भोपाल | राजधानी में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है जिसके तहत सरकार नगर निगम को दो भागों में बांट रही है. अब राजधानी में दो नगर निगम बनाई जा रही है. जिसके तहत अलग-अलग क्षेत्रों को इन दो नगर निगमों में बांटा जाएगा. लेकिन इससे पहले ही लोगों की मुसीबतें भी बढ़ने लगी हैं. क्योंकि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिन्हें 25 किलोमीटर दूर का सफर तय करना पड़ सकता है. यही वजह है कि परिसीमन को लेकर अभी से आपत्तियां दर्ज होने लगी है.
प्रत्यक्ष प्रणाली से मार्च-अप्रैल में होने वाले नगर निगम चुनाव से पहले भोपाल शहर को दो हिस्सों में ( भोपाल और कोलार नगर निगम ) में बांटा जा रहा है. इसी के लिए 16 अक्टूबर तक दावे आपत्तियां लगाई जा सकती है. हालांकि दो नगर निगम बनाए जाने को लेकर बीजेपी ने पहले ही सड़क पर कमलनाथ सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान कर दिया है. अब सरकार के लिए इन सभी चुनौतियों से निपटना मुश्किल साबित हो सकती है.
पहले ही दिन आईं तीन आपत्तियां
भोपाल नगर निगम दो भागों में बांटने के लिए कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है और दावे आपत्ति बुलाई जा रही हैं. जिसके तहत पहले ही दिन 3 आपत्तियां दर्ज की गई है. इसमें से 2 आपत्तियां नगर निगम ना बनाने को लेकर और एक नबीबाग को कोलार की जगह भोपाल नगर निगम में शामिल किए जाने को लेकर लगाई गई है. सर्व धर्म मोहल्ला सुधार समिति की तरफ से अध्यक्ष अजब सिंह ठाकुर ने आपत्ति दर्ज कराई है जिसमें उन्होंने बताया है कि कोलार नगर निगम बनाया गया तो इसका मुख्यालय कोलार क्षेत्र में होगा.
इस स्थिति में नबीबाग के रहवासियों को 25 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ेगा. हर छोटे काम के लिए लोगों को परेशानियां उठाना पड़ेगा. इससे पेट्रोल-डीजल और समय की बर्बादी होगी. वहीं राशन कार्ड, वोटर कार्ड, मकान किराया, मकान का नक्शा, मकान बनाने की अनुमति, नल कनेक्शन, गरीबी रेखा का राशन कार्ड बनाना और अन्य कार्यों के लिए परेशानियों का सामना लगातार करना पड़ेगा है. लिहाजा विभाग को कोलार की जगह भोपाल नगर निगम में शामिल किया जाना चाहिए.
भोपाल में दो नगर निगम से बढ़ेंगीं मुश्किलें
भोपाल में दो नगर निगम बनाने में कई मुश्किलें हैं इसमें कर्मचारियों और संसाधनों का बंटवारा किस तरह से होगा यह एक बड़ा सवाल है. क्योंकि साल 2011 में जनगणना हुई थी. उस समय नए भोपाल खासकर होशंगाबाद रोड कटारा हिल्स, कोलार रोड सलैया मिसरोद क्षेत्र में बसाहट कम थी वर्ष 2011 के बाद यहां बड़ी संख्या में कॉलोनियों का विकास हुआ है और लोगों की आबादी भी लगातार बढ़ गई है. ऐसे में आबादी का सही आकलन कर पाना मुश्किल होगा.
वर्तमान में न्यू भोपाल नगर निगम में 7 लाख 8 हजार 700 की आबादी का आकलन किया गया है. जबकि पुराने भोपाल में 12 लाख 13 हजार 430 आबादी बताई गई है. जबकि 9 सालों के दरमियान यह आंकड़ा काफी बदल चुका है. जनगणना में नगर निगम की कुल आबादी 19 लाख 22 हजार 130 बताई गई है. जबकि वर्तमान स्थिति में भोपाल की आबादी 23 लाख से भी ज्यादा जा चुकी है. इससे यदि ज्यादा आबादी वाले हिस्से में कम कर्मचारी और संसाधन मिलते हैं तो वहां जन सुविधाएं नहीं मिल पाएंगी. ऐसे में जनगणना के आधार पर शहर में दो नगर निगम बनाना प्रशासन के लिए भी चुनौतीपूर्ण साबित होगा.