा में बैठने का मन भी नहीं करता है. बच्चों का कहना है कि कक्षाओं में फिर भी बैठकर सुन लेते हैं, जो छूट जाता है उसे पीडीएफ के माध्यम से कवर कर लेते हैं, लेकिन अब जो परीक्षाएं ऑनलाइन हो रही है. उसमें छोटी-छोटी चीजों पर फोकस करना पड़ता है. गंभीरता से क्लास लेनी पड़ती है ऐसे में मोबाइल से अब इरीटेशन होने लगा है, कई छात्र ऐसे भी है जिनका ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान आंखों का इलाज हुआ और अब चश्मा लग गया है.

आंखों के डॉक्टर की सलाह

मोबाइल में पढ़ना और पढ़ाना शिक्षकों और छात्रों दोनों की मजबूरी है, लेकिन कुछ सावधानियों के साथ इससे बचा जा सकता है. डॉक्टर केके अग्रवाल बताते हैं कि जब आप मोबाइल पर पढ़ाई कर रहे हैं तो मोबाइल को एक फिट दूरी पर रखें और मोबाइल की ब्राइटनेस कम से कम रखें. उन्होंने बताया कि नॉर्मली हमारी पलकें ब्लिंक करती हैं और जब मोबाइल देखते हैं तब वो मोबाइल पर फोकस रहती हैं और ब्लिंक नहीं करती हैं, इस वजह से आंखों में जलन, दर्द, स्ट्रेस जैसी समास्याएं आती हैं. इससे बचने के लिए सावधानी बरतना जरूरी है. डॉक्टर केके अग्रवाल ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उनके पास बच्चो की आंखों की समास्या वाले केस आए हैं, जो पहले संख्या थी वो बढ़ 40 प्रतिशत से ज्यादा हो गई है, हर दिन 10 से 15 बच्चे इलाज के लिए आते हैं.

भोपाल। कोरोना संक्रमण के चलते लगभग छह माह से स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं लगाई जा रही हैं. प्रदेश के स्कूल अब तक पूरी तरह से नहीं खुले हैं. बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से ही पढ़ाई कर रहे हैं. ऑनलाइन कक्षाओं के अलावा दूरदर्शन और व्हाट्सअप पर पीडीएफ फाइल के जरिए से छात्रों को शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है, जिसके चलते छात्रों का आधा समय मोबाइल पर बीत रहा है. शिक्षकों को भी 8 से 9 घंटे मोबाइल पर बिताने पड़ रहे हैं. शिक्षक पहले छात्रों को कक्षाएं देते हैं, फिर खुद प्रशिक्षण लेते हैं अब हालात यह है कि शिक्षक और छात्रों के आंखों का नंबर तेजी से बढ़ रहा है.

ऑनलाइन क्लास बन रही झंझट

ऑनलाइन कक्षाओं से ऊबे छात्र और शिक्षक

प्रदेश के शासकीय स्कूल 21 सितंबर से खुल चुके हैं. स्कूलों को डॉट क्लास के लिए खोला गया था, लेकिन अब स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति धीरे-धीरे बढ़ रही है. बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं को छोड़कर स्कूल आना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. प्रदेश के निजी स्कूल अब तक नहीं खुले हैं. ऐसे में छात्र 6 माह से लगातार ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं. ऐसे में न केवल छात्र बल्कि शिक्षकों की हेल्थ पर भी इसका गहरा असर हो रहा है. कोरोना काल में कई शिक्षक और छात्रों के चश्मे के नंबर भी बढ़ गए हैं. कई छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं के चलते ही चश्मे लग गए हैं.

शिक्षकों की ऑनलाइन कक्षाओं से समास्याएं

प्रदेश के शासकीय स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का कहना है कि ऑनलाइन कक्षाओं से छात्रों को पढ़ाना उनकी मजबूरी है, क्योंकि अगर इस माध्यम से भी बच्चे नहीं पढ़ेंगे तो बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाएंगे. लेकिन विभाग के जो आदेश है उनका पालन करना मुश्किल हो जाता है. शिक्षकों ने बताया छात्रों को अलग-अलग कक्षाओं के लिए 7 से 8 घंटे मोबाइल पर व्यतीत करने पड़ते है. वहीं विभाग द्वारा चलाया जा रहा निष्ठा प्रशिक्षक कार्यक्रम, जिसमें शिक्षकों को 'दीक्षा एप' के माध्यम से हर दिन 2 से 3 घण्टे देने पड़ते हैं. ऐसे में सर दर्द, स्ट्रेस, आंखों में जलन जैसी समास्याए आ रही है.

छात्रों की समास्याएं

ऑनलाइन कक्षाओं में पढ़ने वाले छात्रों का कहना है कि ऑनलाइन कक्षाओं में पढ़ने से लगातार मोबाइल के सामने बैठने से आंखों में जलन और सर दर्द की समास्याएं होती है. इस वजह से कई बार कक्षा में बैठने का मन भी नहीं करता है. बच्चों का कहना है कि कक्षाओं में फिर भी बैठकर सुन लेते हैं, जो छूट जाता है उसे पीडीएफ के माध्यम से कवर कर लेते हैं, लेकिन अब जो परीक्षाएं ऑनलाइन हो रही है. उसमें छोटी-छोटी चीजों पर फोकस करना पड़ता है. गंभीरता से क्लास लेनी पड़ती है ऐसे में मोबाइल से अब इरीटेशन होने लगा है, कई छात्र ऐसे भी है जिनका ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान आंखों का इलाज हुआ और अब चश्मा लग गया है.

आंखों के डॉक्टर की सलाह

मोबाइल में पढ़ना और पढ़ाना शिक्षकों और छात्रों दोनों की मजबूरी है, लेकिन कुछ सावधानियों के साथ इससे बचा जा सकता है. डॉक्टर केके अग्रवाल बताते हैं कि जब आप मोबाइल पर पढ़ाई कर रहे हैं तो मोबाइल को एक फिट दूरी पर रखें और मोबाइल की ब्राइटनेस कम से कम रखें. उन्होंने बताया कि नॉर्मली हमारी पलकें ब्लिंक करती हैं और जब मोबाइल देखते हैं तब वो मोबाइल पर फोकस रहती हैं और ब्लिंक नहीं करती हैं, इस वजह से आंखों में जलन, दर्द, स्ट्रेस जैसी समास्याएं आती हैं. इससे बचने के लिए सावधानी बरतना जरूरी है. डॉक्टर केके अग्रवाल ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उनके पास बच्चो की आंखों की समास्या वाले केस आए हैं, जो पहले संख्या थी वो बढ़ 40 प्रतिशत से ज्यादा हो गई है, हर दिन 10 से 15 बच्चे इलाज के लिए आते हैं.

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