भोपाल। बाजार में प्याज के दाम आसमान छू रहे हैं. प्याज कीमती चीजों में से एक हो गया है. पिछले 10 दिनों के अंदर भोपाल में प्याज की कीमतों में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली रही है. आने वाले समय में प्याज की कीमत कम होने के बजाय और बढ़ती हुई दिखाई देगी. 10 दिन पहले जो प्याज 30 से 40 रुपए बिक रहा था, अब वो 60 से 70 रुपए प्रति किलो पहुंच गया है. वहीं बिचौलिए मंडी के बाहर किसानों से सीधी खरीदी कर रहे हैं, और ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए प्याज दूसरे राज्यों में भेज रहे हैं.
एमपी से दूसरे राज्यों में भेजी जा रही प्याज
मंडियों में अब तक 52 हजार क्विंटल प्याज तो आई लेकिन इसमें से 45 हजार क्विंटल दूसरे राज्यों की मंडियों में भेज दी गई. किसान नेता अनिल यादव का कहना है कि जो प्याज किसान एक से दो रुपये में बेचता है, आज उसी की कीमत 60 से 70 रुपए किलो बिक हो गई है. किसानों का भाड़ा तक नहीं निकल पा रहा है. आज वही प्याज सोने के भाव में बिक रहा है, जब किसान बेचता है तो वह मिट्टी के भाव जाता है. जब व्यापारी बेचता है तो उसके दाम बढ़ जाते हैं. फिर यही प्याज मई, जून में सड़कों पर मिलता है. इस दौरान सरकार का इस ओर ध्यान नहीं जाता. अनिल यादव ने कहा कि आज भी कालाबाजारी करने वाले व्यापारियों के यहां छापे मारे जाएं तो बड़ी मात्रा में प्याज मिलेगी. आने वाले समय में 100 रुपए तक प्याज मिलेगी, क्योंकि बड़े व्यापारी किसानों से प्याज खरीद लेते हैं और बारिश के बाद निकालते हैं इसलिए इनके भी दाम भी बढ़ जाते हैं.
90 फीसदी प्याज एमपी से बाहर
भोपाल में एमपी के दूसरे जिलों से प्याज पहुंचता है. शनिवार को भोपाल में करीब 3 हजार क्विंटल प्याज करोंद मंडी पहुंचा. इसमें से सिर्फ 10 फीसदी ही प्याज रखा गया. बाकी ढाई हजार क्विंटल प्याज को दूसरे राज्यों में भेज दिया गया. भोपाल की मंडियों में 40 से 50 रुपए किलो प्याज बेचा जा रहा है. जिसके कारण व्यापारियों को ज्यादा कीमत नहीं मिल रही है और यही कारण है कि मंडी में आवक होने के बावजूद भी खुदरा बाजार में प्याज महंगा मिल रहा है.
दिल्ली और दक्षिण के राज्यों में बेचा जा रहा प्याज
व्यापारी भोपाल से दिल्ली और दक्षिण के राज्यों में प्याज सप्लाई कर रहे हैं. इस बार प्याज के दामों में तेजी की वजह तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में हुई भारी बारिश है, जिसके कारण प्याज की नई उपज की आवक मंडियों में नहीं हो पा रही है. इसके अलावा प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र के अकोला, अमरावती, सांगली, कोल्हापुर में भी बारिश के कारण नई प्याज मंडियों तक नहीं पहुंच पाई है. इन हालातों में देश की तमाम मंडियों तक प्याज की आपूर्ति नहीं होने के कारण प्याज के दामों में देशभर में तेजी देखी जा रही है.
यह भी पढ़ें:- त्योहारों के सीजन में रुला रहा है प्याज, जानें क्यों बढ़ रही महंगाई
महाराष्ट्र के प्याज का इंतजार
प्याज व्यापारियों को अब महाराष्ट्र के प्याज का इंतजार है, क्योंकि जब तक महाराष्ट्र के नासिक का प्याज नहीं आता है, तब तक प्याज की कीमतें बढ़ती दिखाई देंगी. अनुमान है कि 1 महीने के अंदर नासिक से प्याज आना शुरू हो जाएगा. एमपी की बात की जाए तो मध्यप्रदेश में आगरा-मालवा, शाजापुर, खंडवा, उज्जैन, देवास, रतलाम,शिवपुरी,राजगढ़, धार, सतना,खरगोन और छिंदवाड़ा में प्याज की पैदावार होती है.
फरवरी से मार्च तक आएगा एमपी का नया प्याज
वरिष्ठ उद्यानिकी विकास अधिकारी गोविंद सिंह रघुवंशी का कहना है कि अभी सोयाबीन की फसल की कटाई हुई है. नवंबर तक प्याज की नई फसल बोई जाएगा और यह फसल आने में करीब 4 महीने लगेंगे. यानी फरवरी-मार्च तक एमपी में नया प्याज आएगा. अभी हम नासिक के प्याज का इंतजार कर रहे हैं उम्मीद है कि नासिक का प्याज आने के बाद प्याज की कीमत गिरेगी.
एमपी में प्याज की खेती का लेखा जोखा
- राज्य में 2019 में 1.64 लाख हेक्टेयर में खेती हुई थी और 41 मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन हुआ था.
- 2020 में खेती 1.80 लाख हेक्टेयर जमीन पर हो रही है और 50 लाख टन उत्पादन की उम्मीद है.
एमपी में प्याज की हर दिन औसत आवक
- राज्य में छोटी बड़ी 269 मंडियों में से 200 मंडियों में प्याज की खरीद होती है.
- हर दिन औसतन 85-98 हजार क्विंटल तक की आवक है.
- हफ्ते के आखिरी दिन यह 1 लाख क्विंटल तक रही जिसमें से 90 हजार क्विंटल बाहर भेजी गई.