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एस्मा की आड़ में नर्सिंग छात्रों की जान से खिलवाड़ कर रही सरकार- NSUI - स्वास्थ्य विभाग

मेडिकल के आखिरी साल के जिन विद्यार्थियों जॉइनिंग नहीं दी है, स्वास्थ्य विभाग उन पर कार्रवाई की बात कर रहा है. जिसको लेकर एनएसयूआई ने विरोध जताया है.

NSUI object on Recruitment of nurses without training by health Department
बिना प्रशिक्षण नर्सों की भर्ती करना गलत: एनएसयूआई
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Published : Apr 28, 2020, 9:50 AM IST

भोपाल। स्वास्थ्य विभाग ने 15 अप्रैल को मेडिकल के आखिरी साल के छात्रों को जॉइनिंग के आदेश दिए थे. वहीं जिन छात्रों ने जॉइनिंग नहीं दी है, उनके खिलाफ कार्रवाई की बात कही गई है. जिसे लेकर NSUI ने अपना विरोध दर्ज कराया है. NSUI का कहना है कि, सरकार को प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके व्यक्ति को इस तरह के काम में लगाना चाहिए, ना कि स्टूडेंट्स को जो इस समय पढ़ाई कर रहे हैं. क्योंकि ऐसी स्थिति में संक्रमण का खतरा और भी ज्यादा बढ़ सकता है. जो छात्र- छात्राएं इस समय पढ़ाई कर रहे हैं, उन्हें अपना कोर्स पूरा करने का समय देना चाहिए. यह एक तरह से छात्रों के साथ अन्याय है.

स्वास्थ्य विभाग के द्वारा शासकीय कॉलेज से बीएससी नर्सिंग और जीएनएम नर्सिंग करने वाले अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों को 15 अप्रैल से 3 दिन के अंदर जॉइनिंग करने के लिए आदेश जारी किया गया था. जॉइन न करने की स्थिति में विद्यार्थियों पर कार्रवाई की बात कही गई थी. ऐसी स्थिति में कई छात्रों ने तो अपनी जॉइनिंग दे दी है, लेकिन कुछ छात्र कोरोना वायरस की डर की वजह से जॉइनिंग नहीं दे पाए हैं. अब ऐसे स्टूडेंट्स के सामने कार्रवाई का डर भी दिखाई देने लगा है.

NSUI मेडिकल विंग के समन्वयक रवि परमार ने इसका विरोध करते हुए कहा कि, प्रदेश में 10 लाख से भी ज्यादा रजिस्टर और अनुभवी नर्सिंग स्टाफ हैं. लेकिन फिर भी स्वास्थ्य विभाग अपनी लापरवाही के चलते इस महामारी में प्रदेश के नर्सिंग विद्यार्थियों की जॉइनिंग करवाने के लिए डरा धमका रहा है. अब विद्यार्थियों को कार्रवाई की धमकी दी जा रही है, जो विद्यार्थी और उसके परिवार पर अनैतिक दबाव हैं, ऐसे में विद्यार्थियों के साथ बड़ी घटना होने की आशंका है. बिना अनुभव के विद्यार्थी से कार्य कराना गलत है. अगर स्टाफ की आवश्यकता है, तो स्वास्थ्य विभाग स्थायी वैकेंसी निकालकर रजिस्टर्ड और अनुभवी नर्सिंग स्टाफ की भर्ती करें.

रवि परमार ने कहा कि, पहले ही इंदौर में एक नर्सिंग छात्रा कोरोना से संक्रमित होकर शहीद हो चुके हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग नर्सिंग विद्यार्थियों को बिना किसी अनुभव और बिना किसी प्रशिक्षण के कार्रवाई करने का दबाव बनाकर कार्य करवाना चाहता है, जिसका हम इसका विरोध करते हैं. उन्होंने कहा कि, एक तरफ तो सरकार स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर अन्य पैरामेडिकल स्टाफ को ससुरक्षा भी नहीं दे पा रही है. वहीं अब स्टूडेंट्स को भी इस खतरनाक काम में लगा रही है, जो कभी भी इन छात्रों के लिए घातक साबित हो सकता है, सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.

भोपाल। स्वास्थ्य विभाग ने 15 अप्रैल को मेडिकल के आखिरी साल के छात्रों को जॉइनिंग के आदेश दिए थे. वहीं जिन छात्रों ने जॉइनिंग नहीं दी है, उनके खिलाफ कार्रवाई की बात कही गई है. जिसे लेकर NSUI ने अपना विरोध दर्ज कराया है. NSUI का कहना है कि, सरकार को प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके व्यक्ति को इस तरह के काम में लगाना चाहिए, ना कि स्टूडेंट्स को जो इस समय पढ़ाई कर रहे हैं. क्योंकि ऐसी स्थिति में संक्रमण का खतरा और भी ज्यादा बढ़ सकता है. जो छात्र- छात्राएं इस समय पढ़ाई कर रहे हैं, उन्हें अपना कोर्स पूरा करने का समय देना चाहिए. यह एक तरह से छात्रों के साथ अन्याय है.

स्वास्थ्य विभाग के द्वारा शासकीय कॉलेज से बीएससी नर्सिंग और जीएनएम नर्सिंग करने वाले अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों को 15 अप्रैल से 3 दिन के अंदर जॉइनिंग करने के लिए आदेश जारी किया गया था. जॉइन न करने की स्थिति में विद्यार्थियों पर कार्रवाई की बात कही गई थी. ऐसी स्थिति में कई छात्रों ने तो अपनी जॉइनिंग दे दी है, लेकिन कुछ छात्र कोरोना वायरस की डर की वजह से जॉइनिंग नहीं दे पाए हैं. अब ऐसे स्टूडेंट्स के सामने कार्रवाई का डर भी दिखाई देने लगा है.

NSUI मेडिकल विंग के समन्वयक रवि परमार ने इसका विरोध करते हुए कहा कि, प्रदेश में 10 लाख से भी ज्यादा रजिस्टर और अनुभवी नर्सिंग स्टाफ हैं. लेकिन फिर भी स्वास्थ्य विभाग अपनी लापरवाही के चलते इस महामारी में प्रदेश के नर्सिंग विद्यार्थियों की जॉइनिंग करवाने के लिए डरा धमका रहा है. अब विद्यार्थियों को कार्रवाई की धमकी दी जा रही है, जो विद्यार्थी और उसके परिवार पर अनैतिक दबाव हैं, ऐसे में विद्यार्थियों के साथ बड़ी घटना होने की आशंका है. बिना अनुभव के विद्यार्थी से कार्य कराना गलत है. अगर स्टाफ की आवश्यकता है, तो स्वास्थ्य विभाग स्थायी वैकेंसी निकालकर रजिस्टर्ड और अनुभवी नर्सिंग स्टाफ की भर्ती करें.

रवि परमार ने कहा कि, पहले ही इंदौर में एक नर्सिंग छात्रा कोरोना से संक्रमित होकर शहीद हो चुके हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग नर्सिंग विद्यार्थियों को बिना किसी अनुभव और बिना किसी प्रशिक्षण के कार्रवाई करने का दबाव बनाकर कार्य करवाना चाहता है, जिसका हम इसका विरोध करते हैं. उन्होंने कहा कि, एक तरफ तो सरकार स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर अन्य पैरामेडिकल स्टाफ को ससुरक्षा भी नहीं दे पा रही है. वहीं अब स्टूडेंट्स को भी इस खतरनाक काम में लगा रही है, जो कभी भी इन छात्रों के लिए घातक साबित हो सकता है, सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.

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