भोपाल। लोकायुक्त की विशेष अदालत ने वर्ष 2000 से 2007 में किए गए एक फर्जीवाड़े के दोषी दो अधिकारियों को 5 वर्ष की सजा सुनाई है. दोनों अधिकारियों ने किसानों की जमीन फर्जी तरीके से कौड़ियों के दाम बेच दिया था. ये जमीनें राजधानी से सटे हुए आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की है. वर्ष 2000 से 2007 के बीच किसानों की जमीन गुपचुप तरीके से नीलाम कर दी गई थी. ये जमीन किसानों ने जिला सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक और भूमि विकास बैंक के पास गिरवीं रखी हुई थी.
जिसके बाद किसानों की जमीन को कम दाम में नीलाम करने के मामले में लोकायुक्त विशेष अदालत ने सहकारिता विभाग के अधिकारियों को दोषी पाया. जिसके चलते जांच के बाद अदालत ने सोमवार शाम दोनों अधिकारियों को 5 वर्ष की सजा सुनाई है. साथ ही दोनों अधिकारियों पर 21 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. ये पूरी घटना साल 2000 से 2007 के बीच की है. जिसके चलते किसानों ने अपनी उपजाऊ जमीन बैंक में गिरवी रखकर कर्ज लिया था.
किसानों ने समय से किश्त अदा कर अपनी खेती भी करना शुरू कर दिया था. इस दौरान उन्हें बैंक से सूचना मिली कि उनकी जमीन को कम दामों में बेच दिया गया. जिसके बाद किसानों ने इस मामले को लेकर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई. लेकिन सुनवाई नहीं होने के चलते हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर राहत मिल गई. जिसके बाद किसानों के साथ हुई धोखाधड़ी पर लोकायुक्त पुलिस ने अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई की.
इस मामले में भूमि विकास बैंक के तत्कालीन उप पंजीयक अशोक मिश्र और तत्कालीन विक्रय अधिकारी विजेंद्र कुमार कौशल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत धोखाधड़ी, जालसाजी, फर्जीवाड़ा और षडयंत्र के तहत प्रकरण दर्ज कर मामले का चालान अदालत में पेश किया गया था. अदालत ने अपराध प्रमाणित होने पर दोनों अधिकारियों को सजा सुनाई है.