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किसानों की जमीन कौड़ी के भाव बेचने वाले अधिकारियों को पांच साल की सजा - जमीन

फर्जीवाड़ा कर किसानों की जमीनें कौड़ियों के भाव बेचने के मामले में जिला सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक और भूमि विकास बैंक के दो अधिकारियों को लोकायुक्त की विशेष अदालत ने पांच साल की सजा सुनाई है.

लोकायुक्त अदालत ने सुनाई 5 वर्ष की सजा
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Published : Nov 12, 2019, 10:23 AM IST

Updated : Nov 12, 2019, 11:05 AM IST

भोपाल। लोकायुक्त की विशेष अदालत ने वर्ष 2000 से 2007 में किए गए एक फर्जीवाड़े के दोषी दो अधिकारियों को 5 वर्ष की सजा सुनाई है. दोनों अधिकारियों ने किसानों की जमीन फर्जी तरीके से कौड़ियों के दाम बेच दिया था. ये जमीनें राजधानी से सटे हुए आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की है. वर्ष 2000 से 2007 के बीच किसानों की जमीन गुपचुप तरीके से नीलाम कर दी गई थी. ये जमीन किसानों ने जिला सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक और भूमि विकास बैंक के पास गिरवीं रखी हुई थी.

किसानों की जमीन बेचने पर अधिकारियों को सजा

जिसके बाद किसानों की जमीन को कम दाम में नीलाम करने के मामले में लोकायुक्त विशेष अदालत ने सहकारिता विभाग के अधिकारियों को दोषी पाया. जिसके चलते जांच के बाद अदालत ने सोमवार शाम दोनों अधिकारियों को 5 वर्ष की सजा सुनाई है. साथ ही दोनों अधिकारियों पर 21 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. ये पूरी घटना साल 2000 से 2007 के बीच की है. जिसके चलते किसानों ने अपनी उपजाऊ जमीन बैंक में गिरवी रखकर कर्ज लिया था.

किसानों ने समय से किश्त अदा कर अपनी खेती भी करना शुरू कर दिया था. इस दौरान उन्हें बैंक से सूचना मिली कि उनकी जमीन को कम दामों में बेच दिया गया. जिसके बाद किसानों ने इस मामले को लेकर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई. लेकिन सुनवाई नहीं होने के चलते हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर राहत मिल गई. जिसके बाद किसानों के साथ हुई धोखाधड़ी पर लोकायुक्त पुलिस ने अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई की.

इस मामले में भूमि विकास बैंक के तत्कालीन उप पंजीयक अशोक मिश्र और तत्कालीन विक्रय अधिकारी विजेंद्र कुमार कौशल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत धोखाधड़ी, जालसाजी, फर्जीवाड़ा और षडयंत्र के तहत प्रकरण दर्ज कर मामले का चालान अदालत में पेश किया गया था. अदालत ने अपराध प्रमाणित होने पर दोनों अधिकारियों को सजा सुनाई है.

भोपाल। लोकायुक्त की विशेष अदालत ने वर्ष 2000 से 2007 में किए गए एक फर्जीवाड़े के दोषी दो अधिकारियों को 5 वर्ष की सजा सुनाई है. दोनों अधिकारियों ने किसानों की जमीन फर्जी तरीके से कौड़ियों के दाम बेच दिया था. ये जमीनें राजधानी से सटे हुए आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की है. वर्ष 2000 से 2007 के बीच किसानों की जमीन गुपचुप तरीके से नीलाम कर दी गई थी. ये जमीन किसानों ने जिला सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक और भूमि विकास बैंक के पास गिरवीं रखी हुई थी.

किसानों की जमीन बेचने पर अधिकारियों को सजा

जिसके बाद किसानों की जमीन को कम दाम में नीलाम करने के मामले में लोकायुक्त विशेष अदालत ने सहकारिता विभाग के अधिकारियों को दोषी पाया. जिसके चलते जांच के बाद अदालत ने सोमवार शाम दोनों अधिकारियों को 5 वर्ष की सजा सुनाई है. साथ ही दोनों अधिकारियों पर 21 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. ये पूरी घटना साल 2000 से 2007 के बीच की है. जिसके चलते किसानों ने अपनी उपजाऊ जमीन बैंक में गिरवी रखकर कर्ज लिया था.

किसानों ने समय से किश्त अदा कर अपनी खेती भी करना शुरू कर दिया था. इस दौरान उन्हें बैंक से सूचना मिली कि उनकी जमीन को कम दामों में बेच दिया गया. जिसके बाद किसानों ने इस मामले को लेकर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई. लेकिन सुनवाई नहीं होने के चलते हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर राहत मिल गई. जिसके बाद किसानों के साथ हुई धोखाधड़ी पर लोकायुक्त पुलिस ने अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई की.

इस मामले में भूमि विकास बैंक के तत्कालीन उप पंजीयक अशोक मिश्र और तत्कालीन विक्रय अधिकारी विजेंद्र कुमार कौशल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत धोखाधड़ी, जालसाजी, फर्जीवाड़ा और षडयंत्र के तहत प्रकरण दर्ज कर मामले का चालान अदालत में पेश किया गया था. अदालत ने अपराध प्रमाणित होने पर दोनों अधिकारियों को सजा सुनाई है.

Intro:नोट = इस खबर में वकील की बाइट करने का प्रयास किया था , लेकिन फैसला देर रात आने की वजह से बाइट नहीं मिल पाई .


फर्जीवाड़ा कर किसानों की जमीन को बेचने वाले दो अधिकारियों को लोकायुक्त अदालत ने सुनाई 5 वर्ष की सजा


भोपाल | लोकायुक्त की विशेष अदालत ने वर्ष 2000 वर्ष 2007 में किए गए एक बड़े फर्जीवाड़े में दोषी पाए गए तो अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही करते हुए उन्हें 5 वर्ष की सजा सुनाई है इन दोनों ही अधिकारियों के द्वारा किसान की जमीन को फर्जी तरीके से कौड़ियों के दाम भेज दिया गया था . यह सभी जमीने राजधानी से सटे हुए आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की हैं .





Body:जिला सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक भूमि विकास बैंक में गिरवी रखी किसानों की जमीन को औने पौने दाम में नीलाम करने के मामले में लोकायुक्त विशेष अदालत ने सहकारिता के तो अधिकारियों को दोषी पाया है लंबे समय तक चली इस जांच के बाद अदालत के द्वारा इन दोनों ही अधिकारियों को 5 वर्ष की सजा से दंडित किया गया है शादी दोनों अधिकारियों पर 21 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है वर्ष 2000 से 2007 के बीच यह जमीन गुपचुप कागजी कार्यवाही करते हुए नीलाम कर दी गई थी मामला गरमाने के बाद लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज किया गया था सोमवार को देर शाम विशेष न्यायधीश भागवत प्रसाद पांडे में अपराध प्रमाणित होने के बाद सजा का ऐलान किया है .






Conclusion:बताया जा रहा है कि वर्ष 2000 से 2007 के बीच कि यह पूरी घटना है बैंक में कई किसानों द्वारा अपनी कृषि भूमि गिरवी रखकर कर्ज लिया गया था वे इसकी किश्त समय पर अदा करने के अलावा अपनी खेती बाड़ी का काम भी कर रहे थे इसी दौरान उन्हें सूचना प्राप्त हुई कि बैंक ने उनकी जमीन किसी अन्य व्यक्तियों को काफी सस्ते दामों में बेच दी है किसानों ने इस मामले को लेकर संबंधित पुलिस थाने व संबंधित अन्य संस्थाओं में शिकायत की थी लेकिन कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई सभी जगह से निराशा हाथ लगने के बाद किसानों के द्वारा मजबूर होकर अलग अदालत में एक परिवाद दायर किया गया था लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद आखिरकार उन्हें हाईकोर्ट से राहत मिल गई थी हाईकोर्ट ने किसानों के साथ हुई धोखाधड़ी के लिए लोकायुक्त पुलिस को दोषी बैंक अधिकारियों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करने के आदेश दिए थे लोकायुक्त पुलिस ने इस मामले में भूमि विकास बैंक के तत्कालीन उप पंजीयक अशोक मिश्र और तत्कालीन विक्रय अधिकारी विजेंद्र कुमार कौशल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत धोखाधड़ी , जालसाजी , फर्जीवाड़ा और षड्यंत्र के तहत प्रकरण दर्ज कर मामले का चालान अदालत में पेश किया था . अदालत ने अपराध प्रमाणित होने पर दोनों अधिकारियों को यह सजा सुनाई है .
Last Updated : Nov 12, 2019, 11:05 AM IST
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